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बिहार में कोविड काल के दौरान PMEGP के लिए आये रिकाॅर्ड 22280 आवेदन, बैंकों ने 15437 आवेदन कर दिये वापस

कोविड काल के दौरान प्रदेश में अप्रत्याशित तौर पर बढ़ी बेरोजगारी के चलते रोजगार सृजन से जुड़ी पीएमइजीपी(प्राइम मिनिस्टर इम्प्लॉयमेंट जनरेट प्रोग्राम ) योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान रिकाॅर्ड 22280 लोगों ने लोन के लिए आवेदन किया था. इनमें बैंकों ने 15473 आवेदन वापस कर दिये. उन्हें लोन लेने के योग्य नहीं समझा गया.

पटना. कोविड काल के दौरान प्रदेश में अप्रत्याशित तौर पर बढ़ी बेरोजगारी के चलते रोजगार सृजन से जुड़ी पीएमइजीपी(प्राइम मिनिस्टर इम्प्लॉयमेंट जनरेट प्रोग्राम ) योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान रिकाॅर्ड 22280 लोगों ने लोन के लिए आवेदन किया था. इनमें बैंकों ने 15473 आवेदन वापस कर दिये. उन्हें लोन लेने के योग्य नहीं समझा गया.

दरअसल बैंकों ने प्रदेश में कुल 2822 लोगों को ही रोजगार के लिए लोन देने का लक्ष्य तय किया था. बैंकों ने इस लक्ष्य के विरुद्ध केवल 2187 आवेदकों के लोन केस मंजूर किये. इस तरह हाल में समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में केवल 77 फीसदी लक्ष्य ही हासिल किया जा सका, जबकि 23 फीसदी आवेदक पीछे छूट गये. बैंकिंग सूत्रों के मुताबिक राज्य वित्तीय लक्ष्य हासिल करने में भी पिछड़ गया है. वित्तीय लक्ष्य केवल 85 फीसदी हासिल किया जा सका.

गुजरे साल का वित्तीय लक्ष्य 8466 लाख रुपये था. इसके विरुद्ध केवल 7175 लाख रुपये की अनुदानित सहायता मंजूर की जा सकी. आधिकारिक जानकारी के मुताबिक बैंकों ने मंजूर केसों को मंजूर करने में मार्च माह में ही तेजी बरती. अन्यथा शेष महीनों में ज्यादा सुधि नहीं ली. यह बात और है कि उद्योग विभाग ने लक्ष्य से कहीं अधिक 22280 केस मंजूर कर बैंकों को भेजे थे. फिलहाल बैंकों के पास अभी भी 4372 लोन प्रोजेक्ट्स लंबित पड़े हैं. कई मामलों में बैंकों का रवैया मनमाना रहा है.

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बिहार में कोविड काल के दौरान pmegp के लिए आये रिकाॅर्ड 22280 आवेदन, बैंकों ने 15437 आवेदन कर दिये वापस 2

इस योजना से जुड़े विभागीय जानकारों के मुताबिक कई मामलों में बैंकों का रवैया मनमाना रहा है. उद्योग विभाग की चिट्ठी के आधार पर जिला पदाधिकारियों के दबाव में मार्च माह में केस मंजूर किये जा सके. पिछले वित्तीय वर्ष 2019-20 में कुल लक्ष्य की तुलना में केवल 40 फीसदी ही उपलब्धि रही थी.

अधिकतर केस जिला मुख्यालयों से संबद्ध

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक बेशक लोन केसों की मंजूरी जिलेवार है,लेकिन अधिकतर लोन केस जिला मुख्यालयों व कस्बों के लिए है. रोजगार सृजन के लिए दूरदराज में रोजगार सृजन के इच्छुक लोगों में अभी कमी है. इस तरह ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में अंतर काफी है.

प्रदेश के वह जिले जहां पीएमजीइपी के तहत सबसे कम केस मंजूर किये- अरवल में केवल आठ, बांका में छह, भोजपुर और मुुंगेर में 25-25, कैमूर और खगड़िया में 19-19, लखीसराय और शिवहर में 21-21 लोन सब्सिडी केस मंजूर किये गये हैं.लिये गये लोन में सर्वाधिक 35 फीसदी से अधिक लोगों ने खाद्य प्रसंस्करण की छोटी -छोटी यूनिटों के लिए लिए हैं.

योजना के लोकप्रिय होने का कारण

इस योजना के तहत, लाभार्थी को परियोजना लागत का केवल 5-10 फीसदी ही निवेश करना होता है. सरकार विभिन्न मापदंडों के आधार पर परियोजना को 15 से 35 फीसदी की सब्सिडी देती है. ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं और आरक्षित वर्ग को यह सब्सिडी सर्वाधिक होती है. बैंक उद्यमी को टर्म-लोन के रूप में बाकी पैसे देता है. दरअसल यह योजना देश के बेरोजगार युवाओं को अपना खुद का उद्योग और रोजगार शुरू करने के लिए लोन देती है.

Posted by Ashish Jha

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