Pitru Paksha 2022: आश्विन कृष्ण एकादशी बुधवार 21 सितंबर को 17 दिवसीय गया श्राद्ध का 12 वां दिन है. इस तिथि को मुंड पृष्ठा वेदी पर श्राद्ध करके मुंड पृष्ठा देवी का दर्शन किया जाता है. यह वेदी विष्णुपद मंदिर से पश्चिम करसिल्ली पर्वत पर है. इनका दर्शन पित्र मुक्ति के साथ श्राद्ध कर्ता की मुक्ति भी प्रदान करता है यह देवी 12 भुजा वाली हैं. यहां से पश्चिम आदि गदाधर वेदी है. यहां से श्राद्ध करके ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर के दर्शन किये जाते हैं. करसिल्ली पर्वत पर गहराई में एक शिला पर उक्त तीनों स्वरूप अंकित है. यह गयाजी का सबसे पुराना स्थल है.
पांच कोष के गया क्षेत्र का नामी स्थल है. यहां से ही ढाई कोस पूर्वदिशा, ढाई कोस पश्चिम दिशा, ढाई कोस उत्तर दिशा तथा ढाई कोस दक्षिण दिशा की माप होती है और गया क्षेत्र समझा जाता है. यहां से पश्चिम-दक्षिण जाने पर धौत पद वेदी है. यहां श्राद्ध के बाद पुंडरीकाक्ष नामक विष्णु मंदिर का दर्शन किया जाता है. पुंडडरीकाक्ष मंदिर भस्म कूट पर्वत पर भीम गया वेदी से पश्चिम है. यहां पुंडरीकाक्ष कुंड लुप्त होता जा रहा है.
Also Read: Pitru Paksha: नदी-तालाब में तर्पण कर लोग पितरों को कर रहे याद, इस संकेत से समझे पितर आपसे नाराज है या खुश
पितरों की मुक्ति व मोक्ष प्राप्ति के निमित्त पिंडदान, श्राद्धकर्म व तर्पण करने के लिए देश के अलग-अलग राज्यों से अब तक करीब पांच लाख श्रद्धालु मोक्ष धाम पहुंच चुके हैं. जानकारों के अनुसार इनमें से अब तक सवा चार लाख श्रद्धालुओं ने पितरों की मुक्ति के लिए पिंडदान, श्राद्धकर्म व तर्पण का कर्मकांड अपने कुल पंडा के निर्देशन में पूरा कर चुके हैं. वहीं दूसरी तरफ बंगाल, दक्षिण भारत व इसके आसपास के राज्यों से तीर्थयात्रियों के आने का सिलसिला दिन प्रतिदिन तेजी से बढ़ रहा है. कोरोना संक्रमण के कारण बीते दो वर्षों से इस मेले का आयोजन नहीं होने से इसबार पितृपक्ष मेले में श्रद्धालुओं के आने की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हो रही है.