G-20 के मेहमान नालंदा विश्विद्यालय के बारे में जानकर रह गए दंग, पीएम मोदी ने खिलजी के बारे में ये बताया..
G-20 के मेहमानों को राष्ट्रपति के द्वारा आयोजित रात्रिभोज में बिहार के प्राचीन नालंदा विश्विद्यालय की झांकी दिखाई गयी और पीएम नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति समेत अन्य मेहमानों को इसकी महानता के बारे में बताया. जानिए पीएम मोदी ने क्या-क्या बताया...
G-20 News: भारत ने G-20 समारोह की इस बार मेजबानी की. दुनिया के बीच हिंदुस्तान जी-20 को लेकर छाया रहा. वहीं दिल्ली में आयोजित इस समारोह में बिहार का नालंदा विश्विद्यालय भी सुर्खियों में रहा. शनिवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से रात्रिभोज का आयोजन किया गया था और इस दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत मंडपम में रात्रिभोज के लिए जिस स्थान पर खड़े होकर जी20 प्रतिनिधियों का स्वागत कर रहे थे, उसकी पृष्ठभूमि में प्राचीन नालंदा महाविहार (नालंदा विश्वविद्यालय) की तस्वीर लगी हुई थी. पीएम मोदी ने विदेशी मेहमानों को नालंदा महाविहार के बारे में क्या बताया, आइए जानते हैं..
विदेशी मेहमानों को नालंदा महाविहार की झांकी दिखाया गया..
प्रधानमंत्री मोदी ने बारी-बारी से विदेशी मेहमानों को नालंदा महाविहार की झांकी दिखाकर उन्हें इतिहास से अवगत कराया. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक समेत अन्य नेताओं को पीएम मोदी ने विश्वविद्यालय का महत्व बताया. रात्रिभोज शुरू होने से पहले उन्होंने एक मंच पर अतिथियों का स्वागत किया, जिसकी पृष्ठभूमि में बिहार के नालंदा विवि के भग्नवाशेष और भारत की अध्यक्षता में जी20 की थीम ‘वसुधैव कुटुम्बकम् : एक पृथ्वी, एक कुटुम्ब, एक भविष्य’ को दर्शाया गया.
बाइडेन भी रह गए दंग..
नालंदा विवि के भग्नावशेष यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल हैं. यह दुनिया के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में से एक था. बाइडेन इसको देखकर इतने प्रभावित हुए कि तस्वीर को नजदीक से देखने लगे. बता दें कि बिहार में स्थित यह विश्वविद्यालय पांचवीं सदी से 12वीं सदी के बीच अस्तित्व में था. इसकी विरासत महावीर और बुद्ध के युग से चली आ रही है, जो प्राचीन भारत की प्रगति को दर्शाती है.
VIDEO | President Droupadi Murmu and PM Modi welcome world leaders and delegates at Bharat Mandapam ahead of G20 special dinner. pic.twitter.com/NXmRrkO8hD
— Press Trust of India (@PTI_News) September 9, 2023
जी -20 के मेहमानों के बीच छाया रहा प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय
प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की चर्चा जी -20 के सम्मेलन में छाया रहा. जी-20 के सम्मेलन में शामिल होने के लिए आए पूरे विश्व के नेताओं को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की महत्ता से अवगत कराया तो वे नालंदा के इस प्राचीन विश्वविद्यालय के बारें में जानकारी प्राप्त कर मेहमान आश्चर्य चकित रह गये. प्रधानमंत्री बारी-बारी से वहां आने वाले जी-20 के प्रतिनिधियों को नालंदा विश्वविद्यालय के प्रारूप के बारे में जानकारी दे रहे थे.
नालंदा विश्वविद्यालय के बारे में पीएम ने क्या बताया..
अमेरिका के राष्ट्रपति सहित कई देशों के नेतागण प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के बारें में जानकारी प्राप्त कर अवाक रह गये. प्रधानमंत्री ने उन्हें बताया कि उस समय जब विश्व में कोई विश्वविद्यालय नहीं था, उस वक्त नालंदा विश्वविद्यालय था. इस विश्वविद्यालय में देश-विदेश के 10 हजार छात्र शिक्षा ग्रहण करते थे. उन्हें पढ़ाने के लिए वहां एक हजार शिक्षक थे. वहां के छात्र हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करते थे.
प्रधानमंत्री ने मेहमानों को बख्तियार खिलजी की क्रूरता के बारे में बताया..
प्रधानमंत्री ने मेहमानों को यह भी बताया कि नालंदा विश्वविद्यालय में बौद्ध धर्म, वेद, विज्ञान, दर्शन, इतिहास, संस्कृति, साहित्य, खगोल शास्त्र, सांख्य, वास्तुकला, शिल्प कला, मूर्ति कला, व्याकरण, शल्य विद्या, ज्योतिष, योग शास्त्र, चिकित्सा शास्त्र आदि की पढ़ाई होती थी. उन्होंने यह भी बताया कि नालंदा विश्वविद्यालय को बख्तियार खिलजी ने आक्रमण कर जला दिया. एक महीने तक नालंदा विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी जलती रही थी. नालंदा विश्वविद्यालय की इतनी महत्ता की जानकारी प्राप्त कर अमेरिकी राष्ट्रपति सहित जी-20 के अन्य प्रतिनिधि आश्चर्य चकित रह गए. सभी ने कहा कि तब तो नालंदा नॉलेज का बहुत बड़ा केंद्र था.
नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास जानिए..
बता दें कि दुनिया के सबसे पुराने शिक्षण संस्थानों की बात जब भी आती है तो नालंदा विश्वविद्यालय का नाम सबसे ऊपर आता है. बिहार की राजधानी पटना से करीब 120 किलोमीटर दक्षिणउत्तर में प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेष आज भी देखे जा सकते हैं. इतिहासकारों की मानें तो, यह भारत में उच्च शिक्षा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण और विश्वविख्यात केंद्र था. यहां कोरिया, जापान, चीन, तिब्बत, इंडोनेशिया, फ्रांस और तुर्की से छात्र आते थे. उस समय भी नालंदा विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए छात्रों को परीक्षा देनी होती थी.