बदरुद्दीन अजमल के बयान को लेकर बिहार में सियासी बहसबाजी जोरों पर, BJP ने बताया राष्ट्रद्रोही, जानें मामला

AIUDF पार्टी के अध्यक्ष बदरुद्दीन अजमल ने असम के करीमगंज में बीते दिनों एक कार्यक्रम के दौरान कुछ ऐसा कह दिया, जिसके बाद बीजेपी और हिंदू संगठनों ने अजमल को खरी-खोटी सुनाना शुरू कर दिया है. अधिक जानकारी के लिए पढ़े पूरी खबर

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 4, 2022 3:14 AM

पटना: बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं लोक लेखा समिति के सभापति तारकिशोर प्रसाद ने बदरुद्दीन अजमल के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि बदरुद्दीन अजमल का बयान भारत की सनातन संस्कृति और हिंदुओं की भावनाओं के विरुद्ध है.

‘समाज में घोला जा रहा जहर’

बीजेपी नेता ने आगे कहा कि भारत समेत दुनिया के कई देश जनसंख्या नियंत्रण के लिए प्रयास कर रहे हैं, वहीं, बदरुद्दीन अजमल ने जनसंख्या विस्फोट और लव जिहाद का समर्थन करते हुए मुस्लिम बच्चियों के साथ हिंदुओं के विवाह करने का समर्थन किया है. यह घोर निंदनीय है. श्री प्रसाद ने कहा कि भारत जैसे देश, जिसने मर्यादा और सामाजिक मर्म को सदियों से जिया है, वहां बदरुद्दीन अजमल जैसे लोग समाज में जहर घोलने का काम कर रहे हैं. कांग्रेस जैसी पार्टियों ने ऐसे राष्ट्रद्रोहियों का समर्थन करके भारत की सनातन संस्कृति का अपमान किया है. इसके लिए इन लोगों को माफी मांगनी चाहिए.

‘बदरुद्दीन हमें नसीहत न दें’

वहीं, बेगूसराय से बीजेपी सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह भी अजमल पर भड़के. उन्होंने कहा, बदरुद्दीन जैसे लोग हमें नसीहत न दें. सनातन धर्म में सदैव प्रेम की पूजा होती रही है और इसी का प्रतीक है कि हमारे पूर्वज राजा सागर के साठ हजार पुत्र थे तो वहीं कृष्ण की 16000 प्रेमिका और पत्नियां थीं. केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, ‘आज भारत में वही मुसलमान हैं जिन्हें मुगल काल में मुगलों ने सम्मान नहीं दिया था.’

क्या है मामला ?

बदरुद्दीन अजमल असम के एक जाने-माने नेता है. वे AIUDF पार्टी के अध्यक्ष हैं. बीते दिनों
असम के करीमगंज में एक कार्यक्रम के दौरान कुछ ऐसा कह दिया, जिसके बाद बीजेपी और हिंदू संगठनों ने अजमल को खरी-खोटी सुनाना शुरू कर दिया है. दरअसल, बदरुद्दीन अजमल ने कहा था, ‘वो (हिंदू) 40 साल से पहले गैरकानूनी तरीके से 2-3 बीवियां रखते हैं. 40 साल के बाद उनमें बच्चा पैदा करने की क्षमता कहां रहती है. उनको मुसलमानों के फॉर्मूले को अपनाकर अपने बच्चों की 18-20 साल की उम्र में शादी करा देनी चाहिए.’

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