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बिहार में बढ़ जाएगी ट्रेनों की स्पीड, पीएम मोदी आज करेंगे इस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सात जुलाई को वर्चुअल तरीके से पं दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन से सोननगर तक इस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेंट कॉरिडोर का उद्घाटन करेंगे. बिहार में इस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेंट कॉरिडोर के अंतर्गत कुल 260.2 किमी ट्रैक का निर्माण किया जाना है, जिसमें वर्तमान में 141 किमी का काम हो चुका है.

पूर्व मध्य रेलवे जोन में अब ट्रेनें लेट नहीं होंगी. साथ ही सभी ट्रेनों की स्पीड भी बढ़ जायेगी. इसके लिए जोन में चलने वाली सभी मालगाड़ियां इस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेंट कॉरिडोर (डीएफसी) से चलेंगी. पं दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन से सोननगर तक इस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेंट कॉरिडोर का उद्घाटन सात जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्चुअल तरीके से करेंगे. मालगाड़ियों के लिए बिहार में कुल 11 स्टेशन बनने हैं, जिनमें आठ का काम पूरा हो चुका है. इस योजना के तहत बिहार में कुल 260.2 किमी ट्रैक का निर्माण किया जाना है, जिसमें वर्तमान में 141 किमी का काम हो चुका है. डीएफसी कॉरपोरेट ऑफिस के मैनेजर कॉरपोरेट कम्युनिकेशन व ऑपरेशन नितिन महेंद्रू ने यह जानकारी दी.

बिहार में इन स्टेशनों पर रुकेंगी मालगाड़ियां

मालगाड़ियों के लिए बिहार में कुल 11 स्टेशन बनाये जाने हैं. इनमें कुल आठ स्टेशन दुर्गावती, कुदरा, सासाराम, करवंदिया, सोननगर, न्यू सोननगर लिंक, न्यू चीरालपातू बन गये हैं. इसके अलावा रफीगंज, कस्था व पहाड़पुर तीन अन्य स्टेशन बनाने का काम जारी है.

अगले तीन महीनों में 70% मालगाड़ियां हो जायेंगी कॉरिडोर में शिफ्ट

नितिन महेंद्रू के मुताबिक सात जुलाई को उद्घाटन के बाद पूर्व मध्य रेलवे और डीएफसी की टीम मिलकर वर्तमान में चलने वाली मालगाड़ियों की शिफ्टिंग का काम शुरू कर देगी. रेलवे का दावा है कि अगले तीन से चार महीनों में 70 फीसदी मालगाड़ियों को संबंधित न्यू मार्ग पर शिफ्ट कर दी जायेगा. वहीं, बिहार में जैसे ही तीन न्यू रेलवे स्टेशन का निर्माण डीएफसी की ओर से पूरा कर लिया जायेगा, तो बाकी मालगाड़ियों को भी शिफ्ट कर दिया जायेगा.

प्रयागराज के कमांड रूम से होगा नियंत्रण

दिल्ली से हावड़ा रूट तक बनाये गये डीएफसी का ऑपरेशनल कंट्रोल सेंटर प्रयागराज के सूबेदारगंज में बनाया गया है. यह एशिया का सबसे बड़ा कंट्रोल सेंटर है, जिसका उद्धघाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन साल पहले ही कर दिया था. फिलहाल भाउपुर-न्यू खुर्जा-कानपुर से बनारस तक और दिल्ली के मार्गों पर मालगाड़ियों से सामान की ढुलाई जारी है. इस कंट्रोल रूम में आधुनिक इंटीरियर्स का इस्तेमाल किया गया है और इसका डिजाइन विदेशों के कंट्रोल कमांड सेंटर के तर्ज पर बनाया गया है. अधिकारियों के मुताबिक यह बिल्डिंग इको फ्रेंडली है. इस कंट्रोल रूम से एडीएफसी के पूर्वी कॉरीडोर में चलने वाली मालगाड़ियों की निगरानी की जायेगी. इस पूरे कॉरिडोर की लंबाई 1,856 किमी है. एडीएफसी के मुख्य महाप्रबंधक पूर्व ओम प्रकाश ने इसकी खूबियों के बारे में बताया.

2023 तक पूरा करने का लक्ष्य

रेलवे के मुताबिक दिल्ली-हावड़ा रूट पर क्षमता से अधिक ट्रेनों के संचालन की वजह से ही मालगाड़ियों के लिए अलग रूट बनाया जा रहा है. 2023 तक एडीएफसी का काम पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इसके बाद पंजाब के लुधियाना से लेकर पश्चिमी बंगाल के दानकुनी तक मालगाड़ियों को अलग रास्ता मिल जायेगा. उत्तर मध्य रेलवे मुख्यालय के पास सूबेदारगंज में मार्च, 2017 में एडीएफसी के कंट्रोल रूम का शिलान्यास हुआ था. कंट्रोल रूम में 11.5 मीटर की चार स्क्रीन लगायी गयी है. इन स्क्रीन पर लुधियाना, यूपी व बिहार- झारखंड से लेकर बंगाल के दानकुनी के बीच चलने वाली सभी मालगाड़ियों की स्थिति दिखायी देगी. इस कंट्रोल रूम को 75 करोड़ रुपये में तैयार करवाया गया है.

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बिहार के व्यापार में मिलेगा फायदा

बिहार केमिस्ट एवं ड्रगिस्ट एसोसिएशन के अमरनाथ वर्मा ने बताया कि दिल्ली-हावड़ा रूट के तहत बिहार में इस कॉरिडोर के बनने से व्यापारिक गतिविधियों को नयी गति मिलने की उम्मीद है. अलग रूट होने से सामानों की आवाजाही में समय कम लगेगा. वहीं, प्रदेश अध्यक्ष पीके सिंह का कहना है कि माल की ढुलाई के लिए अलग कॉरिडोर तैयार होने से हम अपने सामानों को प्रदेश और देश के कोने-कोने में पहुंचाने में और सक्षम हो जायेंगे. कम समय में अधिक-से -अधिक सामान पहुंचने की उम्मीद है. इससे इनकी डिलीवरी में भी सरलता होगी. उन्होंने कहा कि इससे आम आदमी को भी लाभ मिलेगा. इसके अलावा पैसेंजर ट्रेनों की लेटलतीफी पर भी लगाम लगेगी.

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