पटना. पीएमसीएच अस्पताल में वेंटिलेटर घोटाले की जानकारी सामने आने के बाद अब कार्रवाई होगी. इससे शिशु रोग विभाग में बच्चों के इलाज के लिए खरीदे गये तीनों वेंटिलेटर के घोटाले की जांच से अस्पताल के कुछ डॉक्टर, किरानी, रोकड़पाल और फार्मासिस्ट आदि परेशान हैं.
इधर बताया जा रहा है कि हाल ही में ड्रग विभाग की ओर से पीएमसीएच की सरकारी किट व गाउन की खरीद-फरोख्त और रोकड़पाल की ओर से किये गये वेंटिलेटर घोटाले में शामिल करीब आधा दर्जन स्वास्थ्य कर्मचारी विभाग के रडार पर हैं.
विभाग के पास दोषी कर्मचारियों के खिलाफ सबूत के साथ नाम की सूची अस्पताल प्रशासन की ओर से भेज दी गयी है. उम्मीद जतायी जा रही है कि दोषी स्वास्थ्य कर्मचारियों को पटना से दूर दूसरे जिले में ट्रांसफर करने की तैयारी की जा रही है़
बीते छह महीने के अंदर पीएमसीएच में करीब 20 स्वास्थ्य कर्मचारियों को एक वार्ड से दूसरे वार्ड में ट्रांसफर किया जा चुका है. ये वैसे कर्मचारी थे, जो कई साल से एक ही टेबल पर जमे हुए थे. जांच में पाया गया था कि कुछ कर्मचारी नौकरी के नाम पर खानापूर्ती कर रहे हैं, तो कुछ ऐसे भी कर्मचारी थे जो मरीजों के हित में सही तरीके से कार्य नहीं कर रहे थे.
चेतावनी के बाद भी जब संबंधित कर्मचारी नहीं माने, तो उनका टेबल बदल दिया गया. अभी करीब एक दर्जन और कर्मचारी इधर से उधर हो सकते हैं. यहां बता दे कि साल 2012 में शिशु रोग विभाग में बिना तत्कालीन अधीक्षक व विभागाध्यक्ष की अनुमति के बगैर रोकड़पाल अजय उप्पल ने वेंटिलेटर कंपनी को 36 लाख रुपये का भुगतान कर दिया था.
पाया गया है कि तब तक वेंटिलेटर वार्ड में लगे भी नहीं थे. वहीं अधीक्षक डॉ आइएस ठाकुर ने कहा कि पीएमसीएच अस्पताल में पुराने वेंटिलेटर घोटाले की जांच अभी चल रही है. इनमें शामिल कुछ और कर्मचारियों पर कार्रवाई की तैयारी की जा रही है़