मुजफ्फरपुर. शहर के एक बड़े व्यवसायी ने पिछले दिनों कोरोना को मात दी. घरवालों की खुशी का ठिकाना नहीं था. लेकिन, यह खुशी ज्यादा दिन तक नहीं टिक सकी. रिकवर होने के साथ ही उनके हाव- भाव में अचानक बदलाव आने लगा. पहले केवल पूजा में ज्यादा वक्त लगाने लगे, तो घरवालों ने ध्यान नहीं दिया.
फिर उनके बात करने का तरीका भी बदल गया. वे बड़ी- बड़ी बातें करने लगे. लोगों को बड़ा ओहदा और तरक्की का आशीर्वाद देने लगे. दिन भर इधर-उधर की बातें करते, वह भी बिना किसी तर्क के. नींद भी कम आ रही थी. घरवालों को अटपटा लगा, तो मनोचिकित्सक के यहां ले गये. डॉक्टर ने जो बताया, उससे घरवालों की बेचैनी बढ़ गयी. डॉक्टर के मुताबिक उस व्यक्ति में साइकोसिस के लक्षण मिले, जिसका उपचार चल रहा है.
दरअसल, पोस्ट कोरोना इफेक्ट अब ज्यादा लोगों को प्रभावित कर रहा है. कोरोना की पिछली लहर में केवल डिप्रेशन के मामले ही ज्यादा आये थे. इस बार साइकोसिस और मैनिया के लक्षण भी मिल रहे हैं.
वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ एके झा का कहना है कि कोरोना काल में मरीज का कुछ नर्वस सिस्टम डैमेज हो जाता है, जिसका सीधा असर उसके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है. शुरुआती लक्षण मिलने पर तत्काल चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए. इसके साथ ही घरवालों के सपोर्ट की भी जरूरत होती है, जिससे मरीज जल्दी रिकवर करता है.
मनोचिकित्सक डॉ एके झा ने कहा कि कोरोना संक्रमण से ठीक होने के दो- तीन हफ्ते बाद तक पता नहीं चलता, लेकिन धीरे- धीरे मरीज के हाव- भाव में बदलाव दिखने लगता है. कोरोना से ठीक हुए 20 से 25 फीसदी लोग डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं. इस बार साइकोसिस और मैनिया के लक्षण भी आ रहे हैं.
आरबीबीएम कॉलेज मनोविज्ञान विभाग की सहायक प्राध्यापिका डॉ अनु कुमारी ने कहा कि कोरोना से लोगों में नकारात्मक सोच की प्रवृत्ति बढ़ गयी है. इसका प्रमुख कारण अफवाह भी है, जो सबसे अधिक सोशल मीडिया के माध्यम से फैल रहा है. हमें सोशल मीडिया पर सीमित समय देना चाहिये. हमेशा सकारात्मक सोचना चाहिए.
Posted by Ashish Jha