Video Pitru Paksha 2022: श्रद्धालु पहले दिन गोदावरी में कर रहे पिंडदान, भूलकर भी नहीं करें ये चीजें दान

Pitru Paksha 2022 पिंडदान या सामग्री दान करने में पूर्ण श्रद्धा रखें. श्राद्ध में नाती को भोजन कराना महत्वपूर्ण है. कच्चा आंवला के समान गोलाकार पिंड बनाकर अर्पण करें तथा गौमाता को पिंड खिलावें.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 10, 2022 2:21 PM

Pitru Paksha 2022: मोक्ष धाम में 17 दिवसीय पितृपक्ष मेले में पहले दिन गयाजी के गोदावरी सरोवर अथवा पुनपुन नदी में पिंडदान का विधान है. वायु पुराण सहित विभिन्न हिंदू धार्मिक ग्रंथों में गयाजी में पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध करने का विशेष महत्व माना गया है. इन धार्मिक ग्रंथों के अनुसार पितरों की मुक्ति के लिए गयाजी यानी मोक्ष धाम में पिंडदान करना सबसे उत्तम कहा गया है. यही कारण है कि यहां पिंडदान की परंपरा आदि काल से चली आ रही है.


वायु पुराण में भी है इसकी चर्चा

प्रत्येक वर्ष के आश्विन मास में यहां 17 दिवसीय पितृपक्ष मेले (Pitru Paksha 2022) का आयोजन होता आ रहा है. त्रेता युग से लेकर द्वापर युग से जुड़े देवी-देवताओं के अलावा ऋषि-मुनि व राजा-महाराजाओं ने भी अपने पितरों के उद्धार के लिए यहां पिंडदान का कर्मकांड किया है. यह जानकारियां वायु पुराण सहित कई अन्य हिंदू धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है. इन धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान श्रीराम, भरत कुमार, ऋषि भारद्वाज, पितामह भीष्म, राजा युधिष्ठिर, भीम सहित कई देवी-देवताओं व राजाओं ने यहां अपने पितरों के उद्धार को लेकर पिंडदान किये हैं.

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कोरोना संक्रमण के कारण बीते दो वर्षों से Pitru Paksha मेले का आयोजन नहीं हुआ था. इसके कारण इस बार देश-विदेश से आने वाले तीर्थ यात्रियों की संख्या 10 लाख से भी अधिक हो सकती है. पिंडदान का कर्मकांड करा रहे पंडा समाज के जुड़े संजय लाल पाठक मणिलाल बारिक सहित कई अन्य लोगों ने भी इस तरह की संभावना व्यक्त की है. पिंडदान के कर्मकांड के निमित्त देश-विदेश से आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए सभी तरह की बुनियादी सुविधाएं जिला प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गयी है.

54 वेदी स्थलों होता है पिंडदान व तर्पण

पितृपक्ष श्राद्ध (Pitru Paksha 2022) नौ सितंबर से पुनपुन नदी में पिंडदान तर्पण के साथ शुरू हो गया. जो 25 सितंबर को अक्षयवट श्राद्ध के साथ संपन्न हो जायेगा. 17 दिवसीय पितृपक्ष श्राद्ध के दूसरे दिन गया स्थित फल्गु नदी में पिंडदान, श्राद्धकर्म व तर्पण कर्मकांड का विधान रहा है. शहर सहित बोधगया में 54 वेदी स्थल हैं जहां पिंडदानी अपने पितरों के आत्मा की शांति व मोक्ष प्राप्ति के निमित्त पिंडदान, श्राद्धकर्म व तर्पण का कर्मकांड करते रहे हैं.

गया श्राद्ध में पालन योग्य नियम

Pitru Paksha 2022 श्राद्धकर्ता के लिए गया श्राद्ध का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए कुछ अनिवार्य नियम हैं. वे पितरों को तृप्त करने के लिए तर्पण प्रातः काल करें. इस बेला में तर्पण का जल अमृत रूप में पितरों को प्राप्त होता है. पितृ श्राद्ध की उत्तम बेला मध्याह्न अथवा अपराह्न है. श्राद्ध के अंतराल में उन्हें भूमि पर शयन करना, गया तीर्थ क्षेत्र में रात्रि निवास, एक बार अन्न ग्रहण करना, सत्य का आचरण करना, धोती पहनने के साथ कंधे पर दूसरा वस्त्र धारण करना, गया तीर्थ क्षेत्र में नंगे पैर से चलना, तैल मर्दन का त्याग करना और ब्रह्मचर्य पूर्वक रहना यह नियम अनिवार्य है. श्राद्ध में कुछ निषिद्ध है- पिंड पर केला अर्पण करना, खुले आसमान में पिंडदान करना, पिंड को स्थिर जल में डालना, क्रोध करना, अपवित्र भोजन करना, दान लेना व गया तीर्थ में मुंडन कराना. गया तीर्थ में प्रवेश के पहले ही मुंडन करा लेने का विधान है.

भूलकर भी नहीं करें इसका दान

Pitru Paksha 2022 गया तीर्थ में उपवास नहीं करें. बल्कि फलाहार लें. पिंडदान में पलाश के पत्ते सर्वोत्तम हैं. दूध चावल की खीर अथवा खोवा को उत्तम पिंड कहा गया है. अन्यथा जौ के आटे का पिंड पवित्र होता है. श्राद्ध में मिट्टी के बर्तन को नहीं ग्रहण किया जाता है. कच्छ रहित धोती अथार्त लूंगी का पूर्ण निषेध है. श्राद्ध में ब्राह्मण भोजन विषम संख्या (एक, तीन, पांच…) में हो, इसका ख्याल रखना अनिवार्य है. दान की सामग्री में नीला वस्त्र निषिद्ध है. लोहा की सामग्री दान ना करें. पिंडदान या सामग्री दान करने में पूर्ण श्रद्धा रखें. श्राद्ध में नाती को भोजन कराना महत्वपूर्ण है. कच्चा आंवला के समान गोलाकार पिंड बनाकर अर्पण करें तथा गौमाता को पिंड खिलावें.

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