sted By नयी दिल्ली : ‘कुदरत हमको सिखलाती है, आपस में मिल-जुलकर रहना.’ ये दो पंक्तियां आज के युवा शायर त्रिपुरारि की कविता ‘कुदरत हमको सिखलाती है’ का मुखड़ा है. दरअसल, त्रिपुरारि की इस कविता की इन दो पंक्तियों की चर्चा करने के पीछे एक ही मकसद है और वह यह कि देश की राजधानी दिल्ली के स्कूलों की आठवीं कक्षा में त्रिपुरारि की यह बाल कविता पढ़ाई जाएगी.
बिहार के समस्तीपुर जिले के एरौत गांव निवासी 32 वर्षीय युवा शायर त्रिपुरारि देश के उन युवा कवियों की श्रेणी में आते हैं, जिनकी कविता महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड की 11वीं कक्षा के हिंदी पाठ्यक्रम में शामिल हो चुकी है. उनकी अब यह रचना राजधानी दिल्ली के स्कूलों की आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों को पढ़ाई जाएगी. त्रिपुरारि उर्दू के युवा शायर-गीतकार और लेखक हैं, जो इस वक़्त मुंबई में रहते हुए फिल्म/टीवी के लिए राइटिंग करते हैं. पिछले दिनों उनका लिखा मैथिली छठ गीत भी काफी लोकप्रिय हुआ था.
बता दें कि आठवीं कक्षा का पाठ्यक्रम तैयार करने वाले प्रकाशन भारती भवन ने जहां सूरदास, रामचंद्र शुक्ल, सुभद्रा कुमारी चौहान, मन्नू भंडारी, आरसी प्रसाद सिंह और अब्राहम लिंकन जैसे दिग्गजों की रचनाओं का चयन किया है, वहीं एक युवा शायर की कविता को भी शामिल कर के अपने आप में उदाहरण पेश किया है. भारती भवन द्वारा तैयार की गई ये किताब आजकल दिल्ली-एनसीआर के विभिन्न प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई जा रही है.
भारती भवन की ओर से मिली इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए त्रिपुरारि ने बताया कि पिछले बरस ही भारती भवन प्रकाशक ने उनसे संपर्क किया था. फिर बातचीत आगे बढ़ी और उन्होंने ‘कुदरत हमको सिखलाती है’ शीर्षक कविता किताब में शामिल करने की अनुमति दी.
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