आरफीन, भागलपुर. तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में रिसर्च के लिए तैयार थीसिस में गूगल से भी नकल की गयी. दूसरे विश्वविद्यालय में किये गये शोध का भी सहारा लेकर थीसिस तैयार किया गया है. जरूरत से अधिक नकल दर्जनों थीसिस में करने का मामला तब पकड़ में आया, जब इसे प्लेजियरिज्म (साहित्यिक चोरी) सॉफ्टवेयर में अपलोड किया गया. सॉफ्टवेयर से खुलासा हुआ कि संबंधित थीसिस में कौन-काैन से पार्ट में कितनी नकल कहां से की गयी है. सबसे ज्यादा सोशल साइंस संकाय के विषय में इस तरह का मामला सामने आया है. 2021-22 से अबतक 350 से अधिक थीसिस की जांच हुई है. 50 फीसदी थीसिस में जरूरत से अधिक नकल पकड़ी गयी है.
रिसर्च के लिए विवि में जमा थीसिस में इतिहास, राजनीति विज्ञान व हिंदी विषय में सबसे ज्यादा नकल मिल रही है. हिंदी में 54 फीसदी, राजनीति विज्ञान में 48 फीसदी, इतिहास में 54 फीसदी नकल मिल रही है. होम साइंस में 49 फीसदी, भूगोल में 38 फीसदी, गणित में 48 फीसदी, एजुकेशन में 36 फीसदी, रसायन विज्ञान में 42 फीसदी नकल पकड़ी गयी है. साइंस संकाय में जूलॉजी में नकल पकड़ी गयी है. कॉमर्स संकाय में सबसे कम नकल पकड़ायी है.
प्लेजियरिज्म सॉफ्टवेयर से थीसिस की जांच में नकल करने की जानकारी मिली. थीसिस की सॉफ्टवेयर से जांच में गूगल व दूसरे विवि के शोधकर्ता के लिखे थीसिस से नकल करने की कई तरह की जानकारी दी गयी है. थीसिस में कितना पार्ट नकल या कॉपी-पेस्ट है, इसकी भी जानकारी सॉफ्टवेयर से मिली है.
विवि सेंट्रल लाइब्रेरी के निदेशक डॉ आनंद झा ने बताया कि सॉफ्टवेयर से थीसिस में नकल रोकने का काम किया जा रहा है. शोधार्थी थीसिस में जितनी नकल कर लिखते हैं, उसे मिनटों में सॉफ्टवेयर पकड़ लेता है. सबसे ज्यादा सोशल साइंस विषय के थीसिस में नकल मिल रही है. साइंस व कॉमर्स विषय के थीसिस में कम नकल मिलती है. हालांकि थीसिस में दो बार नकल मिलने के बाद तीसरी बार में थीसिस सुधार कर जमा किया जाता है. सॉफ्टवेयर से तीसरी बार जांच में नकल नहीं मिलती है.
सॉफ्टवेयर ने एक बार ही नहीं दोबारा थीसिस में नकल का हिस्सा पकड़ा है. तीसरी बार में सॉफ्टवेयर से जांच होने के बाद थीसिस सही पाया गया. वर्ष 2018 के दिसंबर से अबतक 812 थीसिस की जांच हो चुकी है.
सोशल साइंस के डीन प्रो मधुसूदन सिंह ने कहा कि थीसिस में नकल नहीं के बराबर हो, इस दिशा में और काम करने की जरूरत है. इससे रिसर्च गुणवत्ता में सुधार आयेगा. शोधार्थी में भी रिसर्च को लेकर जानकारी बढ़ेगी. सॉफ्टवेयर से बहुत सारी थीसिस में नकल पकड़ी गयी है.