बिहार में फार्मासिस्ट की किल्लत, महज 7400 के भरोसे 40 हजार दवा दुकान, अस्पतालों में 4500 पद खाली
बिहार में दवाओं की बिक्री काम सिर्फ निबंधित फार्मासिस्ट ही कर सकते हैं. निबंधित फार्मासिस्टों की संख्या सिर्फ 7421है. इन फार्मासिस्टों के जिम्मे राज्य की 40 हजार खुदरा और थोक दवा दुकानें और राज्य के सरकारी और निजी अस्पतालों का संचालन किया जा रहा है.
पटना. राज्य में सिर्फ निबंधित फार्मासिस्टों की संख्या सिर्फ 7400 है. इन फार्मासिस्टों के जिम्मे राज्य की 40 हजार खुदरा और थोक दवा दुकानें और राज्य के सरकारी और निजी अस्पतालों का संचालन किया जा रहा है. भारतीय औषधि एवं अंगराग अधिनियम के अनुसार किसी भी संस्थान से दवाओं की खरीद-बिक्री या भंडारण का काम फार्मासिस्ट के बगैर नहीं किया जा सकता.
निबंधित फार्मासिस्टों की संख्या सिर्फ 7421
दवाओं की बिक्री काम सिर्फ निबंधित फार्मासिस्ट ही कर सकते हैं. ऐसे में राज्य की अधिसंख्य दवा दुकानें और सरकारी अस्पतालों में दवाओं की खरीद- बिक्री और वितरण का काम गैर वैधानिक तरीके से किया जा रहा है. फार्मेसी काउंसिल को लेकर जारी आंकड़ों के अनुसार राज्य में निबंधित फार्मासिस्टों की संख्या सिर्फ 7421 है.
शिफ्टवार फार्मासिस्टों की आवश्यकता
मानकों के अनुसार सरकारी अस्पतालों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में एक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में दो फार्मासिस्टों की आवश्यकता है. जिला अस्पतालों में 24 घंटे सेवाएं देने के लिए न्यनूतम तीन फार्मासिस्ट चाहिए. ऐसे ही मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में ओपीडी और भर्ती मरीजों के लिए साथ दवाओं के भंडारण के लिए शिफ्टवार फार्मासिस्टों की आवश्यकता है.
फार्मासिस्टों के 3049 पद रिक्त है
स्थिति यह है कि राज्य में 1932 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 306 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा कुल 4126 पद स्वीकृत किये गये हैं. स्थिति यह है कि इनकी जगह पर सिर्फ 1077 फार्मासिस्ट ही कार्यरत हैं, जबकि 3049 पद रिक्त हैं.
निजी दवा दुकानों की जरूरतें भी पूरी नहीं हो रही
उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने मरीजों को जल्द दवा उपलब्ध कराने के लिए अधिक दवा काउंटर खोलने की घोषणा की है. इनके लिए फार्मासिस्टों की आवश्यकता है. ऐसे ही राज्य में खुदरा और थोक दवा दुकानों की संख्या करीब 40 हजार है. इसके अलावा राज्य में 6608 अस्पताल हैं जहां पर मरीजों को भर्ती करके इलाज किया जाता है. इन सभी अस्पतालों में दवा दुकानें हैं. ऐसे में निजी दवा दुकानों की जरूरतें भी पूरी नहीं हो रही हैं.