पटना. सूबे के राजनीति के लिए शुक्रवार का दिन दिलचस्प रहा. विधानसभा में महागठबंधन और बीजेपी के बीच आरोप- प्रत्यारोप का दौर चलता रहा. विधानसभा में आज नए अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी को कुर्सी सौंपी गई. इस पद के लिए अवध बिहारी चौधरी ने कल नामांकन भरा था. आइए जानते हैं कि अवध बिहारी चौधरी कौन हैं. उनका राजनीतिक इतिहास क्या रहा है?
73 वर्षीय अवध बिहारी चौधरी का सियासी सफर शानदार रहा है. वर्तमान में सीवान से राजद के विधायक हैं. अपने संसदीय क्षेत्र सीवान सदर विधानसभा में इनकी बहुत मजबूत पकड़ मानी जाती है. अपने क्षेत्र में काफी लोकप्रिय नेता भी है. इनको लोग एबीसी के नाम से भी जानते हैं. सीवान से छह बार MLA भी रह चुके हैं. 1985, 1990, 1995, 2000 और फरवरी, 2005 में विधायक चुने गये फिर 2020 में भी वो चुनकर विधानसभा गए. 2020 में स्पीकर पद के लिए चुनाव लड़ा, लेकिन विजय सिन्हा से मुकाबले में पिछड़ गये. राबड़ी सरकार में वे मंत्री भी रह चुके हैं.
सीवान के जियांय गांव में 17 अगस्त 1949 को अवध बिहारी चौधरी का जन्म हुआ था. शुरू से ही सामाजिक कार्य करने की रुचि रही थी और उन्होंने छात्र नेता से राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी. अवध बिहारी चौधरी 1977 में अपने गांव ग्राम पंचायत राज जियांय से मुखिया चुने गए. इसके बाद फिर सीवान सदर सीट से 1985 से लेकर 2005 तक लगातार चार बार विधायक रहे. बड़े-बड़े मंत्रालय भी अवध बिहारी के पास थे. सीवान के डीएवी महाविद्यालय से शिक्षा-दीक्षा लेते हुए विज्ञान से स्नातक की पढ़ाई की. अवध बिहारी की इलाके में इतनी ज्यादा पकड़ है कि विधायक और मंत्री नहीं रहते हुए भी लोग इन्हें प्यार से मंत्री जी ही कह कर बुलाते हैं.
अवध बिहारी चौधरी लगातार 1990 से आरजेडी की सरकार में मंत्री पद पर काबिज रहे. अवध बिहारी चौधरी को ग्रामीण विकास लोक स्वास्थ्य अभिकरण के साथ-साथ उन्हें अतिरिक्त प्रभार में परिवहन मंत्रालय और फूड एवं सप्लाई मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई थी. 1990 के दशक में बिहार राज्य वित्त निगम के अध्यक्ष पद पर भी काबिज रह चुके हैं. सबसे बड़ी बात यह थी कि लालू यादव को इन पर इतना भरोसा था कि अवध बिहारी को उस समय आर्थिक निर्णय समिति जिसके सदस्य सिर्फ कैबिनेट मंत्री ही बनाए जाते हैं उस समिति के मनोनीत सदस्य पर भी काबिज रहे.
अवध बिहारी को विरासत में राजनीत नहीं मिली थी. उनके पिता मोतीलाल चौधरी पेशे से किसान थे. माता भागमानो देवी गृहिणी थीं. 1977 के दशक में अवध बिहारी समाजसेवा करना चाहते थे और उन्हें लोगों का आशीर्वाद प्राप्त हुआ. सीवान के लोगों ने लगातार 1985 से 2005 के शुरुआत तक विधायक बनाया. 2005 में सरकार नहीं बनी तो फिर चुनाव हुआ और उसमें अवध बिहारी चुनाव हार गए. 2005 से लगातार तीन बार चुनाव हारे. फिर जनता ने भरोसा करते हुए 2020 में आरजेडी के टिकट पर सीवान सदर सीट से विधायक बना कर विधान सभा में भेजा.
अवध बिहारी चौधरी सबसे पहले 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की पार्टी लोक दल से पहली बार विधायक बने. 1990 में जनता दल से विधायक बने. पुनः आरजेडी से 1995 में भी विधायक चुने गए और फिर आरजेडी से ही 2005 तक विधायक रहे. 2005 के फरवरी में सरकार नहीं बनी तो फिर चुनाव हुआ जिसमें अवध बिहारी चुनाव हार गए. लेकिन 2020 में फिर से उनकी जीत हुई. वहीं, अवध बिहारी चौधरी सीवान के पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन के करीबियों में से एक रहे हैं. मो. शहाबुद्दीन और अवध बिहारी चौधरी को MY समीकरण के लिए भी सीवान में जाना जाता है. अवध बिहारी चौधरी एक साफ सुथरा छवि वाले नेता हैं. हाला की चुनावी हलफनामे में उन्होंने 6 आपराधिक मामले की जानकारी दी है. बता दें कि अभी अवध बिहारी चौधरी ने विधानसभा में 17वीं बिहार विधानसभा के अध्यक्ष के रूप में शपथ ली है.