– दुबले-पतले बच्चे और युवा भी हो रहे फैटी लिवर के शिकार, डिब्बा बंद व जंक फूड बन रही इसकी वजह – पेट की समस्या लेकर ओपीडी में आ रहे युवाओं में लिवर एंजाइम्स, इम्युनोग्लोबिन मिल रहा बढ़ा हुआ ……………………….. इंट्रो : तेजी से बदलती लाइफस्टाइल के कारण लिवर से जुड़ी बीमारियां बेहद कॉमन होती जा रही हैं. शहर में बड़ी संख्या में लोग फैटी लिवर से पीड़ित हैं, जो काफी चिंता की बात है. लिवर पूरे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण ऑर्गन होता है, क्योंकि इसका पाचन तंत्र में सबसे अहम योगदान रहता है. अगर लिवर में प्रॉब्लम शुरू हो जाए, तो पूरी पाचन क्रिया ही गड़बड़ हो जाती है. इसका सबसे बड़ा कारण है बाजार में बने जंक फूड का अधिक सेवन. डॉक्टरों का कहना है कि लिवर में यदि किसी तरह का डिस्टरबेंस होता है, तो वह सिग्नल देता है. आज वर्ल्ड लिवर-डे पर पढ़िए लाइफ@सिटी की रिपोर्ट. ……………………………… लाइफ रिपोर्टर@पटना आजकल बच्चे और युवा फैटी लिवर के शिकार हो रहे हैं. वे देखने में भले ही दुबले-पतले और स्वस्थ नजर आते हैं, पर टेस्ट होने पर बीमारी का खुलासा हो रहा है. फैटी लिवर यानी पेट में सूजन, जिसे डॉक्टरों ने लीननाश बीमारी घोषित किया है. इसे लंबे समय तक नजरअंदाज किया गया, तो यह लिवर सिरोसिस का रूप ले लेती है. शहर के आइजीआइमएस, पीएमसीएच, एनएमसीएच और पटना एम्स जैसे अस्पतालों में पेट से संबंधित बीमारियों इलाज कराने आ रहे 60 प्रतिशत युवाओं में फैटी लिवर मिल रहा है. इस बढ़ती बीमारी को लेकर डॉक्टर भी हैरान हैं. डॉक्टरों का मानना है कि आने वाले वर्षों में एक बड़ी आबादी लिवर की समस्या से जूझ रही होगी और लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत वाले मरीजों की संख्या कई गुना बढ़ सकती है. हालांकि शुरुआती वर्षों में इससे कोई परेशानी नहीं होती, लेकिन अगर लंबे समय तक लिवर पर फैट जमा रहे, तो लिवर सिरोसिस और लिवर फेल होने का कारण भी बन सकता है. ……………………………… डॉक्टरों की स्टडी रिपोर्ट में हुआ खुलासा आइजीआइएमएस के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग की ओर से फैटी लिवर पर जागरूकता के उद्देश्य से एक स्टडी की गयी. इसमें 18-40 वर्ष के 50 और 16-20 वर्ष के युवा जो फैटी लिवर के शिकार हैं, उनकी हिस्ट्री रिपोर्ट तैयार की गयी. इन पीड़ित बच्चे व युवाओं में हाइपरटेंशन, शुगर, एलर्जी, किडनी संबंधी कोई बीमारी नहीं थी. लेकिन जब पेट की समस्या होने लगी तो वह अस्पताल आये. डॉक्टरों ने एलएफटी, एसजीओटी, एसजीपीटी समेत कई टेस्ट कराया, तो फैटी लिवर होने की बात सामने आयी. एलएफटी अधिकांश लोगों में 100 यूनिट प्रति लीटर होने की बात सामने आयी. जबकि यह 55 यूएल से ज्यादा नहीं होना चाहिए. स्टडी में सामने आया कि सामान्यता मोटे लोगों में फैटी लिवर होने की समस्या होती है, लेकिन अब जो रोगी आ रहे हैं वे दुबले-पतले हैं पर उनके लिवर में वैसी ही दिक्कत हैं, जैसे मोटे लोगों में होती है. आंतों के बैक्टीरिया में भी बदलाव मिला. इसके अलावा 30 प्रतिशत रोगियों का कोलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ पाया गया. ………………………… आइजीआइएमएस छोड़ पूरे बिहार में नहीं है ट्रांसप्लांट की सुविधा अपने शहर में लिवर ट्रांसप्लांट की सुविधा सिर्फ आइजीआइएमएस अस्पताल में है. इसके अलावा पूरे बिहार में किसी भी सरकारी संस्थान में इसकी सुविधा नहीं है. आइजीआइएमएस में अब तक सिर्फ एक मरीज का ही ट्रांसप्लांट हुआ. इसके बाद यहां भी ट्रांसप्लांट नहीं हो रहा है. यहां तीन साल में एक भी ट्रांसप्लांट नहीं हो पाया. मरीजों को मुंबई और दिल्ली जाना पड़ता है. इतना ही नहीं इन अस्पतालों में 35 से 40 लाख तक खर्च होने के डर से ज्यादातर के परिजन वहां से सलाह लेकर लौट आते हैं. हालांकि मरीजों को परेशानी नहीं हो इसके लिए हाल ही में यहां सुपरस्पेशियलिटी क्लिनिक की ओपीडी शुरू की गयी है. जहां गैस्ट्रो मेडिसिन व गैस्ट्रो सर्जरी विभाग के संयुक्त डॉक्टरों की टीम बैठती है. …………………………… लिवर संबंधी बीमारी के हैं तीन मुख्य कारण डॉक्टरों का मानना है कि लिवर संबंधी बीमारियों के बढ़ने के तीन मुख्य कारण हैं. अगर इन तीन कारणों को दूर कर लिया जाये तो काफी हद तक हम लिवर संबंधी बीमारियों से बच सकते हैं. ऐसे में अपने लिवर को सुरक्षित रखने के लिए जागरूकता जरूरी है. ये तीन कारण बदलती जीवनशैली, वायरस संबंधी संक्रमण और अल्कोहल का सेवन हैं. ………………….. मोटापा और एक्सरसाइज नहीं करने से होता है फैटी लिवर लिवर पर फैट जमने की शिकायतें आज तेजी से बढ़ गयी है. इसका मुख्य कारण मोटापा, एक्सरसाइज नहीं करना, फास्ट फूड और जंक फूड का अधिक सेवन, फैट और अधिक कैलोरी वाला खाना है. इसमें लिवर पर फैट जमा होने लगती है. शुरुआती वर्षों में इससे कोई परेशानी नहीं होती है. लेकिन अगर लंबे समय तक लिवर पर फैट जमा रहे तो लिवर सिरोसिस और लिवर फेल होने का कारण भी बन सकता है. ऐसे में डॉक्टर बताते हैं कि अगर लिवर पर फैट जमा हो तो अपना वजन कम करें, रोजाना कम से कम 30 से 40 मिनट एक्सरसाइज करना शुरू करें. संतुलित आहार लें. ………………………… केस 1 कंकड़बाग के रहने वाले कुमार रिदम की उम्र 34 वर्ष है. वह देखने में दुबले-पतले और स्वस्थ दिखते हैं. पर जब वे रूटीन टेस्ट कराने गये, तो एसजीपीटी 156 व एसजीओटी 163 निकला. शाकाहारी जीवन जीने वाले रिदम को लीननाश कैटेगरी में रखा गया और बीते चार महीने से आइजीआइएमएस में इलाज चल रहा है. ……………… केस 2 शहर के गोला रोड निवासी संजय कुमार की उम्र 36 वर्ष है. उन्हें पेट में गैस और कब्ज की शिकायत रहती है. संजय काफी दुबले-पतले हैं और जब वे पहली बार बीमार हुए तो टेस्ट में लिवर एनजाइमस बिगड़े मिले. उन्हें भी डॉक्टरों ने फैटी लीवर बीमारी बताते हुए डायग्नोस किया और दवा देकर इलाज चल रहा है. ……………………………. लिवर दिवस का महत्व इस दिन को मनाने का मुख्य मकसद लोगों को लिवर की सेहत के प्रति जागरूक करना है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में मृत्यु का 10वां सबसे आम कारण लिवर की बीमारी है. ऐसे में यह दिन फैट वाले भोजन से परहेज कर स्वस्थ जीवन शैली अपनाकर लोगों को अपने लिवर की देखभाल करने के लिए जागरूक करने के मकसद से मनाया जाता है. ……………………… ऐसे बचें फैटी लिवर से – खानपान में एहतियात बरतें, फाइबर युक्त भोजन लें. – रोज 25 ग्राम फाइबर जरूरी है. – जंक फूड से परहेज करें, वसायुक्त खाद्य पदार्थ न लें. – नियमित व्यायाम करें, सब्जियां अच्छी तरह से धोकर खाएं. …………………………. पैक्ड व जंक फूड से परहेज करें युवा दुबले-पतले व स्वस्थ युवा और बच्चे भी फैटी लिवर के तेजी से शिकार हो रहे हैं. यह खतरनाक लक्षण है. ऐसे में डिब्बा बंद भोजन से बच्चों को दूर रखें. फास्ट फूड, कोल्ड ड्रिंग, तली-भुनी और मैदा से तैयार वस्तुओं के सेवन पर रोक लगाएं. बच्चों की डाइट में सब्जियों और फलों को विशेष रूप में शामिल करें. डॉ मनीष मंडल, उपनिदेशक व पेट एवं लिवर रोग विशेषज्ञ, आइजीआइएमएस. ……………………… इन पांच तरीकों से अपने लिवर को स्वस्थ रखें 1. वजन नियंत्रित करें : अचानक तेज़ी से वज़न घटाने या बढ़ाने से परहेज करें क्योंकि ये क्रैश डाइट के परिणाम होते हैं, जो लीवर को प्रभावित करते हैं. वजन घटाने की प्रक्रिया धीमी और स्थिर होनी चाहिए. अपना लक्ष्य हासिल होने तक वजन स्थिर दर से घटाएं. 2. फैट यानी वसा से रहें दूर : ओमेगा 3 फैटी एसिड्स, फिश ऑयल, ऑलिव ऑयल, कनोला ऑयल, एवोकाडो और फ्लैक्सीड में मिलने वाला फैटी लिवर के लिए अच्छा होता है. मांस और मक्खन या अन्य पशु उत्पादों में मौजूद फैट से लिवर के फैटी होने की आशंका बढ़ जाती है. 3. भोजन में फाइबर शामिल करें: डाइट में अधिक से अधिक मात्रा में फाइबर या रेशों को शामिल करें. इसके साथ ही कैल्शियम की अच्छी मात्रा वाले खाद्य पदार्थों का भी सेवन करें. 4. व्यायाम : शरीर के सुस्त पड़े रहने से रोगों का जोखिम बढ़ जाता है और उससे पाचन प्रक्रिया सुस्त हो जाती है. साथ ही पेट भी साफ नहीं रहता. इस कारण बाइल जूस गॉल बाहर नहीं निकल पाता है और इससे लिवर प्रभावित होता है. 5. ढेर सारा पानी पीएं : किसी भी बीमारी विशेष तौर पर जिसमें गैस्ट्रोनॉमिकल अंग शामिल हों, से बचने का सबसे आसान और सस्ता तरीका है पानी.