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World Cycling Day : पटना में इन अधिकारियों के पास है बाइक व गाड़ी फिर भी हर दिन करते हैं साइकिल की सवारी

World Cycling Day : साइकिल चालने के कई फायदे है. साइकिल स्वास्थ्य से लेकर पर्यावरण तक कर लिए फायदेमंद है. पटना में ऐसे कई अधिकारी एवं लोग हैं जो घर में गाड़ी होने के बावजूद भी बेहतर सेहत एवं पर्यावरण के लिए साइकिल चलाते है.

कभी गरीबों की सवारी मानी जाने वाली साइकिल बदलने वक्त में लोगों के लिए सेहत की सवारी बन गयी है. आज के परिपेक्ष्य में कई लोग साइकिल चलाने के चौतरफा फायदे बताते हैं. पहला पर्यावरण संरक्षण, दूसरा ईंधन की बचत, तीसरा बीमारियों का कम खतरा और चौथा हेल्दी व स्वस्थ शरीर. शहर के डॉक्टर्स और फिटनेस एक्सपर्ट भी मानते हैं कि रोजाना आधे घंटे प्रतिदिन साइकिलिंग से शरीर फिट रहता है और इम्यून सिस्टम भी मजबूत होता है. अपने शहर में ऐसे कई लोग हैं, जो आर्थिक रूप से संपन्न होने के बावजूद साइकिल की सवारी न केवल बेहतर स्वास्थ्य के लिए करते हैं, बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा व ईंधन की बचत के लिए भी करते हैं.

साइकिल की दीवानगी नहीं हुई कभी कम 

अपर मुख्य सचिव वित्त सह सीएम के प्रधान सचिव डॉ एस सिद्धार्थ पटना की सड़कों पर अक्सर सुबह-सुबह साइकिल से चलते दिख जाते हैं. शहर के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक वे साइकिल से जाकर शहर को करीब से देखते हैं. इससे जहां एक ओर वे अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दे पाते हैं, वहीं दूसरी ओर आम लोगों की समस्याओं को भी एक आम आदमी की तरह देखते हैं. डॉ एस सिद्धार्थ कहते हैं, मैंने बचपन में साइकिल चलाना शुरू किया था, तब से अबतक मेरी साइकिल के प्रति दीवानगी कम नहीं हुई है. अहम पदों पर रहने के कारण बेहद व्यस्त रहते हुए भी समय मिलते ही वे साइकिल की सैर पर निकल जाते हैं. वे कहते हैं, साइकिल चला कर मुझे जो खुशी मिलती है, उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकता.

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साइकिलिंग करने से मन फ्रेश हो जाता है

राजा बाजार के रहने वाले सुनील कुमार सिंह पिछले 30 साल से साइकिल का प्रयोग कर रहे हैं. वे कहते हैं, आजकल लोगों को साइकिल चलाने में बड़ी शर्मिंदगी महसूस होती है. उन्हें लगता है कि कार-बाइक के जमाने में साइकिल चलाने से उनका स्टेटस कम हो जायेगा. लेकिन वे ये नहीं जानते कि साइकिलिंग उनकी सेहत के लिए कितनी फायदेमंद है. मुझे तो साइकिल चलाने में बड़ा आनंद मिलता है. मैं हर रोज राजा बाजार से लेकर शहीद स्मारक और वहां से जू के गेट नंबर वन तक साइकिल से राउंड लगाता हूं. 45-50 मिनट तक साइकिलिंग करने से मन फ्रेश हो जाता है. सुबह साइकिलिंग के अलावा कभी-कभी छोटी दूरी तय करने के लिए भी मैं साइकिल का ही सहारा लेता हूं.

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दिनचर्या का हिस्सा बन गया है

आजकल बाइक-कार तो आम बात हो गयी है, पर मेरा साइकिल से गहरा प्रेम रहा है. यह कहना है सीजीएसटी एंड इएक्स के ज्वाइंट कमिश्नर आशीष कुमार का. इन्होंने बताया कि बीच में मैं काफी दिन साइकिल से दूर रहा. पर पिछले एक साल से इसका लगातार यूज कर रहा हूं. मैं रोजाना सुबह में डेढ़ घंटे साइकलिंग करता हूं. इससे पूरे बॉडी की एक्सरसाइज हो जाती हैं. साइकिलिंग मेरा सिर्फ शौक नहीं बल्कि अब तो यह दिनचर्या का हिस्सा बन गया है. इसके प्रयोग से आप पर्यावरण में होने वाले प्रदूषण को कम करने में योगदान देते हैं साथ ही स्वस्थ भी रहते हैं. खासतौर से अगर आप वजन कम करने की कोशिश कर रहे हैं, इसके लिए जिम नहीं जाना चाहते, तो साइकिलिंग एक बेहतरीन वर्कआउट साबित हो सकता है.

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साइकलिंग की वजह से सुबह उठने की आदत हो गयी

एजी कॉलोनी के रहने वाले रणविजय कुमार कस्टम विभाग में ज्वाइंट कमिश्नर के पद पर कार्यरत हैं. इनके घर पर गाड़ी है, बावजूद वे जब भी घर के आस-पास निकलते हैं, तो साइकिल का ही प्रयोग करते हैं. रोजाना वे सुबह जू के पास साइकिल चलाते हैं जबकि वीकेंड पर शाम में भी साइकिल का ज्यादातर प्रयोग करते हैं. रणविजय बताते हैं कि साइकिल एक ऐसा जरिया है, जिससे न सिर्फ आप खुद को फिजिकली फिट रख सकते हैं, बल्कि पर्यावरण को प्रदूषण से बचा सकते हैं. साइकलिंग की वजह से सुबह उठने की आदत हो गयी है. साइकिल की सवारी करता हूं इसलिए मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूं. वे हर व्यक्ति को दिन में कम से कम 30 मिनट साइकिल चलाने की सलाह देते हुए कहते हैं कि इससे पूरी कसरत हो सकती है.

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छह महीने के अंदर दिखने लगा प्रभाव

शशि रंजन पटना के कस्टम विभाग में सुपरिटेंडेंट के पद पर कार्यरत हैं. वे कहते हैं, लंबे समय तक जब आप ऑफिस में बैठते हैं, तो आपके शरीर में कई सारे बदलाव आते हैं. वजन बढ़ना, पेट निकलना और कभी-कभी घुटनों में दर्द होना शामिल है. मैं भी इससे काफी परेशान रहता था. ऑफिस के कई लोग रोजाना सुबह साइकलिंग करते थे, उन्हें देख कर ही मैंने भी साइकिल चलाना शुरू किया. छह महीने के अंदर ही इसका प्रभाव भी दिखने लगा है. मेरा अभी तक काफी वजन कम हुआ है साथ ही घुटनों का दर्द भी पूरी तरह से गायब हो गया है. अब जब भी मुझे घर के आस-पास निकलना होता है या फिर सामान लाना होता है, तो मैं बाइक और कार से जाने के बजाय साइकिल का ही इस्तेमाल करता हूं.

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