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शंखध्वनि के साथ हुआ पितृपक्ष मेले का शुभारंभ, जानें किस दिन किस वेदी पर होंगे श्राद्धकर्म

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने विष्णुपद मंदिर के गर्भगृह में जाकर पूजा-पाठ किया. साथ ही दीप प्रज्वलित किया. इसके बाद ब्राह्मणों व पंडा समाज ने शंखध्वनि कर पितृपक्ष मेले का शुभ उद्घाटन किया. शुक्रवार से श्रद्धालु यहां पितरों को पिंडदान करेंगे.

गया. गुरुवार दोपहर बाद करीब दो बजे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने संगत घाट के सामने फल्गु नदी में बने गयाजी (रबर) डैम व उसके ऊपर बने स्टील फुटओवर ब्रिज का उद्घाटन करने के बाद विष्णुपद मंदिर के गर्भगृह में जाकर पूजा-पाठ किया. साथ ही दीप प्रज्वलित किया. इसके बाद ब्राह्मणों व पंडा समाज ने शंखध्वनि कर पितृपक्ष मेले का शुभ उद्घाटन किया. शुक्रवार से श्रद्धालु यहां पितरों को पिंडदान करेंगे.

नीतीश कुमार ने फल्गु नदी में नारियल छोड़ा

सीएम नीतीश कुमार ने गयाजी डैम का उद्घाटन करने के बाद फल्गु नदी में नारियल छोड़ा. इस दौरान नीतीश कुमार ने संगत घाट पर बने उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि देश का सबसे बड़ा रबर डैम गयाजी के फल्गु नदी में बना है. सीताकुंड जाने के लिए तीर्थयात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता था.

घरों तक पहुंचने लगेगा गंगाजल

बाइपास होकर जाम में फंसते हुए जाने पर समय व श्रम ज्यादा लगता था. इसलिए डैम के ऊपर ही स्टील फुट ओवरब्रिज का निर्माण कराया गया. उस पार जाकर तीर्थयात्री नदी किनारे बने गये पाथ-वे से या फिर इ-रिक्शा के माध्यम से सीताकुंड तक अब आसानी से जा सकेंगे. उन्होंने कहा कि जल्द ही गया व बोधगया के लोगों के घरों तक गंगाजल पहुंचने लगेगा. इससे स्नान करने, बर्तन साफ करने से लेकर पीने के पानी आदि काम कर सकेंगे.

54 वेदी स्थलों पर होता है पिंडदान व तर्पण

इस बार पितृपक्ष श्राद्ध नौ सितंबर से पुनपुन नदी में पिंडदान तर्पण के साथ शुरू हो रहा है, जो 25 सितंबर को अक्षयवट श्राद्ध के साथ संपन्न हो जायेगा. 17 दिवसीय पितृपक्ष श्राद्ध के दूसरे दिन गया स्थित फल्गु नदी में पिंडदान, श्राद्धकर्म व तर्पण कर्मकांड का विधान रहा है. शहर सहित बोधगया में 54 वेदी स्थल हैं, जहां पिंडदानी अपने पितरों के आत्मा की शांति व मोक्ष प्राप्ति के निमित्त पिंडदान, श्राद्धकर्म व तर्पण का कर्मकांड करते रहे हैं.

किस दिन कहां होंगे श्राद्धकर्म

  • नौ सितंबर (भाद्रपद चतुर्दशी)- पुनपुन पांवपूजा या गोदावरी श्राद्ध.

  • 10 सितंबर (भाद्रपद पूर्णिमा)- फल्गु स्नान श्राद्ध एवं पूजा खीर का पिंड.

  • 11 सितंबर (आश्विन कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि)- प्रेतशिला, ब्रह्मकुंड, रामकुंड, रामशिला व

    कागबली.

  • 12 सितंबर (आश्विन कृष्ण पक्ष द्वितीया तिथि)- उत्तर मानस, उदीची, कनखल, दक्षिण मानस,जिव्हालोल व गदाधर जी कापंचामृत स्नान.

  • 13 सितंबर (आश्विन कृष्ण पक्ष तृतीया तिथि)- बोधगया के सरस्वती स्नान व पंचरत्न दान,

    तर्पण, धर्मारण्य, मातंगवापी व बौद्ध दर्शन.

  • 14 सितंबर (आश्विन कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि)- ब्रह्मसरोवर श्राद्ध, काकबलि श्राद्ध, तारक ब्रह्म का दर्शन व आम्रसिंचन.

  • 15 सितंबर (आश्विन कृष्ण पक्ष पंचमी तिथि)- विष्णुपद स्थित 16 वेदी में रूद्र पद, ब्रह्म पद, विष्णुपद श्राद्ध व पांव पूजा.

  • 16 सितंबर (आश्विन कृष्ण पक्ष षष्ठी तिथि)- 16 वेदी में कार्तिक पद, दक्षिणाग्निपद, गाहर्पत्यागनी पद व आहवनयाग्नि पद.

  • 17 सितंबर (आश्विन कृष्ण पक्ष सप्तमी तिथि)- 16 वेदी में सूर्यपद, चंद्र पद, गणेश पद, संध्याग्नि पद, आवसंध्याग्नि पद व दघिची पद.

  • 18 सितंबर (आश्विन कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि)- 16 वेदी में मतंग पद, क्रौंच पद, इंद्र पद अगस्त्य पद कश्यप पद, गजकर्ण पद, दूध तर्पण व अन्नदान.

  • 19 सितंबर (आश्विन कृष्ण पक्ष नवमी तिथि)- राम गया श्राद्ध, सीताकुंड (बालू का पिंड) सौभाग्य दान व पांव पूजा.

  • 20 सितंबर (आश्विन कृष्ण पक्ष दशमी तिथि)- गया सिर, गया कूप (त्रिपिंडी श्राद्ध), पितृ व प्रेत दोषनिवारण श्राद्ध.

  • 21 सितंबर (आश्विन कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि)- मुंड पृष्ठ श्राद्ध (आदि गया) धौतपद श्राद्ध व चांदी दान.

  • 22 सितंबर (आश्विन कृष्ण पक्ष द्वादशी तिथि)- भीम गया, गौ प्रचार व गदा लोल श्राद्ध.

  • 23 सितंबर (आश्विन कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि)- विष्णु भगवान का पंचामृत स्नान, पूजन, फल्गु में दूध तर्पण व दीपदान.

  • 24 सितंबर (आश्विन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि)- वैतरणी श्राद्ध, तर्पण व गोदान.

  • 25 सितंबर (आश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि)- अक्षयवट श्राद्ध (खीर का पिंड) शैय्या दान, सुफल व पितृ विसर्जन.

  • 26 सितंबर (आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि)- गायत्री घाट पर दही चावल का पिंड, आचार्य की दक्षिणा व पितृ विदाई.

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