संवाददाता, पटना/भभुआ नगर कैमूर की गेहुंअनवा नदी से गाद की सफाई कर दी गयी है. कुल 58 किलोमीटर की दूरी तक इस नदी को फिर से जीवित कर दिया गया है. गेहूंअनवा गाद की सफाई में बिहार की पहली नदी बनी है.गाद साफ होने से अतिरिक्त जल सीधे दुर्गावती नदी में जाने लगा है. दुर्गावती से कर्मनाशा नदी होते हुए यह नदी गंगा में समाहित होती है. इसके अंतिम पड़ाव गंगा में समाहित होने का रास्ता तैयार हो गया है. तीन प्रखंडों की 12 पंचायतों में 58 योजनाओं से इस नदी कर अस्तित्व फिर से वापस लौटाया गया है. इससे इस इलाके में बाढ़ का खतरा खत्म हो गया है. मनरेगा से इस नदी का पुनरुद्धार कार्य कराया गया है. कैमूर मनरेगा की ओर से राज्य मुख्यालय को इसकी रिपोर्ट भेजी गयी है. नदी से सटे बंजर भूमि में होने लगी खेती : विभाग को भेजी गयी रिपोर्ट में बताया गया है कि नदी के जीवंत होने से हजारों एकड़ की खेती के लिए सिचाई सुविधा उपलब्ध हुई है. बंजर भूमि में धान की खेती संभव हो गयी है. इससे आर्थिक गतिविधियां भी बढ़ गयी हैं. यह नदी कैमूर के चैनपुर प्रखंड के रामगढ़ पंचायत के टेकुआ ताल से निकलकर बढ़ौना पंचायत में प्रवेश करती है. गेहुंअनवा नदी में गाद भर गया था. इससे नदी समतल हो गयी थी. कई स्थानों पर नदी का अस्तित्व खत्म हो गया था. नदी में झाड़ियां उग आयी थीं. कई जगहों पर नदी एरिया में अतिक्रमण भी कर लिया गया था. सर्पिली होने के कारण नाम पड़ा गेहुंअनवा गेहुंअनवा नदी चैनपुर, चांद और दुर्गावती प्रखंड से होकर दुर्गावती नदी में मिल जाती है. आगे चलकर कर्मनाशा नदी होते हुए अंतिम रूप से गंगा नदी में समाहित हो जाती है. आकार में सर्पिली होने के कारण नदी का नाम गेहुंअनवा पड़ा. पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर हुई गाद की सफाई मनरेगा जिला कार्यक्रम पदाधिकारी संजय कुमार ने कहा कि पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर गेहूंनवा नदी की गाद की सफाई की गयी. इससे किसानों को लाभ मिलेगा. नदी को और सुंदर बनाने के लिए प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजा गया है
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