बिहार के मेडिकल कॉलेजों में पोस्ट ग्रेजुएट (पीजी) करने वाली छात्राओं को नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने बड़ी आर्थिक राहत दी है. अब राज्य के किसी भी मेडिकल कॉलेज अस्पताल से पोस्ट ग्रेजुएट करने वाली छात्राएं मातृत्व अवकाश में रहती हैं, तो उनको आर्थिक नुकसान नहीं होगा. अब इन छात्राओं को मातृत्व अवकाश के बाद जितना समय पढ़ाई को पूरा करने में लगेगा, उस अवधि की छात्रवृत्ति उनको मिलेगी.
पहले सिर्फ मातृत्व अवकाश मिलता था
नेशनल मेडिकल कमीशन ने गुरुवार को इस संबंध में एक नोटिस जारी कर सभी मेडिकल कॉलेजों को नियमों के पालन की अनुमति दे दी है. पहले ऐसी छात्राओं को मानवीय आधार पर सिर्फ मातृत्व अवकाश का लाभ मिलता था, पर उनको अपने तीन साल के कोर्स को बाद में पूरा करने के दौरान कोई छात्रवृत्ति नहीं दी जाती थी.
तीन साल के प्रशिक्षण के बाद मिलती है डिग्री
गौरतलब है कि पोस्ट ग्रेजुएट करने वाली छात्राओं को जूनियर रेसिडेंट के रूप में छात्रवृत्ति दी जाती है. मातृत्व अवकाश के बाद उनको तीन साल की पढ़ाई पूरी करनी है. जितने दिन वह अवकाश में रहती हैं, उसका प्रशिक्षण उतने दिन बाद में पूरा किया जाना होता है. तीन साल के प्रशिक्षण के बाद ही उनको डिग्री दी जाती है.
इतनी दी जाती है छात्रवृत्ति राशि
मालूम हो कि बिहार के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में तीन साल का पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स होता है. इसमें विद्यार्थियों को पहले साल प्रति माह 68,545 रुपये छात्रवृत्ति दी जाती है, जबकि द्वितीय वर्ष में प्रति माह 75,399 रुपये छात्रवृत्ति के रूप में दिये जाते हैं. इसी तरह तृतीय वर्ष के प्रशिक्षण के दौरान पोस्ट ग्रेजुएट करने वाली छात्राओं को 82 हजार रुपये प्रति माह छात्रवृत्ति दी जाती है. अब राज्य के मेडिकल कॉलेजों से पोस्ट ग्रेजुएट करनेवाली छात्राओं को इसका बड़ा आर्थिक लाभ मिलेगा.
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