Bihar Politics: लालू यादव की लालटेन के लिए क्यों है ‘मजबूरी’ कांग्रेस का हाथ
राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव (Rashtriya Janata Dal chief Lalu Prasad Yadav) के पहुंचते ही बिहार की सियासी पारा और चढ़ गया. कांग्रेस-राजद नेताओं (Congress-RJD leaders) के बीच तल्खी भरी बयानबाजियों का सिलसिला शुरु हो गया है.
राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव (Rashtriya Janata Dal chief Lalu Prasad Yadav) के पहुंचते ही बिहार की सियासी पारा और चढ़ गया. कांग्रेस-राजद नेताओं (Congress-RJD leaders) के बीच तल्खी भरी बयानबाजियों का सिलसिला शुरु हो गया है. राजद (RJD) आक्रामक हुई तो कांग्रेस ने उससे अधिक अपने तेवर तल्ख कर लिए. कांग्रेस के तल्ख होते ही लालू यादव (Lalu Yadav) और उनकी पार्टी थोड़ी नरम हो गई. मंगलवार को लालू ने कांग्रेस को राष्ट्रीय स्तर की पार्टी बताया. साथ ही कहा कि क्या किसी ने कांग्रेस की मदद हमसे ज्यादा की है? राजद अध्यक्ष के इस बयान ने साफ कर दिया कि वो फिलहाल कांग्रेस का साथ नहीं छोड़ना चाहते हैं. राजनीतिक पंडित इसका गुणा भाग कर ही रहे थे कि मीडिया में खबर आई कि सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने लालू यादव से टेलिफोनिक बात कर हाल चाल जाना है.
कांग्रेस नेताओं के लगातार इनकार के बाद बुधवार को इस खबर की जहां लालू यादव ने पुष्टि कर दी, वहीं बिहार प्रदेश कांग्रेस प्रभारी इससे इंकार किया. लालू ने तो यहां तक कहा कि सोनिया गांधी ने उनका हाल चाल पूछा और विपक्षी एकता को मजबूत किए जाने को लेकर चर्चा भी किया. इस दावे-प्रतिदावे का सच तो बाद में पता चलेगा, लेकिन यहां यह जानना जरूरी है कि आखिर क्या वजहें हैं जो कांग्रेस से लालू यादव की आरजेडी अलग नहीं होना चाहती है.
राजद के वोट बैंक में कांग्रेस लगा सकती है बड़ी सेंध
कांग्रेस का पंरपरागत वोटबैंक दलित फिलहाल राष्ट्रीय जनता दल के साथ है, जो पहले कांग्रेस का वोट बैंक थी. ऐसे अब अगर कांग्रेस- राजद से अलग होकर कुछ प्लान करती है तो इसका सीधा लाभ कांग्रेस को मिलेगा. कांग्रेस अपने परंपरागत वोटों को अपने साथ लाने का प्रयास करेगी. जो कि राजद के वोट बैंक में सेंघमारी होगा. कन्हैया कुमार मुस्लिमों के बीच में काफी लोकप्रिय हैं. अगर कांग्रेस अपने अस्तित्व को तलाश करती खुद के दम पर खड़ी होती है तो यह राष्ट्रीय जनता दल के लिए बहुत बड़ा झटका होगा. क्योंकि बिहार में राजद का माई समीकरण ही उसका बल है. यही कारण है राजद का कांग्रेस से चिपके रहने की सियासी रणनीति और मजबूरी.
ओवैसी फैक्टर
असदुद्दीन ओवैसी की बिहार की सियासत में एंट्री के साथ ही इस वोट बैंक को अपने साथ साधे रखना राजद के लिए बड़ी चुनौती है. ऐसे में कांग्रेस का राजद को साथ मिलता रहे तो ओवैसी फैक्टर बहुत प्रभावी नहीं हो पाएगा.