Water Crisis: बिहार में अब बोरिंग से पहले लेना होगा परमिट, तैयार हो रही भूजल निकासी के लिए नियमावली

हर दिन बिहार के हर जिले से लाखों लीटर पानी निकाला जा रहा है, लेकिन इसे रोकने के लिए सरकार के स्तर पर अभी तक सख्ती से कोई नियमावली नहीं बनायी गयी है. जिसके बाद नियमावली बनाने का काम तेजी से हो रहा है.

By Ashish Jha | July 15, 2024 2:44 PM

Water Crisis: पटना, प्रह्लाद कुमार. बिहार में भूजल संकट को कम करने के लिए जल्द ही भूजल निकासी के लिए नियमावली तैयार की जायेगी. इसको लेकर पीएचइडी, जल संसाधन और लघु जल संसाधन विभाग सहित पंचायती राज विभाग मिलकर एक नियमावली तैयार करने में जुटी है, ताकि बिहार के लगभग जिलों में पानी की बर्बादी और अवैध रूप से चल रहे पानी के कारोबार पर अंकुश लगाया जा सके. मुख्य सचिव के स्तर पर भूजल में गिरावट को लेकर पिछले दिनों बैठक हुई थी, जिसमें आपदा प्रबंधन विभाग के भी अधिकारी मौजूद थे.

तैयार हो रही नियमावली

समीक्षा में यह बात सामने आयी है कि हर दिन बिहार के हर जिले से लाखों लीटर पानी निकाला जा रहा है, लेकिन इसे रोकने के लिए सरकार के स्तर पर अभी तक सख्ती से कोई नियमावली नहीं बनायी गयी है. जिसके बाद नियमावली बनाने का काम तेजी से हो रहा है. जल्द ही सरकार के स्तर पर समीक्षा के बाद इसे लागू किया जायेगा, जिसमें सरकारी और निजी बोरिंग के लिए भी नियम होंगे. अब एक सीमा तक ही आप जमीन से पानी निकाल पायेंगे. किसी को भी बोरिंग कराने से पहले परमिट या एनओसी लेना होगा.

पानी कारोबार को लेकर उठते रहते हैं सवाल

भूजल में गिरावट को लेकर दोनों सदनों में सदस्यों के माध्यम से सवाल उठाये जाते हैं, जिसमें पानी कारोबारियों के द्वारा किस तरह से पानी निकालकर बेचा जा रहा है. इस पर चर्चा के लिए लाया गया, लेकिन सदन में आये प्रश्न के बाद भी पानी का अवैध कारोबार तेजी से पूरे राज्य में फैल गया है. एक बजट सत्र में विधान परिषद में इस मामले को उठाया गया था, लेकिन सभी संबंधित विभाग पीएचइडी, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण और स्वास्थ्य विभाग इससे बचते नजर आये.

90 प्रतिशत कारोबारियों के पास लाइसेंस नहीं

पीएचइडी अधिकारियों के मुताबिक 90 प्रतिशत से अधिक प्लांट के पास लैब यानी प्रयोगशाला और जांच के लिए केमिस्ट की व्यवस्था नहीं है. नियमों के अनुसार यह जांच एनएबीएल प्रत्यायित जल जांच लैब में होनी चाहिए. इस प्रकार की प्रयोगशाला पूरे राज्य में मात्र पीएचइडी के पास है. कुछेक शैक्षणिक और शोध संस्थान अपने स्तर से प्रयोगशाला संचालित कर रहे हैं, लेकिन पीएचइडी ने सभी जिला मुख्यालय और अवर प्रमंडल स्तर पर जल जांच प्रयोगशाला स्थापित की है और उनका एनएबीएल प्रत्यायन कराया है.

Also Read: Patna Airport: पटना एयरपोर्ट से 24 साल बाद शुरू होगी अंतरराष्ट्रीय उड़ान, इन देशों के लिए हवाई सेवा जल्द

अधिकतर के पास सिर्फ चीलिंग प्लांट का लाइसेंस

अधिकतर वाटर प्लांट में आरओ की जगह चीलिंग प्लांट के माध्यम से पानी की सप्लाइ की जा रही है. इसमें पानी को बैक्टीरिया खत्म होने तक ठंडा किया है और उसके बाद उसकी पैकिंग करके सप्लाइ की जाती है. प्रत्येक प्लांट में हर दिन दो से पांच घंटे तक मोटर चलता है, जिससे भू जल और सरकारी खजाने को नुकसान है.

Next Article

Exit mobile version