Bihar Weather: बिहार में 40 के पार पहुंचा पारा, तो सूखने लगे ताल-तलैया, पानी के लिए व्याकुल हुए पशु-पक्षी
Bihar Weather: सामान्य से अधिक तापमान व बदलते मौसम का असर ताल-तलैया, पोखरों पर दिखने लगा है. गर्मी के साथ ही ताल-पोखरों का पानी सूखने लगा है. कई गांवों के तालाब तो पूरी तरह सूख चुके हैं. इससे जंगली जानवरों व पक्षियों के समक्ष पानी का संकट खड़ा होने लगा है.
बिहार में पारा तेजी से बढ़ रहा है. अधिकतम तापमान 40 डिग्री के आसपास पहुंच चुका है. वहीं दूसरी ओर न्यूनतम पारा भी सामान्य से अधिक पार कर चुका है. लोगों को अब भीषण गर्मी सताने लगी है. लगभग एक सप्ताह से तापमान का बढ़ा हुआ स्तर लोगों को परेशान कर रहा है. सामान्य से अधिक तापमान व बदलते मौसम का असर ताल-तलैया, पोखरों पर दिखने लगा है. गर्मी के साथ ही ताल-पोखरों का पानी सूखने लगा है. कई गांवों के तालाब तो पूरी तरह सूख चुके हैं. इससे जंगली जानवरों व पक्षियों के समक्ष पानी का संकट खड़ा होने लगा है.
तेजी से नीचे गिर रहा जल स्तर
तालाबों के सूखने के पीछे गिरते भू-गर्भ जल स्तर व संरक्षण का इंतजाम नहीं होना बताया जा रहा. मुख्यमंत्री जल-जीवन-हरियाली योजना से जिले के जलस्रोत को पुनर्जीवित करने का काम शुरू हुआ. उस पर प्रशासनिक सुस्ती व मनमानी भारी पड़ी है. नतीजा बेजान पशु-पक्षियों को उठाना पड़ रहा है. राज्य सरकार की सूची में सबसे खराब भू-जल स्रोत में गोपालगंज जिले के थावे, उचकागांव व विजयीपुर प्रखंडों के नाम शामिल हैं. वर्ष 2018 में मुख्यमंत्री जल-जीवन-हरियाली योजना के तहत गोपालगंज जिले के कुआं, तालाब, जलस्रोत को अतिक्रमण मुक्त कर उसे पुनर्जीवित करने का अभियान चला, जो बाद में ठंडा बस्ते में पड़ गया. नतीजा है कि हालत फिर गंभीर स्थिति में पहुंचने लगी है.
ग्राम पंचायतों की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी
ताल, पोखरों के संरक्षण की जिम्मेदारी प्रशासनिक अधिकारियों के साथ ही ग्राम पंचायतों की है. शासन का आदेश है कि जल-जीवन-हरियाली व मनरेगा के तहत तालाबों की खुदाई कराकर जल संरक्षण को बढ़ावा दिया जाये. ग्राम पंचायतों की लापरवाही के कारण ही ताल व पोखरे सूख रहे हैं. तालाबों व पोखरों को संरक्षित करने के लिए प्रशासनिक स्तर पर ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो आने वाले समय में इनका अस्तित्व मिट जायेगा. गोपालगंज जिले के 623 जलस्रोतों पर अतिक्रमण का मामला अनुमंडल व जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के यहां लंबित है. इसमें सर्वाधिक मामले कुचायकोट में 93 हैं.