बिहार के जमुई से हेराफेरी करने का एक गजब मामला सामने आया है. दरअसल, जमुई जिला स्थित चकाई प्रखंड के अंतर्गत कपसा गांव में झारखंड के लोगों ने झारखंड में स्वीकृत पीएम आवास योजना के तहत अपना आशियाना बना लिया. इन सभी सरकारी आवासों की संख्या सात है. लाभुकों को आवस की स्वीकृति गिरीडीह जिले के देवरी प्रखंड स्थित नवादा गांव के लिए मिली थी.
बता दें कि झारखंड के नवादा और बिहार के कपसा गांव आसपास स्थित हैं. इसलिए आसानी से हेराफेरी कर लाभुक अपने घर के पार अपना घर बना लेते हैं. बड़ा सवाल यह है कि पीएम आवास के लिए लाभुकों को भौतिक सत्यापन के बाद ही राशि का भुगतान किया जाता है. अगर योजना के तहत भौतिक सत्यापन किया गया था. तो अधिकारियों से इतनी बड़ी चूक कैसे हो गयी. हालांकि मामला उजागर होने के बाद देवरी के अंचलाधिकारी के द्वारा बिहार-झारखंड सीमा के निर्धारण के लिए मापी शुरू करवाई गई है.
इस मामले को लेकर चकाई के अंचलाधिकारी राकेश रंजन ने कहा कि बिहार की जमीन पर झारखंड निवासियों द्वारा अतिक्रमण कर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर बनाए जाने की जानकारी मुझे नहीं है. यदि शिकायत मिलती है तो इस मामले की जांच की जाएगी. वहीं, झारखंड के देवरी के अंचलाधिकारी ने राजमोहन तूरी ने कहा कि बिहार की जमीन पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर बनाए जाने की शिकायत मिलने के बाद अमीन के माध्यम से झारखंड-बिहार की सीमा पर झारखंड के नवादा तथा बिहार के कपसा गांव के निकट माफी कराई जा रही है. देवरी के प्रखंड विकास पदाधिकारी इंद्रलाल ओहर ने बताया कि आवेदन के माध्यम से स्थानीय लोगों ने शिकायत की हैस मामले को संज्ञान में लिया गया है. जांच के आदेश दे दिए जा चुके हैं.
जानकारी के अनुसार गिरिडीह जिले के देवरी प्रखंड अंतर्गत नवादा गांव निवासी हारो साव (कालोनी नं- 2592829), बृहस्पति साव (2592 737), विजय साव (2594291), सुरेश साव (2592849), आर साव (2615 292), छात्रधारी साव (2586 704) और श्याम सुंदर साव (2614 394) को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान एलाट किए गए थे. इन्होंने हेराफेरी करते हुए बिहार में अपना मकान बनवा लिया था.