बिहार में फार्मेसी कोर्स करने वाले डी.फार्म, बी.फार्म और एम.फार्म के डिग्रीधारी छात्र-छात्राएं एक साल से सड़क पर है. फार्मेसी काउंसिल में निबंधन नहीं होने के कारण ऐसे विद्यार्थी न तो किसी सरकारी नौकरी के लिए आवेदन कर रहे हैं और नहीं अपनी दवा की दुकान खोल सकते हैं. कोर्स पूरा करने वाले छात्रों को इंतजार ही बिहार फार्मेसी काउंसिल के पूर्ण गठन होने का. बिहार फार्मेसी काउंसिल में 15 सदस्य होते हैं. इसमें छह सदस्यों का निर्वाचन हो चुका है जबकि नामांकित सदस्यों की अधिसूचना जारी नहीं हुई है.
काउंसिल का गठन नहीं हो सका है
पटना हाइकोर्ट के आदेश के बाद 15 वर्षों बाद बिहार फार्मेसी काउंसिल के छह सदस्यों का निर्वाचन कराया गया. इन सदस्यों के निर्वाचन की घोषणा 21 नवंबर 2022 को कर दी गयी. इसके बाद सरकार द्वारा पांच सदस्यों को नामांकित किया जाना है. यह नामांकन की प्रक्रिया अभी जारी होने के कारण काउंसिल का गठन नहीं हो सका है.
काउंसिल के चार सदस्य पदेन होते हैं
काउंसिल के सदस्यों में चार सदस्य पदेन सदस्य होते हैं. इसमें एक पदेन सदस्य बिहार मेडिकल रजिस्ट्रेशन काउंसल का सदस्य, एक निदेशक प्रमुख, एक सदस्य के रूप में राज्य औषधि नियंत्रक और एक सदस्य बिहार ड्रग लैबोरेट्री का लोक विश्लेषक होते हैं. जब सभी सदस्यों की नियुक्ति हो जाती है तो उसके बाद सदस्यों द्वारा अपने में से किसी एक सदस्य को काउंसिल का अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और रजिस्ट्रार चयनित किया जाता है. काउंसिल के सदस्यों के बीच से दो सदस्यों का चयन केंद्रीय फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के लिए किया जाता है.
एक साल से नया निबंधन नहीं हो रहा
काउंसिल के नव निर्वाचित सदस्य अर्जेश कुमार ने बताया कि काउंसिल से गठन नहीं होने से एक साल से नया निबंधन नहीं हो रहा है. साथ ही राज्य के अधिसंख्य डिग्रीधारी लोगों के रजिस्ट्रेशन का रिन्युअल नहीं किया जा रहा है. काउंसिल के गठन के लेकर प्रतिदिन छात्र-छात्राएं सचिवालय का चक्कर लगा रही है.