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असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए अब जरूरी नहीं पीएचडी, UGC NET पास होना काफी

यूजीसी की ओर से पीएचडी कोर्स को लेकर नये नियम लागू किये गये हैं, नये नियम में पीएचडी के लिए अधिकतम छह साल का समय दिया गया है. उम्मीदवारों को री-रजिस्ट्रेशन के जरिये ज्यादा-से-ज्यादा दो साल का और समय दिया जायेगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 12, 2023 10:46 PM

पटना. कॉलेजों या यूनिवर्सिटियों में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए अब पीएचडी जरूरी नहीं है. यूजीसी के अध्यक्ष प्रो एम जगदीश कुमार ने बताया कि नये नियमों के तहत किसी भी कॉलेज या यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए पीएचडी अनिवार्य नहीं होगी. इसके लिए अब सिर्फ यूजीसी की राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (यूजीसी नेट) क्वालिफाइ करना पर्याप्त माना जायेगा. इससे पहले यूनिवर्सिटियों में पढ़ाने के लिए पीएचडी की डिग्री अनिवार्य थी. लेकिन, अब नये नियमों से छात्रों को राहत मिलेगी.

ऑनलाइन या डिस्टेंस लर्निंग से पीएचडी पर रोक

यूजीसी की ओर से पीएचडी कोर्स को लेकर नये नियम लागू किये गये हैं, नये नियम में पीएचडी के लिए अधिकतम छह साल का समय दिया गया है. उम्मीदवारों को री-रजिस्ट्रेशन के जरिये ज्यादा-से-ज्यादा दो साल का और समय दिया जायेगा. नये नियम के तहत ऑनलाइन या डिस्टेंस लर्निंग से पीएचडी करने पर रोक लगा दी गयी है. इससे पहले थीसिस जमा कराने से पहले शोधार्थी को कम-से-कम दो शोधपत्र छपवाना पड़ते थे. अब नये नियमों में रिसर्च की प्रक्रिया के दौरान दो रिसर्च पेपर छपवाने की अनिवार्यता खत्म कर दी गयी है.

एक राष्ट्र एक डेटा पोर्टल किया जा रहा विकसित

प्रो कुमार ने कहा कि एक राष्ट्र-एक डेटा पोर्टल विकसित किया जा रहा है, जिसमें यूजीसी के सभी दिशा-निर्देश और अन्य जानकारी होंगे. अगले शैक्षणिक वर्ष से शिक्षा की पारंपरिक पद्धति के साथ-साथ राष्ट्रीय डिजिटल विश्वविद्यालय के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सीधे छात्रों तक पहुंचायी जायेगी. इसकी तैयारी चल रही है.

प्रोबेशन अवधि के दौरान स्थायी संकाय सदस्य करवा सकते हैं पीएचडी

यूजीसी के अध्यक्ष प्रो एम जगदीश कुमार ने कहा कि पीएचडी गाइड के लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है. नियमित फैकल्टी अपनी प्रोबेशन की अवधि में भी पीएचडी करवा करेंगे. उनके प्रोबेशन के दौरान भी उन्हें पीएचडी स्कॉलर्स अलॉट किया जा सकता है. यूजीसी की ओर से 20 जनवरी को हुई बैठक में इसका फैसला लिया गया था. पीएचडी गाइड की कमी के चलते यह फैसला लिया गया है. गाइड की कमी के कारण कई स्कॉलर्स अपनी रिसर्च पूरी नहीं कर पाते थे. वहीं, प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर को निश्चित संख्या में ही स्कॉलर्स अलॉट किये जाते हैं. इसी कमी को देखते हुए यह फैसला लिया गया है. शिक्षकों की कैरियर एडवांसमेंट स्कीम में भी पीएचडी स्कॉलर्स की संख्या महत्वपूर्ण होती है. यह आदेश सभी यूनिवर्सिटियों को भेज दिया गया है.

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पीएचडी की अनिवार्यता पर एक जुलाई 2023 तक लगायी गयी थी रोक

यूजीसी ने असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए पीएचडी की अनिवार्यता खत्म कर दी थी, लेकिन विरोध के बाद एक जुलाई 2021 से असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए पीएचडी की अनिवार्यता लागू की थी. इसके अनुसार इच्छुक उम्मीदवारों को असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए संबंधित विषय में मास्टर्स की डिग्री धारक होगा जरूरी है और नेट क्वालिफाई होना भी जरूरी है. क्वालिफाई करना अभी भी अनिवार्य योग्यता है जिसके बगैर उम्मीदवार आवेदन करने के भी पात्र नहीं होंगे. यूजीसी का निर्णय केवल मौजूदा कोरोना की स्थिति को देखते हुए अस्थाई थी. पीएचडी की अनिवार्यता पर रोक केवल एक जुलाई 2023 तक लागू रखने की बात कही गयी थी. इस दौरान निकलने वाली भर्तियों के लिए बगैर पीएचडी धारक उम्मीदवार आवेदन करने को कहा गया था. लेकिन अब पीएचडी की अनिवार्यता हटा दिया गया है. इससे पहले तक कई लोग पीएचडी के साथ नेट रहने वाले अभ्यर्थियों को फायदा मिलता था. नेट क्वालिफाइ को पांच अंक अतिरिक्त मिलता था.

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