बिहारशरीफ के माहौल में जब था तनाव, तो देवदूत बन इन लोगों ने पेश की इंसानियत की मिसाल, अब तक 130 गिरफ्तार

बिहारशरीफ में रामनवमी जुलूस के दौरान जो हिंसा और आगजनी हुई उस दौरान कुछ ऐसे मसीहा बनकर सामने आये, जिन्होंने अपनी जान की बाजी लगाकर या तो किसी के जान बचाई या फिर किसी के रोजगार को लूटने से बचाया. आइए जानते हैं कुछ ऐसी ही घटनाओं के बारे में

By Prabhat Khabar News Desk | April 7, 2023 4:42 AM

निरंजन, बिहारशरीफ. बिहारशरीफ सूफी संतों की नगरी रही है. यहां महान सूफी बाबा मकदूम साहब का मजार और संत सिरोमणी बाबा मणिराम का अखाड़ा दोनों संप्रदायों के बीच आपसी सद्भाव की मिसाल है. जहां दोनों संपद्राय के लोग एक–दूसरे के मेले में शरीक होते हैं और लंगोट व चादरें चढ़ाकर अमन-चैन की दुआ मांगते हैं. यहां के दोनों संप्रदाय के लोग शुरू से ही आपस में मिलकर रहते आ रहे हैं. यही कारण है कि वर्ष 1981 की हिंसा के बाद वर्ष 1998 में हिंसा हुई, फिर 25 वर्षों के बाद रामनवमी जुलूस के दौरान हिंसा हुई.

विगत 31 मार्च को बिहारशरीफ में रामनवमी जुलूस के दौरान स्थानीय गगन दीवान के पास जो हिंसा और आगजनी हुई, उसकी लपटें और भी तेज हो सकती थी, लेकिन बिहारशरीफ के अमन पसंद वाशिंदों ने शहर को जलने से बचा लिया. इस हिंसा के दौरान कुछ ऐसे मसीहा बनकर सामने आये, जिन्होंने अपनी जान की बाजी लगाकर या तो किसी के जान बचाई या फिर किसी के रोजगार को लूटने से बचाया.

इंसानियत की मिसाल

  • जिस वक्त रामनवमी का जुलूस गगन दीवान के पास गुजर रहा था, उस वक्त जुलूस में फेकू रथ पर सवार कलाकारों को फेकू रथ के संचालक मो. फेकू ने सबसे पहले इन कलाकारों को रथ घुमाकर उनकी जान बचाई.

  • भरावपर स्थित मस्जिद के इमाम बहाब साहब और अन्य 35 नामाजी मस्जिद में फंस गये थे और मस्जिद के कैंपस में ही स्थित कुछ दुकानें आग से धू-धू कर जल रही थी. तब इमाम साहब और फंसे नामाजी अपनी मौत को नजदीक से देख रहे थे, लेकिन मस्जिद के पास के रहने वाले दूसरे सांप्रदाय के एक रहनुमा ने जिला प्रशासन को इसकी सूचना दी, तब प्रशासन ने इनको सुरक्षित बाहर निकाला.

  • भरावपर स्थित अधिवक्ता शारदानंद के मार्केट के आगे ए वन कंप्यूटर की दुकान को कुछ उपद्रवियों ने जलाने का प्रयास किया, तब अधिवक्ता शारदानंद खुद आगे आकर कहा कि इसे आग लगाने से पहले उनके घर को आग लगानी होगी और वे खुद व उनके पुत्र रोहित दुकान के आगे खड़े हो गये, तब उपद्रवी वहां से हट गये. इस दुकान के संचालक मो. गुलफाम ने बताया कि अगर उनके दुकान के मालिक न होते तो उनका रोजगार खत्म हो गया होता.

  • इस घटना के एक दिन बाद रांची से आने वाली बस से एक महिला को बस वालों ने सुबह चार बजे बिहारशरीफ के बाइपास पर ही यह कहकर उतार दिया कि आगे स्थिति नाजुक है, तब अकेली महिला रीता देवी काफी देर खड़ी रही तो एक रिक्शा वाले मो. सलीम ने हिम्मत दिखाकर उस महिला को समान सहित उनके घर कमरुद्दीनगंज तक पहुंचाया.

तेजी से सुधर रहा है माहौल

बिहारशरीफ के अमन पसंद लोग कभी भी सांप्रदायिक हिंसा पर किसी को रोटी सेंकने का मौका नहीं देते हैं, यही कारण है कि बिहारशरीफ का माहौल तेजी से सुधर रहा है और फिर से चहल पहल शुरू हो गयी है. बिहारशरीफ में यह सांप्रदायिक घटना 25 वर्षों के बाद हुई है. इसके पहले वर्ष 1998 में इससे बड़ी हिंसा हुई थी, उस समय तत्कालीन जिलाधिकारी अरूण कुमार सिंह ने हमेशा के लिए सांप्रदायिक हिंसा को रोकने को लेकर अस्पताल चौक से सीधे जाने वाली मार्ग को सद्भावना मार्ग का नाम दिया था और इसी मार्ग से सभी धर्मों के जुलूस निकालने का आदेश जारी किया था, तबसे इसी सद्भावना मार्ग से सभी धर्मों के जुलूस निकलते आ रहे हैं और कभी भी कोई अप्रिय घटनाएं नहीं हुई है.

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130 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है

जिस तरह से तरह अफवाएं फैलाई जा रही है. यहां के समझदार नागरिक इन अफवाहों को गंभीरता से नहीं ले रहें हैं और सीधे नकार दे रहें हैं. शहर की स्थिति सामान्य होने में ये बड़ा कारण है. बहरहाल, बिहारशरीफ की स्थिति नियंत्रित करने में जिला प्रशासन सफल हो गयी है. अब तक 130 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि 30 लोगों की रिमांड पर लेकर पूछताछ की जा रही है. शहर की दुकानों को तीन बजे तक खोला जा रहा है.

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