खतरे में नवजातों की जान, अस्पताल में नीकू वार्ड फुल, एक बेड पर दो बच्चों का इलाज, जानें PMCH का हाल
गोद में नवजात को लिए पीएमसीएच के एनआइसीयू (नीकू) में एक व्यक्ति पहुंचा. उसके गोद में नवजात है. डॉक्टर को देखते ही बोला बचा लीजिए मेरे जिगर के टुकड़े को. वार्ड के पास एक चेंबर में डॉक्टर ने कहा नीकू वार्ड के ट्रे में रखो और बाद में बोला लेकिन भर्ती के लिए बेड नहीं है.
आनंद तिवारी, पटना
गोद में नवजात को लिए पीएमसीएच के एनआइसीयू (नीकू) में एक व्यक्ति पहुंचा. उसके गोद में नवजात है और साथ में बुजुर्ग महिला. वह जोर-जोर से रोये जा रहा था. डॉक्टर को देखते ही बोला बचा लीजिए मेरे जिगर के टुकड़े को. वार्ड के पास एक चेंबर में बैठे तीन डॉक्टर व नर्सों की टीम में एक डॉक्टर पलट कर बोला नीकू वार्ड के ट्रे में रखो और बाद में बोला लेकिन भर्ती के लिए बेड नहीं है. नवजात की दादी बोली जान बचा लीजिए सर. घर का यह पहला पोता है. उसी चेंबर में दूसरे डॉक्टर बोले कि इस कागज पर लिखो कि नीकू में वेंटिलेटर और बेड खाली नहीं हैं. हालांकि बड़ी मुश्किल के बाद नीकू वार्ड में बेड मिला. डॉक्टर के निर्देश के बाद नर्स बच्चे को अंदर ले गयी. बिहटा के रहने वाले राजू कुमार का यह मामला पहला मामला नहीं, बल्कि इस तरह की हालत पीएमसीएच के नीकू वार्ड में रोजाना हो रही है. यहां नीकू में बेड कम होने के चलते एक बेड पर दो बच्चों को भर्ती किया जा रहा है.
बेड कम, बच्चे अधिक, कैसे हो इलाज
पीएमसीएच के नीकू में मरीजों की भीड़ अधिक है, इसको देखते हुए यहां एक बेड पर दो से तीन बच्चों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है. यहां के नीकू में सिर्फ 48 बेड हैं लेकिन वर्तमान समय में करीब 70 बच्चों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है. स्थिति यह है कि किस बच्चे को कौन सा संक्रमण है और इससे दूसरा बच्चा चपेट में आयेगा या नहीं इस मामले पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. यहां 15 दिन के बच्चे को भी रखा गया है, इनमें कुछ को बुखार, कुछ को सांस लेने में तकलीफ, तो बाकी बच्चों में त्वचा का संक्रमण है.
रात में जूनियर डॉक्टर के भरोसे नीकू वार्ड
पीएमसीएच के नीकू वार्ड में अधिकतर गंभीर बच्चों को भर्ती किया जाता है. हालांकि यहां 24 घंटे सीनियर रेजीडेंट डॉक्टर व असिस्टेंट डॉक्टर की ड्यूटी लगायी जाती है. लेकिन मरीज के परिजनों की मानें, तो रात को सीनियर डॉक्टर के बदले जूनियर डॉक्टर के जिम्मे ही नीकू वार्ड हो जाता है. रात के समय बच्चों की स्थिति और अधिक गंभीर हो जाती है. वहीं परिजनों की मानें, तो वर्तमान में यहां कई दवाएं नि:शुल्क मिल रही हैं, लेकिन कुछ ऐसी भी दवाएं हैं, जिनको बाहर से खरीदना पड़ता है. गया जिले से आयी संगीता देवी ने कहा कि इनका बच्चा 12 दिन से नीकू में भर्ती है. इलाज से परिजन संतुष्ट हैं. बच्चे की हालत में भी तेजी से सुधार आ रहा है.
बन रहा सुपरस्पेशलिटी, जल्द बढ़ेंगे बेड
पीएमसीएच के उपाधीक्षक डॉ अशोक कुमार झा ने कहा कि अस्पताल में ज्यादातर गरीब मरीज आते हैं. प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराने की जरूरत न पड़े, इसलिए अस्पताल प्रशासन का पूरा ध्यान रहता है. इसलिए बेड पर दो बच्चों को भर्ती कर इलाज के बाद उन्हें स्वस्थ किया जाता है. यहां अन्य अस्पतालों की तुलना में गंभीर बच्चों की संख्या भी अधिक होती है. ऐसे में अति गंभीर बच्चों को नीकू वार्ड में भर्ती करना होता है. हालांकि पीएमसीएच में सुपरस्पेशलिटी अस्पताल बनाने का काम जारी है, आने वाले दिनों में यहां बेड भी बढ़ जायेंगे, जिसकी तैयारी जोरों पर चल रही है.
एक नजर आंकड़ों पर समझे
– पूरे बिहार में हर साल करीब 26 लाख बच्चों का होता है जन्म
– जन्म लेते ही पांच हजार बच्चों की हालत हो जाती है अति गंभीर
– पीएमसीएच के नीकू में हैं 48 बेड
– गंभीर बच्चों को नीकू की होती है जरूरत
– सरकारी अस्पतालों में नीकू में करीब 200 बेड हैं
– गंभीर बच्चों की तुलना में कम है बेड की संख्या
– पटना में चार सरकारी अस्पतालों में नीकू है, पीएमसीएच, आइजीआइएमए, एनएमसीएच और पटना एम्स