बिहार के मुजफ्फरपुर में चेकिंग के दौरान एक पुलिस वाले की गलती से वकील के एक आंख की रौशनी चली गई है. वहीं, अब इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बिहार सरकार मुख्य सचिव को पीड़ित अधिवक्ता को 25 हजार रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है. बता दें कि जिले के काजीमोहम्मदपुर थाना क्षेत्र के माड़ीपुर पावर हाउस चौक पर वाहन जांच के दौरान सिपाही ने वकील गन्नीपुर निवासी पंकज कुमार को डंडा मार दिया था. कार के विंडो स्क्रीन पर डंडा लगने से शीशा फूट कर ड्राइविंग सीट पर बैठे पंकज कुमार की आंख में चला गया था और उनके एक आंख की रोशनी चली गई.
चेकिंग के नाम पर फोड़ दी थी आंख
बता दें कि 7 फरवरी 2024 को अधिवक्ता पंकज कुमार रात के लगभग 11:40 बजे पटना से अपने आवास गन्नीपुर लौट रहे थे. इस दौरान पावर हाउस चौक पर पहले से मौजूद काजीमोहम्मदपुर थाने के पुलिसकर्मी वाहन जांच कर रहे थे. इसी दौरान पुलिसकर्मियों ने उनकी गाड़ी को रोका और पूछा कि वह कहां से आ रहे हैं? इस पर वकील जब तक कुछ बोल पाते तब तक पुलिस पदाधिकारी ने उन्हें गाली देते हुए पुलिसकर्मियों को उन्हें मारने के लिए कहा, जिसके बाद एक पुलिसकर्मी ने अधिवक्ता पंकज कुमार की गाड़ी पर डंडा चला दिया और विंडो स्क्रीन का शीशा उनकी आंख में धंस गया. घटना के बाद आरोपी पुलिसवाले वकील की मदद करने की जगह भाग गए. किसी तरह उन्होंने अपने साथ हुई घटना की जानकारी अपने परिजनों को दी. जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए शंकर नेत्रालय कोलकाता ले जाया गया. जहां इलाज के दौरान उनके आंख की रोशनी चली गई.
मामले में मानवाधिकार आयोग सख्त
वहीं, अपने साथ हुए घटना की जानकारी पीड़ित पंकज कुमार ने मानवाधिकार मामलों के अधिवक्ता एसके झा के माध्यम से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली तथा बिहार मानवाधिकार आयोग, पटना को दी. जिस पर सुनवाई करते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बिहार के मुख्य सचिव को नोटिस जारी करने के साथ ही पीड़ित को मुआवजा देने का आदेश दिया था. लेकिन मुख्य सचिव के दफ्तर से किसी भी तरह का कोई स्पष्टीकरण नहीं आया. जिसके बाद मामले की अगली सुनवाई के दौरान सख्त रुख अपनाते हुए आयोग कहा कि सरकार अपनी मुआवजा देने की जबावदेही से नहीं भाग सकती है, क्योंकि यहां एक लोक सेवक ने मानवाधिकार का उल्लंघन किया है. जिस कारण पीड़ित को अपनी एक आंख गंवानी पड़ी है. इसके साथ ही आयोग ने मुख्य सचिव को पीड़ित को चार सप्ताह के अंदर 25 हजार रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है.
पुलिसवालों को बर्खास्त करने की मांग
वहीं, इस पूरे मामले में पीड़ित पंकज कुमार के वकील ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि यह घटना मानवाधिकार उल्लंघन के अतिगंभीर श्रेणी का मामला है. आयोग मामले को लेकर शुरू से ही काफी सख्त है और केस को काफी गंभीरता से लिया गया है. मामले में अगली सुनवाई 8 नवंबर को होगी, जिसमें पीड़ित अधिवक्ता को 20 लाख रूपये मुआवजा दिलाने एवं दोषी पुलिसकर्मियों को बर्खास्त करने का अनुरोध किया जायेगा.
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