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पटना में अपराधियों की अब खैर नहीं, जमानत रोकने को पुलिस लिखेगी मजबूत डायरी, 30 पदाधिकारियों की बनेगी टीम

जब भी कोई केस में आरोपित पकड़ा जाता है, तो वह जमानत के लिए कोर्ट में आवेदन करता है. इस दौरान कोर्ट से सबसे पहले केस डायरी की मांग की जाती है. अगर डायरी कमजोर हुई, तो आरोपित को तुरंत जमानत मिल जाती है.

पटना पुलिस अब संगीन आपराधिक वारदातों मसलन हत्या, लूट, डकैती, रेप आदि के आरोपितों की जमानत न हो, इसके लिए मजबूत डायरी लिखेगी, चार्जशीट समय पर दायर करेगी और पुख्ता साक्ष्य भी कोर्ट में प्रस्तुत किया जायेगा, ताकि आरोपित बच न पाये और उसे सजा हो जाये. एसएसपी राजीव मिश्रा के निर्देश पर एक विशेष टीम का गठन किया जा रहा है, जिसमें अनुभवी 30 इंस्पेक्टर व सब इंस्पेक्टर रैंक के पदाधिकारी होंगे. इन सभी का दायित्व यह रहेगा कि वे संगीन आपराधिक मामलों के अनुसंधानकर्ताओं को मजबूत डायरी लिखने और साक्ष्य उपलब्ध कराने में मदद करेंगे.

विशेष टीम अनुसंधानकर्ता की करेगी मदद 

मालूम हो कि एक अनुसंधानकर्ता के पास कई तरह के काम हैं, जिस कारण वे सही ढंग से केस में काम नहीं कर पाते हैं. और इसका सीधा फायदा आरोपितों को मिलता है. इसलिए संगीन मामलों के अनुसंधानकर्ताओं को केस डायरी लिखने, चार्जशीट दायर करने और साक्ष्य एकत्र करने में विशेष टीम मदद करेगी. साथ ही अगर किसी केस में गिरफ्तारी नहीं हुई है, तो आरोपितों को पकड़ने में भी मदद करेंगे.

डायरी कमजोर हुई, तो आरोपित को तुरंत जमानत मिल जाती है

आमतौर पर भी जब भी कोई केस में आरोपित पकड़ा जाता है, तो वह जमानत के लिए कोर्ट में आवेदन करता है. इस दौरान कोर्ट से सबसे पहले केस डायरी की मांग की जाती है. अगर डायरी कमजोर हुई, तो आरोपित को तुरंत जमानत मिल जाती है. लेकिन अगर डायरी और साक्ष्य मजबूत होते हैं तो फिर जमानत मिलना मुश्किल हो जाता है.

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समय पर कोर्ट में चार्जशीट दायर करने में भी मदद करेगी विशेष टीम

इसके अलावा विशेष टीम चार्जशीट समय पर दायर करने में भी मदद करेगी. क्योंकि अगर चार्जशीट समय पर दायर नहीं होती है, तो कोर्ट आराम से आरोपित को जमानत पर रिहा कर देती है. कई संगीन मामलों में ऐसा हो चुका है. यहां तक की वरीय पुलिस अधिकारियों की नजर में आने पर अनुसंधानकर्ता को सस्पेंड तक की कार्रवाई का सामना भी करना पड़ा है. विशेष टीम के गठन का एक ही मकसद है कि डायरी मजबूत हो, चार्जशीट मजबूती से सही समय पर कोर्ट में दायर हो और साक्ष्य भी पुख्ता हो, ताकि आरोपित को बचने का मौका न मिले और सजा हो जाये.

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