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बिहार में PMFME पर विशेष फोकस, औद्योगिक लिहाज से पिछड़े जिलों में टारगेट से ज्यादा आवेदन

चालू वित्तीय वर्ष में अधिकतर जिलों में लक्ष्य से काफी कम आवेदन आये हैं. सुपौल, भोजपुर,अररिया, पटना, पूर्वी चंपारण, बेगूसराय, औरंगाबाद, मुजफ्फरपुर, खगड़िया और पूर्णिया में टारगेट से काफी कम प्रोजेक्ट के लिए आवेदन आये हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | June 22, 2023 2:27 AM

पटना. पीएम फॉर्मलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज (पीएमएफएमइ) योजना में बिहार के दूरस्थ और औद्योगिक लिहाज से अपेक्षाकृत पिछड़े जिले बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं. वित्तीय वर्ष 2023- 24 में इस योजना में 15 हजार लोगों को लाभ देने का लक्ष्य तय किया गया है. चालू वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही (19 जून तक ) तक करीब पांच हजार आवेदन आ चुके हैं. हालांकि बैंकों की मंजूरी की दर अभी धीमी है. पिछले वित्तीय वर्ष में प्रदेश के 3200 लोगों को इस योजना के तहत वित्तीय सहायता दी गयी थी.

सूक्ष्म उद्यमों को बढ़ावा देने के मकसद से योजना की हुई शुरुआत

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के असंगठित क्षेत्र में मौजूदा निजी सूक्ष्म उद्यमों की प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ावा देने के मकसद से इस योजना को शुरू किया गया है. जानकारी के मुताबिक चालू वित्तीय वर्ष में अधिकतर जिलों में लक्ष्य से काफी कम आवेदन आये हैं. सुपौल, भोजपुर,अररिया, पटना, पूर्वी चंपारण, बेगूसराय, औरंगाबाद, मुजफ्फरपुर, खगड़िया और पूर्णिया में टारगेट से काफी कम प्रोजेक्ट के लिए आवेदन आये हैं.

शीर्ष दस जिले

जिला – टारगेट – बैंक भेजे गये प्रोजेक्ट – बैंक ने मंजूर किये प्रोजेक्ट – इतने प्रोजेक्ट में बांटी राशि

  • गोपालगंज – 207 – 434 – 35 – 29

  • नवादा – 149 – 181 – 24 – 21

  • शेखपुरा – 83 – 102 – 22 – 15

  • शिवहर – 74 – 135 – 10 – 2

  • सीतामढ़ी – 234 – 556 – 30 – 9

  • अरवल – 85 – 63 – 10 – 8

  • सिवान – 266 – 463 – 36 – 31

  • पश्चिमी चंपारण – 264 – 331 – 28 – 8

  • मुंगेर- 170 – 168 – 18 – 10

  • मधुबनी – 307 – 352 – 27 – 10

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विशेष तथ्य

पीएमएफएमइ खाद्य प्रसंस्करण जैसे मिनी राइस मिल, फ्लॉवर मिल, अचार यूनिट, पापड़ यूनिट, मखाना यूनिट, नूडल/ पास्ता यूनिट आदि को अधिक तवज्जो दी जाती है. इस योजना में तकनीकी सहायता भी दी जाती है. एक जिला-एक उत्पाद जैसी योजना पर भी अमल किया जाता है. इस योजना में कुल प्रोजेक्ट का 35 फीसदी तक का अनुदान दिया जाता है. इसमें आसान किस्तों में चुकाया जाता है.

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