समस्तीपुर में मवेशी तस्करों की गोली से घायल थानेदार की पटना में मौत, नाम सुनकर कांपते थे बदमाश

समस्तीपुर के मोहनपुर थाना अध्यक्ष को मवेशी तस्करों ने कार्रवाई के दौरान गोली मार दी थी. घायल अवस्था में उन्हें पटना के आइजीएमएस में भर्ती कराया गया था. जहां उनकी मौत हो गई. अररिया के पलासी के रहने वाले थे नंदकिशोर.

By Anand Shekhar | August 15, 2023 8:02 PM

देश एक तरफ स्वतंत्रता दिवस मना रहा है दूसरी ओर समस्तीपुर के थानेदार की हत्या दी गई. मामला है जिले के मोहनपुर का, जहां स्थानीय ओपी प्रभारी (स्टेशन हाउस ऑफिसर) नंद किशोर यादव की अपराधियों ने गोली मार कर हत्या कर दी है. समस्तीपुर एसपी विनय तिवारी ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि कुछ दिनों से मवेशी चोरी की घटना मोहनपुर ओपी क्षेत्र में बढ़ी है. जिसकी तहकीकात करने की जिम्मेदारी नंद किशोर यादव को सौंपी गई थी.

भैंस चोरी के मामले की कर रहे थे छानबीन

दरअसल मोहनपुर ओपी प्रभारी नंदकिशोर यादव को इस मामले की छानबीन के दौरान भैंस चोरी करने में नालंदा जिले के कुछ लोगों के शामिल होने की सूचना मिली थी. 14 अगस्त को उन्हें एक बार फिर से कुछ चोरों के आने की सूचना मिली थी. जिसके बाद पुलिस टीम ने कार्रवाई करते हुए गिरोह के सदस्यों को पकड़ा था फिर उसकी निशानदेही पर छापेमारी करने गए थे.

पटना में इलाज के दौरान हुई मौत

गिरफ्तार तस्करों से पूछताछ में मिली जानकारी के आधार पर नंद किशोर यादव अपनी टीम के साथ छापेमारी करने निकाल गए. बताए जगह पर जब वो पहुंचे तो वहां भैंस चोरी करते हुए कुछ चोर दिखाई दिए. जब उन्हें पकड़ने का प्रयास किया गया तो उसमें एक चोर ने अचानक ही गोली चला दी. यह गोली मोहनपुर ओपी प्रभारी नंदकिशोर यादव के आंख के ऊपर लग गयी जिससे वो गंभीर रूप से घायल हो गए. इसके बाद उन्हें तत्काल इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया. जहां से उन्हें पहले बेगूसराय और फिर उसके बाद पटना रेफर किया गया था. पटना के एक अस्पताल में उनकी गंभीर अवस्था में इलाज के दौरान मौत हो गई.

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कौन थे नंदकिशोर यादव

अररिया जिले के पलासी प्रखंड क्षेत्र के दीघली गांव निवासी दिवंगत सरजी लाल यादव के बेटे नंद किशोर यादव एवं पलासी के लाल समस्तीपुर जिला अंतर्गत मोहनपुर ओपी में थानाध्यक्ष के रुप में पदस्थापित थे. नंद किशोर यादव चार भाई में सबसे छोटे थे. वहीं इनकी शादी जोकीहाट थाना क्षेत्र के बहारबाड़ी गांव की अमृता यादव से हुई थी. दारोगा के मौत की सूचना मिलने के बाद उनके घर, गांव व आस पास के इलाके में मातम पसरा हुआ है. सभी लोग इस हादसे सन्न हैं.

चार भाइयों में सबसे छोटे थे नंदकिशोर

चार भाइयों में सबसे छोटा होने की वजह से नंदकिशोर घर में सबके लाडले थे. उनके अन्य तीनों भाई खेती-किसानी के कार्य से जुड़े हुए हैं. नंदकिशोर ने पलासी उच्च विद्यालय से मैट्रिक की परीक्षा 1992 में पास की. इसके बाद उन्होंने अररिया कॉलेज में एडमिशन लिया. जहां से उन्होंने अपनी इंटर और स्नातक की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद वर्ष 2009 में उन्होंने दारोगा की परीक्षा पास ट्रेनिंग की थी. इसके बाद अवर निरीक्षक पद पर इनकी नियुक्ति हुई थी.

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अपराधियों से नफरत करते थे नंदकिशोर

परिजनों के अनुसार नंद किशोर अपराधियों को लेकर काफी सख्त थे. जहां भी उनकी पोस्टिंग होती थी वहां के अपराधी उनसे कांपते थे. परिवार का कहना है कि शायद इसी वजह से उनकी मौत भी हुई है. वहीं नंद किशोर के दोस्त भी उनकी मौत की खबर को सुनकर आहत हैं. उनके दोस्तों का कहना है कि नंद किशोर ने पुलिस की नौकरी इसलिए चुनी थी क्योंकि उसके मन में अपराध और अपराधियों को लेकर नफरत भरी हुई थी. वो इस नौकरी की मदद से बदमाशों को सबक सिखाना चाहता था.

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