House Entrepreneur: ‘महिलाओं की जगह सिर्फ किचन में है.’ ऐसा कभी न कभी आपने जरूर सुना होगा. पर जरा सोचिए, महिलाएं यदि अपने किचन को ही कमाई का जरिया बना ले? फिर उन्हें हाउस आंत्रप्रेन्योर बनने से भला कौन रोक सकता है. शहर की ऐसी कई महिलाएं हैं, जो ‘घर की रसोई’ से ही काफी अच्छी कमाई कर रही हैं. ये महिलाएं हाउस वाइफ नहीं, बल्कि अब ‘हाउस आंत्रप्रेन्योर’ कहीं जाती हैं. ये सभी ‘क्लाउड किचन’ के कॉन्सेप्ट को अपनाकर बिजनेस को एक नया रूप दे रही हैं.
शहर की इन महिलाओं ने घरेलू रसोई को सफल व्यवसाय में बदला
1. खाना बनाने के पैशन को बिजनेस में बदला – ऋचा, पटेल नगर
‘नवीन भोजन भात’ नाम से क्लाउड किचन चलाने वाली ऋचा पटेल नगर की रहने वाली हैं. इन्होंने इसकी शुरुआत साल 2021 में की थी. खाना बनाना और खिलाना इनका पैशन है. माता-पिता चाहते थें कि बेटी मेडिकल करे. इसलिए उनके कहने पर ऋचा ने मेडिकल की तैयारी की और परीक्षा भी क्लियर कर लिया. पर, बाहर के कॉलेज मिलने से उनके पेरेंट्स तैयार नहीं हुए. फिर वे ग्रेजुएशन कर प्राइवेट जॉब करने लगीं. शादि के बाद जब पति से अपने किचन व खाना बनाने के शौक को शेयर किया तो, उन्होंने मुझे ‘क्लाउड किचन’ का सुझाव दिया. यहीं से इस सफर की शुरुआत हुई. ऋचा ने बताया कि पहला ऑर्डर चाइनीज फूड का आया था. रोजाना 18- 20 ऑर्डर आ जाते हैं. इस से महीने में चालीस हजार रुपये तक की कमाई हो जाती है.
2. पिछले सात साल से चला रहीं क्लाउड किचन – दिव्या सिंह, बोरिंग रोड
बोरिंग रोड की रहने वाली दिव्या सिंह पिछले सात साल से क्लाउड किचन ‘नमस्ते बिहार’ चला रही हैं. अपने जीवन में तमाम दुख झेल चुकी दिव्या को अपने किचन के हुनर को व्यवसाय में बदलने के लिए उनके पति ने प्रेरित किया. फिर उन्होंने अपने घर के किचन को क्लाउड किचन में बदलकर एक बिजनेस का रूप दे दिया. कोरोना काल के दौरान उन्होंने कई लोगों को खाना बनाकर खिलाया. दिव्या कहती हैं, मेरा पहला ऑर्डर पूरी सब्जी का आया था, जो मेरे मेन्यू लिस्ट में नहीं था. फिर भी उस महिला ग्राहक की आग्रह पर मैंने उसे तैयार किया, जिसके लिए मुझे 40 रुपये मिले थे. आज मेरे क्लाउड किचन में 90 से ज्यादा आइटम्स मेन्यू में शामिल है. सालाना इससे तीन लाख रुपये का इनकम हो जाता है.
3. मुझे भी फाइनेंशियली इंडिपेंडेंट बनना था – वंशिका कबीर, कुर्जी
कुर्जी पाटलिपुत्र की रहने वाली 19 वर्षीय वंशिका कबीर पिछले साल 12वीं पास की हैं और अभी ग्रेजुएशन फर्स्ट इयर में हैं. वे पिछले तीन महीने से ‘बॉक्स मील’ और ‘रेड- द एशियन’ किचन के नाम से क्लाउड किचन चला रही हैं. वंशिका का कहना है कि मां को मैंने इंडिपेंडेंट वीमेंन के तौर देखा, तो लगा कि मुझे भी फाइनेंशियली इंडिपेंडेंट बनना है, जिसकी शुरुआत मैंने क्लाउड किचन से की. शुरुआत में क्लाउड किचन में जो भी खाना बनाती थी, उसकी पिक्चर इंस्टाग्राम पर शेयर करती थी. लोगों का बहुत अच्छा रिस्पॉन्स मिलने लगा. मेरा पहला ऑर्डर चिल्ली चिकन का था जिसे किसी फूड ब्लॉगर ने किया था. एक दिन में 50-60 ऑर्डर आते हैं. अभी महीने का चार लाख रुपये का इनकम हो जाता है.
4. लोगों को पसंद आती है गुजराती स्नैक्स – दीप्ति चक्रवर्ती, बुद्ध् मार्ग
बुद्ध मार्ग की रहने वाली दीप्ति चक्रवर्ती मूल रूप से गुजरात की रहने वाली हैं और यहां उनकी ससुराल है. यहां रहते हुए वे गुजराती स्नैक्स को काफी मिस करती थीं.ऐसे में उन्होंने ‘गुड लाइट स्नैक्स’ और ‘गुजराती फरसांग’ नाम से क्लाउड किचन की शुरुआत की. वे कहती हैं, महिला उद्योग संघ की अध्यक्ष उषा झा ने मेरे स्नैक्स की काफी तारीफ की और उन्होंने ऑर्डर भी किया था, जिससे मुझे काफी प्रोत्साहन मिला. मुझे जितने भी ऑर्डर आते हैं, वह वाट्स एप और कॉल के जरिये आते हैं. लोगों का रिस्पांस काफी अच्छा रहता है. सारे उत्पाद आटे के होते हैं, इसलिए ऐसे उत्पादों की मांग ज्यादा होती है. क्योंकि मैं सामग्री की गुणवत्ता को लेकर बहुत सजग रहती हूं. हर दिन करीब 25-30 ऑर्डर इसके लिए आते हैं.
5. संजीव कपूर की ऑनलाइन क्लास से मिली मदद – किरण वर्मा, आशियाना
आशियाना-दीघा रोड की रहने वाली किरण वर्मा पहले सिलीगुड़ी में रहती थी. खाना बनाना उनका शौक है, लेकिन इसमें और बेहतर करने के लिए उन्होंने कुकिंग की मास्टर क्लासेस में एडमिशन ले लिया. कुछ दिनों के बाद जब पति का ट्रांसफर पटना हुआ, तो वे यहां आ गयीं. कुछ समय के लिए जब वे दिल्ली गयीं, तो वहां उन्हें क्लाउड किचन के बारे में पता चला. फिर किरण ने अपनी घरेलू रसोई को व्यवसाय का रूप दे दिया और क्लाउड किचन की शुरुआत की. इस दौरान वे संजीव कपूर की ऑनलाइन क्लास से भी जुड़ी और खाना में तड़का लगाती रहीं. धीरे-धीरे किचन की मेन्यू में 46 से ज्यादा आइटम जुड़ गये. स्विगी, जोमैटो से दिन भर में 20-25 ऑर्डर मिल जाता है. महीने में सबकुछ निकाल कर अच्छा इन्कम हो जाता है.