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विशेष राज्य के दर्जे को लेकर बिहार में फिर छिड़ा घमासान, जानिए फंड शेयरिंग पैटर्न बदलने की क्यों हो रही मांग..

बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग एकबार फिर से तेज हो गयी है. वहीं इस मांग को लेकर बिहार में सियासी घमासान छिड़ा है. नीतीश सरकार की ओर से एकबार फिर से केंद्र को अनुरोध किया जाएगा. जानिए क्या है फंड शेयरिंग पैटर्न जिसमें बदलाव की हो रही मांग..

Bihar Special Category Status: बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग एकबार फिर से तेज हो गयी है. राज्य सरकार की ओर से यह मांग फिर से जोर-शोर से की जा रही है. नीतीश कुमार की अध्यक्षता में पिछले बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में यह फैसला लिया गया कि केंद्र सरकार से एकबार फिर से इसके लिए अनुरोध किया जाएगा. वहीं बिहार में इसे लेकर सियासी घमासान भी शुरू हो गया है. डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की मांग को जल्द मंजूर करने की वकालत की तो वहीं वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने एक और मुद्दा छेड़ा. केंद्र सरकार से फंड शेयरिंग पैटर्न में बदलाव की मांग की गयी.

बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग तेज

बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग तेज हो गयी है. बुधवार को इस संबंध में नीतीश कैबिनेट द्वारा पारित प्रस्ताव के बाद गुरुवार को उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, योजना एवं विकास मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव, वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी,भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी, पिछड़ा एवं अतिपिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री अनिता देवी और पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री अफाक आलम ने इसकी कमान संभाली. उपमुख्यमंत्री समेत सभी मंत्रियों ने एक स्वर से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की. बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की मांग को जल्द मंजूर करने की वकालत करते हुए डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा कि बेरोजगारी और गरीबी देश के सबसे बड़े दुश्मन हैं. बिहार के जाति गणना के आंकड़ों से स्पष्ट हो गया है हर जाति में गरीबी है. इसलिए बिहार को गरीबी से मुक्त करने के लिए केंद्र सरकार विशेष राज्य का दर्जा दे. उपमुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी वादा किया था कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलायेंगे.

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वित्त मंत्री विजय चौधरी ने दिये 

वहीं वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की बात, न तो नयी बात है और न ही नयी मांग है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले 13-14 वर्षों से यह मांग करते रहे हैं, लेकिन वर्तमान परिपेक्ष्य काफी मजबूत है.देश में पहली बार बिहार में की गयी जातीय गणना से सरकार को अलग-अलग जातियों में गरीबों के आंकड़े मिले हैं. इससे स्पष्ट हुआ है कि राज्य में 34.1 % गरीब हैं. ऐसे में अभियान चलाकर ऐसे परिवारों को गरीबी रेखा सेबाहर निकालने की जरूरत है. ये बातें गुरुवार को वित्त मंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहीं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को 94 लाख गरीब परिवार को आगे बढ़ाना है. इसके लिए राज्य सरकार को 2.50 लाख करोड़ की जरूरत है. उन्होंने कहा कि यह अकेले हमारे बूते के बाहर है. वित्त मंत्री ने कहा कि केंद्र राज्य पर वित्तीय दबाव बना रहा है, इसके लिए केंद्र प्रायोजित योजनाओं (सीएसएस) का पैटर्न बदल दिया है. पहले जहां सीएसएस के तहत केंद्र सरकार 90% और राज्य सरकार 10% देती थी, लेकिन अब यह पैटर्न बदल गया है और घटते-घटते 50: 50 हो गया है.

सुशील मोदी ने बिहार सरकार को घेरा.. 

बीजेपी की ओर से भी इसपर प्रतिक्रिया आ रही है. भाजपा के वरिष्ठ नेता सह राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बिहार में 75 साल से कांग्रेस, राजद व जदयू अलग-अलग और अब एक साथ मिलकर राज कर रहे हैं. इसके बावजूद हर मानक पर बिहार सबसे पिछड़ा है, तो इसके लिए यही लोग जिम्मेदार हैं. नीतीश-लालू केंद्र में ताकतवर मंत्री थे. इन लोगों ने केंद्र में रहते हुए बिहार को विशेष राज्य का दर्जा क्यों नहीं दिलवाया? गुरुवार को भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में मोदी ने कहा कि 1.5 करोड़ लोगों के हस्ताक्षर से डॉ मनमोहन सिंह को ज्ञापन और रामलीला मैदान में रैली के समय केंद्र में लालू के समर्थन से चल रही केंद्र की सरकार थी. उस समय नीतीश कुमार ने आरोप लगाया था कि लालू प्रसाद ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा रुकवा दिया. तेजस्वी यादव अपने पिता से पूछें कि उन्होंने क्यों रुकवा दिया ?

नीति आयोग कर चुका है विशेष राज्य के दर्जे की मांग को खारिज

बता दें कि राज्य को विशेष राज्य का दर्जे देने की मांग को नीति आयोग पहले ही खारिज कर चुका है. नीति आयोग ने विशेष राज्य के बदले विशेष सहायता की बात की है. 14वें वित्त आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट में रघुराम राजन समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा था कि अब ऐसा कोई दर्जा नहीं दिया जा सकता. वित्त आयोग ने अपने तर्क में कहा कि केंद्रीय कर राजस्व में राज्यों का हिस्सा 32 % से बढ़ाकर 42 % कर दिया गया है, जिससे सभी राज्यों को पहले की तुलना में केंद्र से 50 % अधिक अंतरण प्राप्त हो रहा है, इसलिए अब विशेष दर्जे वाले राज्यों की जरूरत नहीं रह गयी है. भाजपा बिहार में भी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के द्वारा विशेष सहायता पैकेज का ही दावा हर बार करती है.

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