डाकबंगला में इस वर्ष पंडाल के साथ आसपास के क्षेत्र के सजावट के लिए बंगाल के चांदनगर से लाइट मंगायी गयी है. इसके साथ ही यहां आकर्षित लाइटों के माध्यम से लंदन का बिग बेन टावर, वॉच टावर, वृंदावन का मंदिर और कोलकाता का विक्टोरिया पैलेस बनाया गया है.
कदमकुआं स्थित शिवालय मंदिर के पास इस बार इको फ़्रेंडली पंडाल बनाया गया है. पंडाल में बांस, कपड़ा व अन्य प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल किया गया है.
पटना के लंगरटोली स्थित बंगाली अखाड़ा में पिछले 131 वर्षों से प्राचीन सांस्कृतिक परंपरा से पुजा की जा रही है. यहां की प्रतिमा का निर्माण बंगाली शैली में कोलकाता के कलाकार करते हैं. यहां अखाड़े में विशुद्ध सिद्धांत विधि से पूजा-अर्चना होती है. मां दुर्गा की पूजा, चंडी पाठ और तंत्रधारक पद्धति, षष्ठी को कलश स्थापना होती है.
शहर के आनंदपुरी इलाके में श्री विजय वाहिनी दुर्गा पूजा समिति के तत्वाधान में भव्य आयोजन हो रहा है. इस वर्ष पंडाल का स्वरूप कारगिल पहाड़ पर मोर्चा संभालती इंडियन आर्मी दिखेगी. समिति 41वें वर्ष पर 20 हजार नए कपड़ों की मदद से सजावट भी होगी. पूजा के बाद ये कपड़े गरीब बच्चों के बीच वितरित की जाएगी.
शहर में पूजा की तरह-तरह की वस्तुओं से बाजार सज रहे हैं. तो मीठापुर के गौड़ीय मठ में पूजा के दौरान भक्तों को जी 20 की झलकियां दिखेगी. यह दृश्य भारत की अध्यक्षता में हुई बैठक की होगी, जिसमें भारत अन्य देशों के सभी राष्ट्रीय अध्यक्षों की प्रतिमाएं और उनके राष्ट्रीय ध्वज लगाने की तैयारी है.
शहर के दूजरा शिव मंदिर स्थित पहलवान घाट में श्री श्री दुर्गा पूजा समिति के द्वारा इस वर्ष चंद्रयान-1 के तर्ज पर पंडाल का निर्माण हो रहा है.
चंद्रयान-1 की थीम को तैयार करने के लिए मधुपुर के कारीगर पिछले दो महीनों से लगे हैं. प्रतिदिन 10 से भी ज्यादा लोग काम कर रहे हैं. खास बात है कि यहां 1904 से ही पूजा का आयोजन हो रहा है.
बोरिंग रोड चौराहा पर वृंदावन के प्रेम मंदिर की थीं पर बना पंडाल. इस पंडाल की ऊंचाई तकरीबन 65 फिट है.
जगदेव पथ पर इस पंडाल में गुफा के ऊपर भगवान शंकर को दर्शाया गया है. इसके अलावा इस पथ पर स्थित सभी पूजा समितियां भी विशेष लाइट के माध्यम से समूचे सड़क को सजा रही हैं. इस पथ में राजा बाजार पूजा समिति, खाजपुरा पूजा समिति, शेखपुरा पूजा समिति सहित अन्य पूजा समिति मौजूद है.
खाजपुरा में मध्य प्रदेश के दतिया पैलेस के तर्ज पर पंडाल का निर्माण किया जा रहा है. साथ ही जगदेव पथ के हर पंडाल के पास से करीब 500 मीटर के क्षेत्र को सजाया जा रहा है. साज-सज्जा में चीनी लाइट की लड़ी, एलइडी लाइट का इस्तेमाल किया जा रहा है.
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