कैलाशपति मिश्र, पटना. बिहार में रोजगार एक बड़ा मुद्दा है और सरकार लगातार लोगों को नौकरी देने की बात कर रही है. लेकिन हकीकत में सरकारी महकमे में अभी भी कई पद खाली पड़े हुए हैं. सरकार स्थायी नौकरी देने से परहेज कर रही है. इसका नतीजा हुआ है कि बिहार में स्थायी कार्यरत सरकारी कर्मचारियों की तुलना में पेंशन लेने वालों की संख्या करीब पौने दोगुना अधिक है. राज्य के सरकारी विभागों और कार्यालय में कार्यरत कर्मचारियों की संख्या 3.25 लाख है, जबकि पेंशन लेने वाले सेवानिवृत्त कर्मचारियों की संख्या लगभग पांच लाख है.
जानकारों का मानना है कि एक तरफ जहां राज्य के लोगों की औसत आयु में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, वहीं दूसरी तरफ सरकारी महकमे में स्थायी नियुक्ति कम हो रही है. जिस औसत में कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं, उस औसत में कर्मचारियों की नियुक्ति भी नहीं हो रही है. वित्त विभाग के सूत्रों का कहना है कि 60 से 70 आयु वर्ग के पेंशनभोगियों की तुलना में 70 से 80 आयु वर्ग के लोग अधिक हैं. हालांकि उसके बाद यह आंकड़ा कम होता जाता है.
बिहार के आर्थिक सर्वे 2022 अनुसार प्रदेश में लोगों की औसत आयु बढ़ोतरी हुई है. सर्वे रिपोर्ट के अनुसार 2010- 14 के बीच लोगों की औसत आयु 68.1 वर्ष थी, जो 2014-18 में बढ़कर 69.1 हो गयी है. वहींं, 2018-2022 में यह बढ़कर 70 साल से अधिक होने की संभावना जतायी जा रही है.
वर्ष पेंशन स्थापना
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2022-23 24252 29747
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2021-22 21817 27236
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2020-21 20468 24987
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2019-20 18457 23358
बिहार सचिवालय सेवा संघ के कार्यकारी महासचिव वरुण कुमार पांडेय कहते हैं कि कर्मचारी लगातार सेवानिवृत्त होते जा रहे हैं, लेकिन इस तुलना में नियुक्ति नहीं हो रही है. सचिवालय में अंडर सेक्रेटरी के 4000 पद स्वीकृत हैं, लेकिन वर्तमान में केवल 1500 कार्यरत हैं. इसी तरह की स्थिति अन्य सेवाओं की हैं. ऐसे में खाली पदों को नहीं भरा जायेगा, तो पेंशनर्स की संख्या बढ़ेगी.