आग और राग के कवि शैलेंद्र पुण्यतिथि पर याद किये गए, ‘सजन रे झूठ मत बोलो’ के गीतकार से जुड़ी ये बातें..
गीतकार शैलेंद्र की पुण्यतिथि पर ‘सजन रे झूठ मत बोलो’ से बात शुरू करते गीतकार शैलेंद्र ने कहा कि वह उच्च चिंतन और स्वाधीनता का भाव रखने वाले साहित्यकार थे.
गीतकार शैलेंद्र की पुण्यतिथि पर गुरुवार को गीतकार शैलेंद्र याद किए गए. जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान में एक समारोह आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर गीतकार शैलेंद्र की पुत्री अमला मजूमदार और कथाकार फणीश्वरनाथ रेणु की पुत्री नवनीता सिन्हा मौजूद रहीं. कार्यक्रम का आयोजन दो सत्रों में किया गया. पहले सत्र में गीतकार शैलेंद्र कुमार को केंद्र मे रखते हुए सिनेमा में साहित्य के जादू पर कई वक्ताओं ने अपने-अपने विचार को रखा. इसकी अध्यक्षता आलोचक प्रो रविभूषण ने की. शैलेंद्र का एक गीत ‘सजन रे झूठ मत बोलो’ से बात शुरू करते हुए उन्होंने कहा कि वह उच्च चिंतन और स्वाधीनता का भाव रखने वाले साहित्यकार रहे. उनके गीतों में आर्थिक और सामाजिक दृष्टि दिखती है. उनके गीत आज भी प्रासंगिक हैं. उनके गीत सुकून देते हैं, जैसे- यह दिन भी जायेंगे गुजर, गुजर गये है हजार दिन. इस गीत में एक उम्मीद है.
गीतकार शैलेन्द्र पर पुस्तक लिखने वाले लेखक डॉ इंद्रजीत ने कहा कि शैलेंद्र ने करीब 800 गीत लिखे. वह आग और राग के कवि हैं. उन्हें जितना सम्मान अपने देश में मिलना चाहिए था, उतना अब तक नहीं मिल सका है. लेखक यादवेंद्र ने कहा कि आज 40 साल बाद साहित्य अकादमी ने शैलेंद्र को सम्मान दिया, जो बहुत पहले मिलना था. कार्यक्रम के दूसरे सत्र में रेणु और शैलेंद्र की जुगलबंदी की अध्यक्षता प्रो रामवचन राय ने की. उन्होंने शैलेंद्र और रेणु की फिल्म तीसरी कसम के बारे में कहा कि अभिनेता राज कपूर फिल्म का अंत बदलना चाहते थे, लेकिन शैलेंद्र और रेणु ने यह होने नहीं दिया. लेखक डॉ नालिन विकास ने कहा कक तीसरी कसम सिर्फ एक फिल्म नहीं थी.
बाबा को खोकर जानने को मिला एक लेखक : अमला मजूमदार
लेखक फणीश्वरनाथ रेणु की पुत्री नवनीता सिन्हा ने कहा कि बाबूजी की फिल्म तीसरी कसम बन रही थी, तब मेरी बहन का जन्म हुआ था, जिसके बाद उसका नाम वहीदा रखा गया था. इसका कारण था कि फिल्म के हीरोइन का नाम वाहीदा रहमान था. गीतकार शैलेंद्र की पुत्री अमला मजूमदार ने कहा कि बाबा दोनों बेटियों का विवाह बिहार में करना चाहते थे. उनके अचानक दुनिया को छोड़ कर चले जाने से यह पूरा नहीं हो सका. मौके पर प्रसिद्ध कवि आलोक धन्वा, लेखक रवींद्र भारती, कार्यक्रम के संचालक डॉ मोहम्मद दानिश, अरुण नारायण मौजूद रहे.