कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन हादसा : ओडिशा में अभी भी अपने परिजनों के शव ढूंढ़ रहे बिहार-बंगाल के लोग
ओडिशा में 2 जून को भीषण रेल हादसा हुआ था. इसमें पौने तीन सौ लोगों की मौत हुई. 81 मृतकों के शवों की अब तक पहचान नहीं हो पायी है. इन 81 शवों के लिए 85 परिवार के लोगों ने डीएनए के सैंपल दिये हैं. कम से कम 35 लोग अब भी गेस्टहाउस में अपने परिजनों के शव के मिलने का इंतजार कर रहे हैं.
ओडिशा में दो जून को हुए ट्रेन हादसे के शिकार लोगों के परिवार वालों का दुख-दर्द खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. इस घातक दुर्घटना के करीब चार सप्ताह बाद भी कुछ परिवार वालों को अपनों के शव मिलने का इंतजार है। इस हादसे में करीब 300 लोगों की मौत हुई थी. बिहार के बेगूसराय जिले के बारी-बलिया गांव की बसंती देवी अपने पति का शव पाने के लिए पिछले 10 दिन से एम्स के पास एक सुनसान इलाके में स्थित ‘गेस्ट हाउस’ में डेरा डाले हुए है.
बिहार की महिला ढूंढ़ रही अपने पति को
नम आंखों के साथ उन्होंने कहा, ‘मैं यहां अपने पति योगेंद्र पासवान के लिए आयी हूं. वह मजदूर थे. बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस से घर लौटते समय बाहानगा बाजार में दुर्घटना में उनकी मौत हो गयी थी.’ उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों ने कोई समय नहीं बताया है कि कब तक शव मिल पायेगा. बसंती देवी ने कहा, ‘हालांकि कुछ अधिकारियों का कहना है कि इसमें पांच दिन और लगेंगे, अन्य का कहना है कि इसमें और समय लग सकता है. प्रशासन की ओर से कोई स्पष्टता नहीं है.’
3 बच्चों को घर में छोड़कर पति की तलाश कर रही बसंती देवी
उन्होंने कहा, ‘मेरे पांच बच्चे हैं. तीन बच्चे घर पर हैं और दो बेटों को मैं साथ लाई हूं. मेरे पति घर में अकेले कमाने वाले थे. मुझे नहीं पता कि अब हमारा गुजारा कैसे हो पायेगा.’ ऐसी ही स्थिति पूर्णिया के नारायण ऋषिदेव की है, जो चार जून से अपने पोते सूरज कुमार के शव का इंतजार कर रहे हैं. सूरज कोरोमंडल एक्सप्रेस से चेन्नई जा रहा था. अपनी मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करने के बाद सूरज नौकरी की तलाश में चेन्नई जा रहा था.
शिवकांत रॉय के बेटे का शव किसी और को सौंप दिया
उन्होंने कहा, ‘अधिकारियों ने मेरे डीएनए के नमूने लिये हैं, लेकिन अभी तक उसकी रिपोर्ट नहीं आयी है.’ पश्चिम बंगाल के कूचबिहार जिले के शिवकांत रॉय ने बताया कि जून के अंत में उनके बेटी की शादी थी, जिसके लिए वह तिरुपति से घर लौट रहा था. शिवकांत रॉय ने कहा, ‘मेरे बेटे का शव केआईएमएस अस्पताल में था, लेकिन मैं बालासोर के अस्पताल में उसे ढूंढ़ रहा था. मुझे बाद में बताया गया कि केआईएमएस अस्पताल ने बिहार के किसी परिवार को उसका शव दे दिया है, जो उसे ले गये और उसका अंतिम संस्कार कर दिया.’
35 लोगों ने गेस्ट हाउस में डाल रखा है डेरा
इसी तरह, बिहार के मुजफ्फरपुर की राजकली देवी अपने पति के शव का इंतजार कर रहीं हैं. उनके पति चेन्नई जा रहे थे, जब यह हादसा हुआ. डीएनए रिपोर्ट आने में देरी के कारण कम से कम 35 लोग ‘गेस्ट हाउस’ में डेरा डाले हुए हैं, जबकि 15 अन्य लोग घर लौट गये हैं. एम्स के निदेशक आशुतोष बिस्वास को पीटीआई के पत्रकार ने फोन किया, तो उन्होंने रिसीव नहीं किया. न ही किसी संदेश का जवाब दिया.
तीन कंटेनर में रखे हैं 81 शव
रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि वे दावेदारों से अपने डीएनए नमूने उपलब्ध कराने की अपील कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘हम एम्स और राज्य सरकार के बीच केवल एक पुल हैं.’ इस बीच, भुवनेश्वर एम्स में तीन कंटेनर में संरक्षित 81 शव की पहचान अभी तक नहीं हो पायी है. अब तक कुल 84 परिवारों ने डीएनए के नमूने दिये हैं.
2 जून को ओडिशा में हुआ था भीषण रेल हादसा
उल्लेखनीय है कि चेन्नई जाने वाली कोरोमंडल एक्सप्रेस, हावड़ा जाने वाली एसएमवीपी-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी दो जून 2023 को बालासोर जिले के बाहानगा बाजार स्टेशन के पास एक घातक दुर्घटना का शिकार हो गयी थी. इसमें पौने तीन सौ लोगों की मौत हुई थी.