बिहार सरकार के द्वारा सभी सरकारी ऑफिसों को ऑनलाइन करने की कवायद की जा रही है. इससे लोगों को घर बैठे कई सुविधाओं का लाभ मिलेगा. बताया जा रहा है कि अब मुजफ्फरपुर जिला परिवहन कार्यालय (डीटीओ) बहुत ही हाइटेक हो चुका है. पिछले छह माह से अब सभी काम ऑनलाइन सेवाओं के जरिये हो रहे हैं. लर्निंग लाइसेंस, परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस, गाड़ी का ट्रांसफर, फिटनेस, परमिट, प्रदूषण, गाड़ियों का री-रजिस्ट्रेशन, लोन कैंसिलेशन आदि सभी प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी हो गयी. नये गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन, हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट, च्वाइस नंबर लेने आदि प्रक्रिया पूरी तरह से वाहन एजेंसी के हवाले कर दी गयी. अब गाड़ियों का रिकॉर्ड परिवहन विभाग के साथ सभी वाहन एजेंसियों के पास भी उपलब्ध है. डीटीओ सुशील कुमार ने बताया कि अब ऑफिस में काम काफी पारदर्शी हुआ है. गाड़ी मालिक को खुद से ऑनलाइन आवेदन कर, चालान कटा कर अपना काम करा सकते हैं. थोड़े बहुत जो पुराने ड्राइविंग लाइसेंस और पुराने गाड़ियों के ऑफलाइन पेपर हैं, उन्हें भी ऑनलाइन किया जा रहा है.
पूरे देश में वन नेशन वन कार्ड के तहत डीएल और गाड़ी के ऑनरबुक का रंग आसमानी है, जिसके पीछे बार कोड अंकित है. उसे स्कैन करने पर पूरी जानकारी फोन पर उपलब्ध है. लर्निंग लाइसेंस में आवेदन के बाद कंप्यूटर होने वाले टेस्ट की तिथि खुद से आवेदक चुनते, इससे पहले उन्हें सड़क सुरक्षा जागरूकता संबंधित फिल्म देखना अनिवार्य होता. लर्निंग बनने के बाद फाइनल लाइसेंस का चालान एक महीना बाद कटाने के बाद उसके टेस्टिंग की तिथि भी चालक खुद से चुनते. बेला में ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक पर होती जांच. पुराने किताब वाले लाइसेंस के रिनुवल में ऑफिस के रिकॉर्ड रजिस्टर का फोटो होता अपलोड. नये हेवी लाइसेंस व रिनुवल में मोटर ट्रेनिंग स्कूल का सर्टिफिकेट अनिवार्य.
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निर्भया कांड के बाद यात्रियों की सुरक्षा के लिए यात्री वाहनों में व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस-इमरजेंसी बटन (वीएलटीडी) को अनिवार्य किया गया. प्रथम चरण में इसे केवल बसों में लगाने की शुरुआत हुई. जिले में 7144 बसों का निबंधन है, जिसमें अब तक 2141 वाहनों में इसे लगाया गया है. इसमें से 507 में लगी अभी काम नहीं कर रही है. इसे लगाने में पहले नंबर पर पटना है जहां सर्वाधिक 4483 और पूरे बिहार में 15150 वाहनों में इसे लगाया गया है.
वाहन संबंधित कोई भी काम जैसे ट्रांसफर, लोन कैंसिलेशन, परमिट आदि में सभी कागजात अपडेट को अनिवार्य. अगर आपके पेपर इंश्योरेंस, प्रदूषण, फिटनेस, हाइ सिक्योरिटी नंबर प्लेट अपडेट नहीं होगा, तो विभाग का सॉफ्टवेयर उस काम को आगे करने की इजाजत नहीं देता. यहां तक की अब डुप्लीकेट ऑनरबुक व डीएल में भी सनहा नंबर दर्ज करना अनिवार्य कर दिया गया है. गाड़ियों के फिटनेस की जांच भौतिक रूप के साथ एप से होती है. अब बिना स्पॉट पर गये फिटनेस नहीं बन पायेगा. ये सारे काम ऑनलाइन होने से इसमें फर्जीवाड़ा की संभावना न के बराबर हो गयी है.