यूपी दिल्ली से आयीं शिक्षिकाओं का बिहार को लेकर बदला नजरिया, योगदान के पहले लग रहा था डर, अब बता रही घर जैसा
कई राज्यों के शिक्षक-शिक्षिकाएं दिघवारा व समीपवर्ती प्रखंडों के सरकारी विद्यालयों में सेवा दे रहे हैं. ऐसे शिक्षक-शिक्षिका पिछले दो माह से बिहार में रहकर अपनी सेवा दे रहे हैं. इस दौरान उनलोगों को यहां के रीति-रिवाज, भोजन, वेशभूषा व स्थानीय लोगों के व्यवहार से हर दिन रू-ब-रू होना पड़ता है.
दिघवारा. बिहार में बीपीएससी द्वारा पहले चरण की शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होने के बाद सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों की पोस्टिंग कर दी गयी है और उत्तरप्रदेश, दिल्ली व पश्चिम बंगाल आदि कई राज्यों के शिक्षक-शिक्षिकाएं दिघवारा व समीपवर्ती प्रखंडों के सरकारी विद्यालयों में शिक्षक-शिक्षिका बन अपनी सेवा दे रहे हैं. ऐसे शिक्षक-शिक्षिका पिछले दो माह से बिहार में रहकर अपनी सेवा दे रहे हैं. इस दौरान उनलोगों को यहां के रीति-रिवाज, भोजन, वेशभूषा व स्थानीय लोगों के व्यवहार से हर दिन रू-ब-रू होना पड़ता है.
घरवालों की कमी नहीं खल रही
इस बाबत ”प्रभात खबर” ने दूसरे राज्यों से आयी महिला शिक्षिकाओं से बातचीत की, तो सबों ने एक स्वर में कहा कि हमलोग अपना घर व परिजनों को छोड़ कर आये हैं, लेकिन बिहारी से जितना अपनापन मिल रहा है, उससे अब उनलोगों को अपने घरवालों की उतनी कमी नहीं खल रही है. बिहारियों का अपनापन अनुकरणीय व प्रशंसनीय है. महिला शिक्षिकाओं ने कहा कि बिहार का लॉ एंड ऑर्डर बहुत अच्छा है और वे लोग अपने आप को यूपी व अन्य राज्यों से ज्यादा सुरक्षित मान रही हैं. योगदान से लेकर अब तक हर जगह बिहारियों से अपनापन मिल रहा है.
बिहार के लोगों ने अपना बड़ा दिल दिखाया
इंडक्शन ट्रेनिंग से लेकर ट्रेनिंग कॉलेजों तक जहां-जहां उन लोगों को जाने का मौका मिला, हर जगह बिहार के लोगों ने अपना बड़ा दिल दिखाया है. उन लोगों को बिहार में बेटी जैसा स्नेह मिल रहा है. बिहार में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होने से उनलोगों के माता-पिता, अभिभावक व परिजनों का उनलोगों की सुरक्षा को लेकर उत्पन्न टेंशन स्वतः दूर हो गया है.
बेटी जैसा मान-सम्मान मिल रहा
कानपुर, यूपी की रहनेवाली सरिता सिंह ने कहा कि जब बीपीएससी द्वारा शिक्षक बहाली में मेरा रिजल्ट आया, तो बिहार में योगदान से पहले यूपी में लोग तरह-तरह की बातें कर रहे थे, मगर बिहार आने पर जो अपनापन व सहयोग बिहारियों से मिला, वह शायद यूपी में भी नहीं मिलता. इंडक्शन ट्रेनिंग के दौरान गरखा में रही और अब दिघवारा में बच्चों को पढ़ा रही हूं. कहीं भी असुरक्षा का कोई भाव नहीं है. हर जगह बेटी जैसा मान-सम्मान मिल रहा है.
सारण के लोगों से बहुत ही स्नेह मिला
मऊ, यूपी की रहनेवाली छाया सिंह ने कहा कि मैं और मेरी जुड़वां बहन का चयन बिहार में प्रथम चरण की शिक्षक नियुक्ति में हुआ है. मेरी पोस्टिंग दिघवारा में व मेरी बहन की पोस्टिंग नगरा में हुई है. सारण के लोगों से बहुत ही स्नेह मिला है. यहां के लोग हर कदम पर सहयोग दे रहे हैं. ट्रेनिंग के दौरान बाढ़ में भी लोगों का सराहनीय सहयोग मिला. इंडक्शन ट्रेनिंग के दौरान पानापुर में रही थी, वहां भी लोगों से बेटी जैसा दुलार-प्यार मिला था.
बिहारी का दिल बहुत बड़ा है
मऊ, यूपी की ही रहनेवाली काजल ने बताया कि बिहार आने से पहले मन में बहुत डर था, मगर यहां आकर लगा कि बिहारी का दिल बहुत बड़ा है. इंडक्शन ट्रेनिंग में पानापुर में रहने का मौका मिला, फिर ट्रेनिंग के लिए बाढ़ गयी. इस दौरान वहां के लोगों से सहयोग मिला. आज भी यहां अपनों जैसा स्नेह मिल रहा है. यूपी की सभी बेटियां बिहार में अपने को सुरक्षित मान रही हैं.
द्वारिका में भी ऐसा अपनापन नहीं मिला
द्वारिका, दिल्ली की रहनेवाली शिवानी, शिक्षिका ने कहा कि बिहारियों का दिल बहुत बड़ा है. दूसरे प्रदेशों में बिहारियों को जिस नजर से देखा जाता है, बिहार में स्थिति बिल्कुल उसके विपरीत है. यहां के लोग नेक दिल के हैं एवं हर कदम पर सहयोगात्मक व्यवहार अपनाते हैं. मुझे दिल्ली के द्वारिका में भी ऐसा अपनापन नहीं मिला था.