हिमांशु देव@पटना
World Blood Donor Day 2024 समय पर किसी जरूरतमंद को ब्लड मिल जाए, तो उसकी जान बचायी जा सकती है. पर, पटना जिले के चार मेडिकल कॉलेजों में हर साल करीब 1.2 लाख ब्लड की जरूरत पड़ती है. लेकिन इनमें से केवल 25 फीसदी ही ब्लड उपलब्ध हो पाता है. ब्लड ग्रुप ए निगेटिव (ए-) मिलना, तो काफी मुश्किल हो जाता है. अगर इसके कारणों पर एक नजर डालें, तो एक ही बात सामने आती है कि लोगों में इसे लेकर आज भी जागरूकता की कमी है. बता दें कि वर्ष 2021-22 में स्वैच्छिक रक्तदान से प्रदेश में मात्र एक लाख 85 हजार 137 यूनिट यानी करीब 16 प्रतिशत खून ही एकत्र किया जा सका. इसमें से एक लाख 22 हजार 287 यूनिट रक्त सरकारी ब्लड बैंकों में और 62 हजार 850 यूनिट निजी ब्लड बैंकों द्वारा जुटाया गया. वहीं साल 2023-24 में सरकारी ब्लड बैंकों में करीब 14 हजार यूनिट और प्राइवेट में 1354 यूनिट खून एकत्र हुआ है. इसमें 13 सरकारी और दो रेड क्रॉस ने ब्लड एकत्र किया है. बता दें कि पटना जिले में सात सरकारी व 25 प्राइवेट ब्लड बैंक हैं.
साल भर में 1.2 लाख यूनिट की पड़ती है जरूरत
पटना के चार मेडिकल में हर साल करीब 1.2 लाख यूनिट ब्लड की जरूरत पड़ती है. इसमें पटना के सरकारी अस्पतालों की क्षमता 25 सौ ब्लड यूनिट संग्रहण की है. बता दें कि, जरूरत के हिसाब से करीब 25 फीसदी ब्लड उपलब्ध हो पाता है. डॉक्टर्स का कहना है कि रक्तदान को लेकर लोगों में आज भी कई तरह की भ्रांतियां हैं, जबकि हकीकत इससे अलग है. रक्तदाता से एक बार में 300 से 400 मिली रक्त लिया जाता है. जो शरीर में उपलब्ध रक्त का लगभग 15 वां भाग होता है. शरीर में रक्तदान के तत्काल बाद दान किये गये रक्त की प्रतिपूर्ति की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती है.