रोहतासगढ़ दुर्ग: ऑपरेशन विध्वंस से सोन महोत्सव तक, IPS विकास वैभव से जानें 13 साल के बदलाव की कहानी
बिहार के रोहतास जिले का ऐतिहासिक किला रोहतासगढ़ दुर्ग, जिसके बारे में आइपीएस अधिकारी विकास वैभव ने काफी कुछ बताया. 13 साल बाद रोहतास लौटे आइपीएस ने बताया कि किस तरह उग्रवादियों का यहां वर्चस्व था और अब महोत्सव होता है.
बिहार के चर्चित आइपीएस अधिकारी विकास वैभव पुलिसिंग के साथ ही सामाजिक कार्यों से जुड़े रहने के लिए भी जाने जाते हैं. इतिहास में भी उनकी काफी रुचि रहती है. हाल में ही उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर एक वाक्या साझा किया है. 13 साल बाद रोहतास आए विकास वैभव ने उन यादों को साझा किया जब 2008 में वो रोहतास के पुलिस अधीक्षक बनकर यहां आए थे. वर्तमान में गृह विभाग के विशेष सचिव पद को संभाले विकास वैभव ने तब हुए मुठभेड़ व चैलेंज से लेकर अब तक के बदलाव का जिक्र किया है. 13 साल बाद आइपीएस विकास वैभव जब रोहतास आए तो उनका भव्य स्वागत किया गया.
रोहतासगढ़ दुर्ग पर सोन महोत्सव का आयोजन हुआ तो आईपीएस विकास वैभव भी पटना से पहुंचे. यहां उनके आगमन पर भव्य स्वागत किया गया तो उन्होंने 13 साल पुराने उस अध्याय को पलटा जब वो यहां पुलिस अधीक्षक बनाकर भेजे गये थे. विकास वैभव ने इतिहास के पन्नों को पलटते हुए बताया कि इस दुर्ग को किस तरह उग्रवादी गतिविधियों का केंद्र बना लिया गया था.
विकास वैभव ने बताया कि 2008 में बतौर एसपी जब वो यहां आए तो विपरित परिस्थितियों में भी इस दुर्ग को राष्ट्रीय मुख्यधारा से जोड़ने की प्रबल इच्छा थी. बताया कि पद संभालने के 2 दिनों के बाद ही वो इस दुर्ग पर करीब 7 किलोमीटर की पैदल यात्रा करके गये. उग्रवादी दस्ता तब पुलिस को देख जंगल की ओर चला गया था.
आइपीएस विकास वैभव लिखते हैं कि दुर्ग की चढ़ाई पूरी करने के बाद 1500 फीट की ऊंचाई से लेखकों के उस वर्णन का स्मरण कर रहा था जो मध्यकाल में इसे भारत का एक शक्तिशाली दुर्ग बताता है. इसके भविष्य को लेकर चिंतन कर रहा था. याद करते हुए बताया कि 3 दिसंबर 2008 को पड़ोसी गांव सोली में मुठभेड़ हुआ और 6 इंच बगल से सैंकड़ो गोलियां चलीं. तब से ही मन में एक संकल्प लिया कि इस पूरे क्षेत्र में परिवर्तन करना है. विकास वैभव ऑपरेशन विध्वंस से सोन महोत्सव तक के सफर को याद करते हैं.
आईपीएस विकास वैभव ने बताया कि दुर्ग पर अब बड़ी तादाद में पर्यटक का आना तथा सोन महोत्सव के आयोजन इसका प्रमाण है कि अब यहां का माहौल बदल गया है. बताया कि सोन महोत्सव जिस जगह आयोजित किया जा रहा है उस परिसर में कभी घात लगाकर उग्रवादी रहते थे और आक्रमण करते थे. आज वहीं उसी जगह आदिवासी पारंपरिक वाद्ययंत्र और नृत्य के साथ स्वागत कर रहे थे. यह परिवर्तन अकल्पनीय था पर सिद्ध हुआ.
विकास वैभव ने कहा कि रोहतासगढ़ में ऐतिहासिक संबोधन के बाद लौट रहा था तो मन कह रहा था कि अब पूरे बिहार में परिवर्तन करना है. केवल प्रेरणा की जरुरत है. हर परिवर्तन संभव है. बता दें कि आइपीएस विकास वैभव लेट्स इंस्पायर बिहार मुहिम चला रहे हैं जिसके तरह तरह-तरह के आयोजन किये जाते हैं.
Posted By: Thakur Shaktilochan