Pitru Paksh 2022: फल्गु को आज मिलेगी श्राप से मुक्ति, जानें नदी के सूखे रहने का क्या है रहस्य

Pitru Paksh 2022: पितृपक्ष मेला कल से शुरू हो रहा है. आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव फल्गु नदी पर विष्णुपद मंदिर के पास 'गया जी डैम' व सीताकुंड जाने के लिए बनाये गये स्टील ब्रिज का लोकार्पण करेंगे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 8, 2022 10:19 AM

Pitru Paksh 2022: आज फल्गु नदी को श्राप से मुक्ति मिल जाएगी. फल्गु नदी को श्राप त्रेतायुग में माता सीता ने गुस्से में आकर दिया था. उस वक्त माता सीता ने पांच चीजों को श्राप दिया था. इसी श्राप के कारण फल्गु नदी तब से धरती के अंदर ही बहती आ रही है. इस कारण फल्‍गु को भू-सलिला भी कहा जाता है. बतादें कि 312 करोड़ों रुपये से फल्गु नदी के देवघाट के पास नवनिर्मित गयाजी डैम व देवघाट से सीताकुंड को जोड़ने वाले नवनिर्मित पैदल पथ पुल का लोकार्पण आज सीएम नीतीश कुमार करेंगे. इसके साथ ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पितृपक्ष मेला महासंगम 2022 का भी उद्घाटन गुरुवार को करेंगे. फल्गु पर बने रबर डैम व पुल का उद्घाटन एक बजे दोपहर में किया जायेगा. जिला प्रशासन की ओर से लोगों से अपील की गयी है कि गयाजी डैम व पितृपक्ष मेला 2022 के उद्घाटन कार्यक्रम में आये.

रबर डैम तीन मीटर ऊंचा और 411 मीटर है लंबा

विष्णुपद मंदिर के निकट फल्गु नदी के सतही प्रवाह को रोकने के लिए तीन मीटर ऊंचा व 411 मीटर की लंबाई में भारत का सबसे लंबा रबर डैम का निर्माण करवाया गया है, जिसमें 65- 65 मीटर लंबाई के 06 स्पान है. इसके रबर ट्यूब में आधुनिक स्वचालित विधि से हवा भरी व निकाली जा सकती है. इसके कारण फल्गु नदी के जल के प्रवाह व भंडारण को प्रभावी रूप से संचालित किया जा सकेगा. इसके साथ ही श्रद्धालुओं के विष्णुपद घाट से सीताकुंड तक पिंडदान हेतु जाने के लिए रबड़ डैम के ऊपर 411 मीटर लंबा स्टील पैदल पुल का भी निर्माण किया गया है.

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जानें नदी के सूखे रहने का क्या है रहस्य

बिहार के गया में फल्‍गु नदी के किनारे उसके जल से श्राद्ध किया जाता है. माना जाता है कि यहां श्राद्ध करने से मोक्षदायिनी व स्‍वर्ग का रास्‍ता खुल जाता है. मान्यता है कि भगवान श्रीराम, माता सीता व लक्ष्मण वनवास के दौरान दशरथ का श्राद्ध करने के लिए गया गए थे. इसी बीच दोनों भाई श्राद्ध का सामान लेने के लिए गये थे. इसी दौरान राख ने आकृति बनाकर कुछ कहने की कोशिश की, उस समय केवल सीता माता वहां मौजूद थी. सीता माता समझ गयी की श्राद्ध का समय निकल रहा है और दोनों भाई राम-लक्ष्मण सामान लेकर वापस नहीं लौटे हैं. परेशान सीता माता ने फल्गु नदी की रेत से पिंड बनाकर पिंडदान कर दिया. इसका साक्षी उन्‍होंने फल्गु नदी, गाय, तुलसी, अक्षय वट और एक ब्राह्मण को बनाया.

गुस्से में आकर माता सीता ने दिया था श्राप 

जब भगवान राम और लक्ष्मण वापस आए और श्राद्ध के बारे में पूछा तो फल्गु नदी ने झूठ बोल दिया. तब माता सीता ने गुस्से में आकर फल्‍गु नदी को श्राप दे दिया. इसी श्राप के कारण यह नदी तब से धरती के अंदर ही बहती आ रही है. यहां पिंडदान व श्राद्ध के खास महत्‍व को देखते हुए बड़ी सख्या में श्रद्धालु पितृपक्ष में आते हैं. पितृपक्ष के दौरान यहां की 55 पिंडवेदियों पर पूर्वजों का पिंडदान व श्राद्ध किया जाता है. यहां पर्याप्‍त पानी की उपलब्‍धता सुनिश्चित कराने के लिए रबर डैम बनाया गया है, जो अब साकार हो चुकी है. फल्‍गु नदी पर बने रबर डैम से नदी में पानी ही पानी है.

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