पटना. पाॅपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआइ) के फुलवारीशरीफ माड्यूल की जांच में एनआइए को पता लगा है कि देश का माहौल बिगाड़ने के लिए इंटरनेट मीडिया के वीडियो प्लेटफाॅर्म का इस्तेमाल किया जा रहा था. इन वीडियो प्लेटफाॅर्म पर पीएफआइ के संदिग्धों द्वारा कई चैनल चलाये जा रहे थे, जिस पर सांप्रदायिक तनाव और आतंक को बढ़ाने वाले वीडियो शेयर किए जा रहे थे. एनआइए ने इन वीडियो चैनल की पहचान कर कार्रवाई शुरू कर दी है.
गुरुवार को एनआइए ने एक विज्ञप्ति जारी कर बताया कि अब तक इस मामले में देश भर के 85 ठिकानों पर छापेमारी की जा चुकी है. जांच में कई संदिग्धों का अंतरराष्ट्रीय जुड़ाव भी सामने आया है. मालूम हो कि एनआइए ने बुधवार को बिहार के कटिहार, कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ व शिमोगा और केरल के कोझिकोड़, तिरुअनंतपुरम समेत 25 ठिकानों पर छापेमारी की थी. इस दौरान मोबाइल फोन, हार्ड डिस्क, सिम कार्ड, पेन ड्राइव जब्त किया गया था. एजेंसी ने नकद 17.50 लाख रुपये भी बरामद किये हैं. जानकारी के मुताबिक, फुलवारीशरीफ मामले में सबसे बड़ी छापेमारी कर्नाटक में हुई है. कर्नाटक में पीएफआइ के 16 ठिकानों पर यह कार्रवाई की गयी. इस मामले को लेकर हाल ही में छह लोगों को गिरफ्तार किया गया था. जब्त सभी चीजों की जांच की जा रही है.
मालूम हो कि पीएफआइ के फुलवारीशरीफ मामले में पहली कार्रवाई पिछले साल 11 जुलाई को हुई थी, जिसमें भारत को 2047 तक इस्लामिक राष्ट्र बनाने की साजिश का पर्दाफाश हुआ था. इस कांड के आरोपित अतहर परवेज, मो जलालुद्दीन खान, अरमान मलिक और नुरुद्दीन जंगी के विरुद्ध इसी साल जनवरी में एनआइए ने चार्जशीट भी कर दी है. पीएफआइ को देश के बाहर से आतंकी फंडिंग मुहैया कराने के आरोप में दस अन्य आरोपितों को भी गिरफ्तार किया गया है.