पितृपक्षः बेटा नहीं होने पर कौन कर सकता है पितरों का श्राद्ध, जानिए पत्नी और दामाद का क्या अधिकार है

Pitrupaksha किसी व्यक्ति के पुत्र, पौत्र या प्रपौत्र न हो तो उसकी विधवा स्त्री भी श्राद्ध कर सकती है.

By RajeshKumar Ojha | September 18, 2023 12:58 PM

पितरों की आत्मा की शांति के लिए बिहार के गया में 28 सितंबर से पितृपक्ष शुरू हो रहा है. पितरों की आत्मा की शांति के लिए गया में कौन कौन लोग श्राद्ध कर सकते हैं. अगर जिसका पुत्र नहीं हो तो श्राद्ध करने का अधिकार किसके पास है. पंडित संजीत कुमार मिश्रा कहते हैं कि शास्त्रों में इसकी व्याख्या की गई है. इसके अनुसार श्राद्ध करने का पहला अधिकार तो पुत्र का है. पुत्र ही श्राद्ध कर्म, पिंडदान और तर्पण विधि करने का अधिकारी होते हैं. लेकिन, किसी कारणवश किन्ही का कोई पुत्र नहीं है तो फिर कौन गया में श्राद्ध कर सकता है?

श्राद्ध करने का अधिकार किसे दिया गया है, इस पर पंडित संजीत कुमार मिश्रा कहते हैं कि 28 सितंबर से पितृपक्ष शुरू हो रहा है. पितृपक्ष यानी पूर्वजों का पक्ष. पितृपक्ष मास के दिनों में पितरों को याद कर पिंडदान और तर्पण विधि की जाती है. ऐसी मान्यता है कि पितृ पक्ष में पितर पृथ्वी लोक पर अपने परिजनों के यहां आते हैं. परिजन पितरों का सम्मान करते हुए श्राद्ध कर्म और तर्पण विधि करते हैं. पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म करने से पितृ ऋण भी चुकता होता है. पंडित संजीत कुमार मिश्रा के अनुसार घर के मुखिया या प्रथम पुरुष को अपने पितरों का श्राद्ध करने का अधिकार है. अगर मुखिया नहीं है, तो घर का कोई अन्य पुरुष अपने पितरों को जल चढ़ा सकता है.

नाती भी तर्पण कर सकता है

पिता का श्राद्ध पुत्र को ही करना चाहिए. अगर पुत्र न हो, तो पत्नी श्राद्ध कर सकती है.अगर पत्नी नहीं है, तो सगा भाई और भी नहीं हैं तो पुत्री का पति और पुत्री का पुत्र भी श्राद्ध कर सकते हैं. परिवार में अगर कोई नहीं है तो संपिंडों को श्राद्ध करना चाहिए.

ये भी श्राद्ध कर सकते हैं

किसी को एक से अधिक पुत्र है, तो सबसे बड़ा पुत्र श्राद्ध करता है.पुत्र के न होने पर पौत्र या प्रपौत्र भी श्राद्ध कर सकते हैं.अगर किसी व्यक्ति के पुत्र, पौत्र या प्रपौत्र न हो तो उसकी विधवा स्त्री भी श्राद्ध कर सकती है. अगर किसी व्यक्ति का वंश समाप्त हो गया हो तो उसकी पुत्री का पति एवं पुत्री का पुत्र भी श्राद्ध के अधिकारी हैं.

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