मुजफ्फरपुर. कोरोना से अपने परिजनों को बचाने के लिए लोग सब कुछ दांव पर लगा रहे हैं. अस्पताल में भर्ती करा कर इलाज कराने वाले कई परिवारों की आर्थिक स्थित खराब हो गयी है. कई परिवारों का बैंक बैलेंस खाली हो गया है तो कई जेवर बंधक रख कर रुपए जुटा रहे है. कुछ परिवारों ने तो अपनी जायदाद तक बेच दी है. रोज कमाने खाने वाले परिवारों के लिए यह बीमारी काल बन कर सामने आया है.
चंदवारा निवासी रामकृष्ण चौधरी को पत्नी के इलाज के लिए ढाई लाख खर्च करना पड़ा. इनकी पत्नी 10 अप्रैल को कारोना से संक्रमित हुई थीं. रामकृष्ण ने इन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया. दस दिन बाद पत्नी ठीक हो गईं.
अस्पताल का बिल ढाई लाख था. जेनरल स्टोर्स चलाकर जीवन-यापन करने वाले रामकृष्ण ने एक संबंधी से रुपया कर्ज लेकर अस्पताल का बिल चुका दिया. बाद में उन्होंने गांव में अपनी जमीन बेच कर संबंधी को रुपया चुका दिया. ये कहते हैँ कि पत्नी स्वस्थ हो गई. लेकिन इस बीमारी के कारण एक महीने का कारोबार ठप रहा और परेशानी भी उठानी पड़ी.
लकड़ीढाई रोड निवासी शंभु वर्मा का 25 वर्षीय बेटा कोरोना पॉजीटिव हो गया था. पांच दिनों बाद जब उन्हें सांस लेने में समस्या हुई तो एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. सात दिनों तक अस्पताल में इलाज के बाद इनका बेटा स्वस्थ हो गया. अस्पताल का बिल 1.30 लाख था.
इनके पास सिर्फ 60 हजार रुपए थे. इन्होंने बेटी की शादी के लिए रखे एफडी तोड़ कर अस्पताल का बिल भरा. शंभु वर्मा कहते हैं कि बेटा बच गया, वहीं उनके लिए बहुत है. रुपयों का उपाय कर फिर बेटी के नाम से एफडी कर लेंगे.
Posted by Ashish Jha