एड्स के खतरनाक चंगुल में फंस रहा बिहार का यह इलाका, रेड लाइट एरिया में भी HIV बनी बड़ी चुनौती…

World Aids Day 2024: बिहार का एक इलाका ऐसा है जहां एड्स मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. हर महीने और फिर साल के आंकड़े चेतावनी दे रहे हैं. रेड लाइट एरिया में भी मरीजों की बढ़ती संख्या एक चुनौती है...

By ThakurShaktilochan Sandilya | December 1, 2024 9:56 AM

World Aids Day 2024: बिहार के सीमांचल इलाके में एड्स मरीजों की बढ़ती संख्या चिंता की वजह बन चुकी है. एचआइवी (HIV) विषाणु द्वारा फैलने वाली यह जानलेवा बीमारी पूर्णिया समेत पूरे सीमांचल इलाके में इस तरह अपना पैर पसार रही कि इसे लेकर आम लोग व स्वास्थ्य विभाग की भी चिंता बढ़ चुकी है. लगभग हर इलाके में यहां इसके मरीज मिल रहे हैं. पूर्णिया के राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल परिसर में स्थापित एआरटी केंद्र के आंकड़े हैरान करने वाले हैं. कोसी-सीमांचल में जिस रफ्तार से मरीजों की संख्या बढ़ रही है उससे स्वास्थ्य विभाग चिंतित है.

कोसी-सीमांचल क्षेत्र में एड्स के मामले बढ़े

कोसी-सीमांचल क्षेत्र में प्रत्येक महीने करीब 25 से 30 नए एचआइवी संक्रमित लोगों के नाम पूर्णिया अस्पताल परिसर के एआरटी केंद्र में दवा के लिए जुड़ते हैं. संक्रमण का ग्राफ जिस रफ्तार से बढ़ रहा है वो चिंताजनक है. एचआइवी जांच केंद्र पर करीब 25 से 30 मरीज एचआइवी टेस्ट के लिए पहुंचते हैं और इनमें करीब 15 से 17 लोगों में एड्स की पुष्टि भी हो रही है. पूर्णिया में एआरटी केंद्र जब खुला तो एचआइवी संक्रमितों की जितनी संख्या शुरुआत में मिली उससे तीन गुना से अधिक अब चार साल के बाद मिलने लगा है.

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अबतक हजारों मरीज मिल चुके, जानिए क्यों होता है यह रोग…

डॉक्टर बताते हैं कि संक्रमित रक्त, असुरक्षित यौन संबंध, सुईयों, सिरिंज आदि के द्वारा यह रोग एक से दूसरे संक्रमित में पहुंचता है. एड्स के लिए विभिन्न संस्थाओं के द्वारा चलाए जा रहे जागरूकता अभियान के बाद भी मरीजों की बढ़ती संख्या एक चेतावनी है. पूर्णिया एआरटी सेंटर में अभी तक तीन हजार से अधिक एड्स मरीज का रजिस्ट्रेशन हो चुका है.

कहां मिल रहे अधिक मामले?

सर्वेक्षण निरीक्षक बीएन प्रसाद कहते हैं कि अधिकतर जांच कैंप सेक्स वर्कर्स के इलाकों में आयोजित किए जाते हैं. इस तरह के अधिकतर मामले इन्हीं इलाकों में पाए जाते हैं. ड्रग के लिए इस्तेमाल की गयी एक ही सूई या सीरिंज के इस्तेमाल के मामले इन इलाकों में नहीं के बराबर है.

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