PFI Ban News: पीएफआइ (पोपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) को केंद्र सरकार ने 5 साल के लिए बैन कर दिया है. पटना के फुलवारीशरीफ में ही सबसे पहले पीएफआइ (पोपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) के सक्रिय होने की जानकारी मिली थी. गांधी मैदान ब्लास्ट के आरोपित मंजर आलम के भाई और प्रतिबंधित कट्टरपंथी संगठन सिमी के पूर्व सदस्य अतहर परवेज और झारखंड पुलिस से रिटायर्ड दारोगा मो जलालुद्दीन की 13 जुलाई को गिरफ्तारी के बाद पीएफआइ के मंसूबे का पता पुलिस को चला था.
इन दोनों की गिरफ्तारी के बाद नया टोला स्थित मो जलालुउद्दीन के आमद पैलेस नाम के घर में चल रहे प्रशिक्षण केंद्र से कुछ ऐसे दस्तावेज बरामद किये गये थे, जिससे पीएफआइ के बिहार सहित अन्य राज्यों में देश विरोधी गतिविधियों की जानकारी मिली थी. इतना ही नहीं बिहार में कई जगहों पर ऐसे प्रशिक्षण केंद्रों की भी जानकारी मिली थी, जहां युवकों को मार्शल आर्ट और शारीरिक शिक्षा के नाम पर अस्त्र-शस्त्र की ट्रेनिंग, धार्मिक उन्माद फैलाने और उन्हें आतंकवादी गतिविधियों में शामिल करने की बातें सामने आयी थीं.
फुलवारीशरीफ थाने में अतहर व मो जलालुद्दीन सहित 26 लाेगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. जांच में ये बातें भी सामने आयी थीं कि देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के लिए पाकिस्तान, बांग्लादेश, तुर्की समेत अन्य इस्लामी देशों से करोड़ों रुपये की फंडिंग हो रही है.
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इस संगठन के संबंध में जो कागजात पुलिस को मिले थे, उसमें यह स्पष्ट था कि ये लोग अपने संगठन से कम से कम 10 फीसदी लोगों को जोड़ना चाहते थे, ताकि वर्ष 2047 तक भारत को एक धर्म विशेष देश में बदला जा सके. साथ ही 12 जुलाई को पीएम नरेंद्र मोदी की पटना यात्रा के दौरान हमला करने की भी साजिश करने से संबंधित जानकारी पुलिस को हाथ लगी थी.
पुलिस को कुछ ऐसे कागजात हाथ लगे थे, जिसमें नूपुर शर्मा के बयान के बाद महाराष्ट्र के अमरावती व राजस्थान के उदयपुर में हुए दो लोगों की हत्या की घटना का समर्थन किया गया था. इसी दौरान कनार्टक के दक्षिण कन्नड़ जिले के बनतवाल के फरंगीपेट का रहने वाला रियाज का नाम सामने आया था, जो पूरे देश में पीएफआइ को मजबूत करने में लगा था.
Posted By: Thakur Shaktilochan