शुभंकर, सुलतानगंज
चैती दुर्गा पूजा के दशमी के दिन मेले में यहां युवक-युवतियां जिंदगी का हमसफर चुनते हैं. नये रिश्ते तय होते हैं. युवक और युवती के परिजन शादी की तिथि यहीं तय कर माता से आशीर्वाद लेते हैं. करीब 50 साल से यह परिपाटी प्रखंड के करहरिया पंचायत के पिपरा गांव में चैती दुर्गा मेला में चली आ रही है. इस पूजा का इंतजार सभी को रहता है. वासंतिक नवरात्र शुरू होते ही गांव में उत्साह का माहौल है. ग्रामीणों ने बताया कि यहां का बना रिश्ता अमिट होता है. लगभग एक सौ से अधिक नये रिश्ते तय होते हैं. दशमी के दिन नये रिश्ते के लिए वर व वधु पक्ष के परिजन जुटते हैं.
आपसी सहमति से रिश्ते तय किये जाते हैं. तीन जिले के चार प्रखंड के हजारों लोगों की भीड़ जुटती है. असरगंज, शाहकुंड, सुलतानगंज व शंभूगंज प्रखंड के पीपरा, करहरिया, शरीफा, देशावर, देवधा, पनसल्ला, खानपुर, दौलतपुर, मोहद्दीपुर, बाथ, नयागांव, रसीदपुर, इंग्लिश, पसराहा, हलकराचक आदि कई पंचायत के लोग नये रिश्ते बनाने के लिए चैती दुर्गा पूजा में जुटते है. पूजा कमिटी के अध्यक्ष अंजनी कुमार बताते हैं कि मंदिर की स्थापना 1862 में हुई थी. लगभग तभी से मेले में रिश्ता तय करने की परंपरा चली आ रही है.
रिश्ते तय करने के लिए खास कर कोयरी व कुर्मी जाति के लोगों के परिजन बिहार सहित दूसरे राज्य से भी पहुंचते हैं. मेला के दौरान दोनों पक्ष के लोग आपस में एक – दूसरे को जानने व समझने की पूरी कोशिश करते हैं. मां दुर्गा के आशीर्वाद से रिश्ते तय कर सुखी वैवाहिक जीवन बिताते हैं. नये रिश्ते के लिए दहेज की कोई बात नहीं होती है. तय तमन्ना कर परिजन शादी की तिथि तय कर लेते है.
मेला कमिटी के अध्यक्ष अंजनी कुमार सहित कई सदस्य व्यवस्था की निगरानी में लगे रहते हैं. उन्होंने कहा कि मेला के दौरान हर घर में मेहमान रहते हैं. मनोकामना पूर्ण होने पर चढ़ावा चढ़ाने भक्त पहुंचते हैं. ग्रामीण महेश सिंह, आयुष कुमार, अमन कुमार सिंह, वीरेंद्र सिंह, धीरज कुमार, अनुरंजन कुमार, भूषण प्रसाद, उमेश कुमार सिंह, जनक लाल सिंह, सिंहेश्वर प्रसाद सिंह आदि ने बताया कि वासंतिक नवरात्र के पहले दिन से दशमी तक पूजा-अर्चना के साथ लोग रिश्ते की तैयारी भी शुरू कर देते हैं. ऐतिहासिक महत्व के पिपरा मेला के खत्म होते ही लोग निर्धारित तिथि में शादी की तैयारी शुरू कर देते हैं.