बिहार में 18 नदियों का पानी न पीने लायक और न नहाने लायक, चार साल पहले केवल 6 नदियां थी ऐसी

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सीपीसीबी ने नेशनल वाटर क्वालिटी मॉनीटरिंग प्रोग्राम के तहत पानी की जांच 2019 और 2021 में एक एजेंसी की मदद से करवायी है. 2020 में कोरोना संकट की वजह से यह काम नहीं हुआ था. नदियों के प्रदूषण के पैमाने पर पांच कैटेगिरी में बांटा है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 18, 2023 5:30 AM

कृष्ण कुमार, पटना: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार बिहार में चार साल में प्रदूषित नदियों की संख्या में तीन गुना बढ़ोतरी हुई है. 2018 की रिपोर्ट में राज्य की छह नदियाें का पानी प्रदूषित था, जो 2022 में बढ़कर 18 हो गयी है. राज्य की सबसे प्रदूषित नदियों में रक्सौल में सिरसिया, हरिनगर में रामरेखा और सीतामढ़ी में लखनदेई शामिल है. इन 18 नदियों के पानी की जांच 45 स्थानों पर की गयी है. इसमें नदियों का पानी गुणवत्ता मानक के अनुसार नहीं पाया गया.

बीओडी अधिक होने से पानी को प्रदूषित बताया गया

बायो केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) तय मानक से अधिक होने से पानी को प्रदूषित बताया गया है. इसके पानी का सीधे नहाने और पीने में इस्तेमाल ठीक नहीं है. प्रतिलीटर तीन मिलीग्राम से अधिक बीओडी होने पर पानी की गुणवत्ता खराब हो जाती है. रिपोर्ट के अनुसार सिरसिया नदी का बीओडी 30 है. रामरेखा का 12 और लखनदेई का बीओडी 11 है.

ऐसे की गयी जांच

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सीपीसीबी ने नेशनल वाटर क्वालिटी मॉनीटरिंग प्रोग्राम के तहत पानी की जांच 2019 और 2021 में एक एजेंसी की मदद से करवायी है. 2020 में कोरोना संकट की वजह से यह काम नहीं हुआ था. नदियों के प्रदूषण के पैमाने पर पांच कैटेगिरी में बांटा है. पहली कैटेगिरी में 30 मिलीग्राम प्रतिलीटर से अधिक बीओडी वाली नदियां शामिल हैं. दूसरी कैटेगिरी में 20.1 से 30 मिलीग्राम प्रति लीटर, तीसरी कैटेगिरी में 10.1 से 20 मिलीग्राम प्रतिलीटर, चौथी कैटेगिरी में 6.1 से 10 मिलीग्राम प्रति लीटर और पांचवी कैटेगिरी में 3.1 से 6 मिलीग्राम प्रतिलीटर बीओडी वाली नदियां शामिल हैं.

देशभर में 2108 नदियों की हुई जांच

केंद्र सरकार ने बिहार सहित 28 राज्यों और सात केंद्र शासित प्रदेशों की 2108 नदियों के पानी की गुणवत्ता की जांच करवायी. 4484 जगहों से पानी के नमूने लिये गये. साथ ही 713 झील, तालाब सहित 64 प्रकार के अन्य जलस्रोतों की जांच की गयी और 351 जलस्रोत प्रदूषित पाये गये. प्रदूषण दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने संबंधित राज्यों को एक्शन प्लान तैयार करने का निर्देश दिया है.

प्रदूषित 18 नदियां

प्राथमिकता सूची दो से पांच में राज्य की 18 नदियां शामिल हैं. इसमें बागमती, बूढ़ी गंडक, दाहा, धौस, गंडक, गंगा, गांगी, घाघरा, हरबोरा, कमला, कोहरा, लखनदेई, मनुस्मार, परमार, पुनपुन, रामरेखा, सरसिया, सोन शामिल हैं.

दूसरी प्राथमिकता सूची

  • नदी-स्थान-बीओडी

  • सिरसिया-रक्सौल-30

तीसरी प्राथमिकता सूची

  • नदी- जांच स्थल-बीओडी

  • लखनदेई-सीतामढ़ी-11.0

  • रामरेखा-हरिनगर-12.0

चौथी प्राथमिकता सूची

  • नदी-जांच स्थल-बीओडी

  • बूढ़ी गंडक-सिकरहना नरकटियागंज से पकरीदयाल-10.0

  • दाहा-गोपालगंज से सिवान-10.0

  • गंगा-बक्सर, पटना, फतुहा, भागलपुर-7.9

  • गांगी-आरा-8.0

  • हरबोरा-नरकटियागंज-8.0

  • कोहरा-मंझौलिया-8.0

  • पुनपुन-पुनपुन-10.0

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पांचवीं प्राथमिकता सूची

  • नदी-जांच स्थल- बीओडी

  • बागमती-सिरनिया-3.6

  • धौस- मधुवापुर -5.6

  • गंडक–रेवाघाट-3.8

  • घाघरा-रिविलगंज- 3.6

  • कमला-दरभंगा-5.0

  • मनुस्मार-सीतामढ़ी-6.0

  • परमार-जोगबनी-3.4

  • सोन-कोइलवर-4.0

बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) : ऑक्सीजन की वह मात्रा जो जल में कार्बनिक पदार्थों के जैव रासायनिक अपघटन के लिए आवश्यक होती है, वह बीओडी कहलाती है. जिस पानी में जितना अधिक बीओडी हाेता है, वह पानी उतनी ज्यादा प्रदूषित होती है.

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