Budget 2025: पटना की महिलाओं को बजट से क्या-क्या उम्मीद, प्रभात खबर संवाद कार्यक्रम में रखी अपनी बातें
Budget 2025: प्रभात खबर दफ्तर में शुक्रवार को ‘संवाद’ का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में कई महिलाओं ने भाग लिया और बजट से उनको क्या उम्मीद है इसपर अपनी बातें रखी.
Budget 2025: लाइफ रिपोर्टर@पटना, वित्त वर्ष 2025-26 के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में आज आम बजट पेश करेंगी. इस बजट से आम आदमी को काफी उम्मीदें रहती है. वे इस पर नजर टिकाये रहते हैं कि बजट में बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी और टैक्स कम करने की दिशा में पहल की जायेगी. बजट से पूर्व प्रभात खबर दफ्तर में शुक्रवार को ‘संवाद’ का आयोजन किया गया. जिसमें कामकाजी महिलाओं से लेकर गृहिणियों तक ने भाग लिया. इस बार के बजट से प्रभात खबर ने संवाद के माध्यम से उनकी उम्मीद जानने की कोशिश की. आइए, जानते है उन्होंने क्या कहा…
लोगों को आसानी से मिले शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, ग्रोसरी जैसी बुनियादी जरूरतें
उद्यमी नितिका अग्रवाल ने कहा कि लोगों को इंवेस्टमेंट के लिए समझाना पड़ रहा है. अभी भी उनकी पास पूरी समझ नहीं है. उन्हें मोटिवेट करना पड़ रहा है. लंबे समय से पब्लिक प्रोविडेंड फंड, इंश्योरेंस और अन्य योजनाओं के तहत धारा 80सी के तहत टैक्स में 1.5 लाख रुपये तक की छूट दी जा रही है. इसके लिमिट को बढ़ाया जाना चाहिए. इससे लोग मोटिवेट होंगे और सेविंग्स की ओर उनका रुझान बढ़ेगा. साथ ही, पीएलआइ स्कीम को एक्सटेंड किया जाए तो बेहतर होगा.
गृहिणी अनुराधा सिन्हा ने कहा कि आज की गृहिणी अगर स्मॉल स्किल बिजनेस करना चाहती हैं तो उनके लिए एक्सपोर्ट-इंपोर्ट का रास्ता आसान हो. साथ ही, उन्हें बिजनेस करने में कोई दिक्कत न हो इसके लिए पॉलिसी बनाने की जरूरत है. वहीं, ग्रीन एमएसएमइ पॉलिसी को बढ़ावा देने के लिए सरकार को कोई रास्ता दिखाना चाहिए. क्योंकि, अभी दुनियाभर में कार्बन फुटप्रिंट कम करने की चर्चा हो रही है. बजट में इसे शामिल करने की हमारी अपेक्षा है.
इंक कंपनी फैशन अपेरल्स प्राइवेट लिमिटेड की फाउंडर डायरेक्टर अंकिका देव ने कहा कि मेरी कंपनी को स्टार्टअप बिहार से समर्थन प्राप्त है. इसमें जिनका भी चयन होता है, उनके लिए एक और फंड की व्यवस्था करनी चाहिए. फंड के साथ कुछ ऑर्डर भी मिले. ताकि, बिजनेस में ट्रांजेक्शन स्टार्ट हो जाए. इससे उद्यमी को टैग भी मिल जाएगा कि वह बिहार सरकार के इस विभाग के साथ काम भी किया है. इससे दूसरे राज्यों में भी अपने स्टार्टअप को बढ़ावा देने में आसानी होगी.
उद्यमी कावेरी सिंह ने कहा कि सरकार को ऐसे फंड उपलब्ध कराने चाहिए, जिससे आम लोग अपने स्टार्टअप शुरू कर सकें. हमें लघु उद्योग को बढ़ावा देना चाहिए. यहां की महिलाओं को कुछ स्मॉल अमाउंट दिया जाना चाहिए ताकि, घर बैठे वह कुछ प्रोडक्ट बना कर बेच सकें. चीन से हमें सीखने की जरूरत है. वहां हर सदस्य काम करते हैं. ऐसे ही हमें भी काम करना चाहिए. हर घर हर काम हो. वहीं, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, ग्रोसरी जैसी बुनियादी जरूरतों पर टैक्स कम होना चाहिए ताकि आम लोगों को राहत मिले.
शिक्षका मनीषा ने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य व बिजली. इन तीनों चीजों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. बिजली मुफ्त दी जानी चाहिए. स्लम एरिया के बच्चे इससे काफी प्रभावित होते हैं. रात में बिजली नहीं होने के चलते होमवर्क पूरा नहीं कर पाते हैं. वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में हायर एजुकेशन को कोई व्यवस्था नहीं है. इन चीजों पर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है. बड़े-बड़े अस्पताल व मेडिकल कॉलेज भी छोटे-छोटे शहरों में उपलब्ध हो, तभी सुंदर भारत का सपना साकार होगा.
अंकुरम रोबो प्रा लि की फाउंडर डायरेक्टर डॉ साधना झा ने कहा कि बजट में स्टार्टअप शामिल किया जाता है लेकिन कई बार यह देखा गया है कि केंद्रीय सरकार की ओर से कोई योजना लागू हुई तो वह जल्द आम लोगों तक पहुंच नहीं पाता है. मुद्रा लोन की बात करें तो इसमें हर कैटेगरी को शामिल किया गया बस रोबोटिक्स और एआइ सेगमेंट इसमें नहीं है. उम्मीद काफी है लेकिन हर बार बजट सोच के उलट ही आता है.
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टेक्सटाइल डिजाइनर सुनीता प्रकाश ने कहा कि मैं खुद एक कलाकार हूं तो रिटायरमेंट के बाद सीनियर कलाकारों के लिए पेंशन सरकार की ओर से फिक्स की गयी है. इसकी राशि बढ़ाई जानी चाहिए, आज विमान का सफर लग्जरी नहीं समय की मांग हो गयी है. ऐसे में इसके किराये को आम लोगों के आर्थिक स्थिति को देखते हुए तय करना होगा. इंफ्रास्ट्रक्चर पर करोड़ों खर्च होते हैं, लेकिन आप किसी भी कोने में चले जाइए आपको शहर पूरे साल खुदे हुए मिलेंगे.
जेंडर रिसर्चर दिव्या गौतम ने कहा कि जो भी बजट बनता है जेंडर सेंसिटिव बजटिंग नहीं होती है. इस पर ध्यान देने की जरूरत है. यहां पर कई बाहर की देशों की ओर से स्टूडेंट्स के लिए सेंटर चलाये जाते हैं इसमें पढ़ने वाली बच्चे आर्थिक तौर पर मजबूत होते हैं. इन सेंटर में हर वर्ग के बच्चों को शामिल किया जायेगा. महिलाएं पढ़ तो लेती है लेकिन उनका लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन कम होता है. इन बातों पर ध्यान देने की जरूरत है.
आर्यभट्ट ज्ञान विवि की छात्रा श्रद्धा कुमारी ने कहा कि स्टूडेंट्स के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म महंगे हो गये है. इंटरनेट भी लगातार महंगी होती जा रही है. अगर हमें पढ़ाई के लिए इंटरनेट मुफ्त में दिया जाता तो पढ़ाई सुलभ हो जाता. इसके अलावे किताब-कॉपी में लगने वाले जीएसटी को कम करना चाहिए. इसकी कीमतों में भी लगातार इजाफा हो रहा है. सभी कॉलेजों में बच्चों को लाइब्रेरी एक्सेस की सुविधा मिलनी चाहिए. साथ ही, इंफ्रास्ट्रक्टर को बेहतर करने के साथ लैब को दुरुस्त करना होगा.
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