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Pitru Paksha 2020 Start Date and Time : गया जिले की सीमा पर ही राेक दिये जायेंगे पिंडदानी

गया : काेविड-19 संक्रमण की राेकथाम व इस पर प्रभावी नियंत्रण के लिए भारत सरकार के गृह मंत्रालय से जारी आदेश के आलाेक में डीएम व एसएसपी ने संयुक्त आदेश जारी किया है. इस आदेश के तहत गया जिले की सीमा पर ही पिंडदानी राेक दिये जायेंगे. पितृपक्ष मेले का आयाेजन गयाजी में एक सितंबर से 17 सितंबर तक निर्धारित था.

गया : काेविड-19 संक्रमण की राेकथाम व इस पर प्रभावी नियंत्रण के लिए भारत सरकार के गृह मंत्रालय से जारी आदेश के आलाेक में डीएम व एसएसपी ने संयुक्त आदेश जारी किया है. इस आदेश के तहत गया जिले की सीमा पर ही पिंडदानी राेक दिये जायेंगे. पितृपक्ष मेले का आयाेजन गयाजी में एक सितंबर से 17 सितंबर तक निर्धारित था. चूंकि भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि से प्रारंभ हाेकर पितृपक्ष मेला हर साल आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक आयाेजित हाेता था. ऐसे में इस बार पितृपक्ष मेला एक सितंबर से 17 सितंबर तक हाेना था, पर काेविड-19 के संक्रमण की राेकथाम के मद्देनजर जिला प्रशासन ने मेला आयाेजन पर राेक लगा दी है. बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा दिये गये निर्देश के आलाेक में 31 अगस्त काे जारी संयुक्त आदेश में सख्त हिदायत दी गयी है कि अंतरजिला व अंतरराज्यीय सीमा के मुख्य मार्गाें की सीमा (बॉर्डर) सिलिंग प्वाइंट हाेगी.

सीमा पर दंडाधिकारी प्रतिनियुक्ति

राज्य व जिले की सीमा पर दंडाधिकारी, पुलिस अधिकारी व पुलिस बल की प्रतिनियुक्ति की जाती है. गया जिले में पितृपक्ष अवधि में आनेवाले तीर्थयात्रियाें काे गया जिला में प्रवेश से वे राेकेंगे. प्रतिनियुक्त अधिकारी व पुलिस बल काे सख्त हिदायत दी गयी है कि उक्त स्थल पर समय पर उपस्थित रह कर तीर्थयात्रियाें के सभी वाहनाें की जांच करेंगे व पिंडदान के लिए आनेवाले यात्रियाें काे उस स्थल से ही पुन: लाैटा दिया जायेगा. इसका अनुपालन नहीं करनेवाले तीर्थयात्रियाें के विरुद्ध काेविड-19 के नियमाें के तहत मामला दर्ज किया जायेगा. डीएम व एसएसपी से जारी इस पत्र काे सभी थानाध्यक्ष व अंचलाधिकारी काे भेजा गया है और सख्त पालन का निर्देश दिया गया है.

तीर्थयात्रियाें पर सख्ती से मैसेज जायेगा खराब

इधर, तीर्थ पुराेहित पंडाजी का कहना है कि तीर्थयात्रियाें के साथ इतनी सख्ती से मैसेज खराब जायेगा. चूंकि तीर्थयात्री यहां श्रद्धाभाव लेकर आते हैं. ऐसे में काेविड-19 के सभी नियमाें काे पूरी तरह से पालन करते हुए आनेवाले तीर्थायत्री काे श्राद्ध कर्म कराने की इजाजत दी जाती और इसका उल्लंघन हाे ने पर दंड का प्रावधान किया जाता. घर से चलने से पहले पिंडदानी पितराें का आह्वान कर व उन्हें साथ लेकर गयाजी आते हैं. एक विश्वास व आस्था ही है कि कई तीर्थयात्री अपने पितराें व प्रेत का भी टिकट कटा कर सीट रिजर्व कर आते हैं. घर से अपने कुल पुराेहित से जब पितराें का विधिवत आह्वान करा कर आयेंगे, फिर उन्हें बिना कर्मकांड के वे कैसे छाेड़ देंगे. ऐसा करने से उनके घराें में कुछ अहित व अशुभ हाेने लगेगा, जिसका जिम्मेदार काैन होगा?

अलग-अलग प्रांत में अलग-अलग परंपरा

पंडाजी का कहना है कि अलग-अलग प्रांत में अलग-अलग परंपरा है. प्राणी के निधन के तीन साल बाद श्राद्ध करने का विधान. इनमें पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र व दक्षिण भारत के कई राज्य हैं. कई राज्याें में मृत अवधि से एक साल बाद ही श्राद्ध विधान करने की परंपरा है. जिनका तीन साल व एक साल पूरा हाे गया आैर उन्हाेंने कर्मकांड का अनुष्ठान कर लिया, वे क्या करेंगे? ये सब विचारणीय बिंदु हैं.

posted by ashish jha

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