नीतीश कुमार की पहल से बनेगा नया सियासी ध्रुवीकरण, 2024 में भाजपा को करना पड़ सकता है मजबूत विकल्प का सामना

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पड़ोस में आदिवासियों एवं दक्षिण में मराठों का साथ मिला, तो अगले साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा को एक मजबूत विकल्प का सामना करना पड़ सकता है.

By Prabhat Khabar News Desk | May 12, 2023 3:58 AM

मिथिलेश,पटना. देश के अधिकतर विपक्षी दलों को एक सूत्र में बांधने को निकले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पड़ोस में आदिवासियों एवं दक्षिण में मराठों का साथ मिला, तो अगले साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा को एक मजबूत विकल्प का सामना करना पड़ सकता है. महाराष्ट्र में लोकसभा की 48 सीटें हैं. 2019 के लाेकसभा चुनाव में भाजपा को इनमें 23 सीटें मिली थीं और शिवसेना की झोली में 18 सीटें आयी थीं. इस बार गठबंधनों के समीकरण बदले हुए हैं. भाजपा और शिवसेना में छत्तीस का रिश्ता दिन-प्रतिदिन कटु होता जा रहा है. शिवसेना दो फाड़ हो चुकी है और मराठा राजनीति का एक ठोस केंद्र बन चुके शरद पवार फिलहाल महाविकास अघाड़ी के साथ खड़े हैं. इस अघाड़ी में एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस है.

कांग्रेस और राजद दो मजबूत स्तंभ

नीतीश कुमार की मुहिम में कांग्रेस और राजद दो मजबूत स्तंभ साथ दिख रहे हैं. बिहार के बाहर झारखंड, यूपी में समाजवादी पार्टी, बंगाल में ममता बनर्जी विपक्षी एकजुटता की मुहिम का हिस्सा बनने को पहले दौर की सकारात्मक बातचीत हो चुकी है. इस गठबंधन में मराठा उद्धव ठाकरे की शिवसेना और एनसीपी के शरद पवार शामिल हो जायें तो इन राज्यों में गैर भाजपा दलों का दमखम वाला विकल्प खड़ा होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. इसी साल मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा के चुनाव होने हैं. मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार है. जबकि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस हुकूमत में है.

नीतीश कुमार ने खुद को पद की चाहत से किया अलग 

जहां तक नीतीश कुमार की बात है उन्होंने अपने को किसी पद की चाहत से अलग कर लिया है. हालांकि जानकारों का कहना है कि पीएम मोदी के विकल्प के तौर पर नीतीश कुमार को विपक्ष की ओर से खड़ा कर उस सवाल का मुकम्मल जवाब दिया जा सकता है , जिसमें पूछा जाता है कि विपक्ष के पास ”पीएम फेस” कहां है? लेकिन यह इतना आसान भी नहीं होगा. विपक्षी एकता की धुरी कांग्रेस बनती है तो उसकी ”भूमिका” और ”चाहत” पर बाकी दलों को सहमत होना होगा. नीतीश कुमार 2024 में विपक्ष की अगुआई करते हैं, तो उनके सामने कम से कम बिहार, यूपी, झारखंड, बंगाल, महाराष्ट्र की सम्मिलित विपक्षी ताकत एकजुट दिख सकती है. दूसरे अन्य प्रदेशों में उन्हें कांग्रेस की ताकत के भरोसे आगे बढ़ना होगा.

कई नेताओं से मिल चुके हैं नीतीश 

नीतीश कुमार ने इसके पहले रांची में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कोलकाता में तृणमूल कांग्रेस, लखनऊ में समाजवादी पार्टी के नेताओं के साथ मुलाकात की है. भुवनेश्वर में वह ओड़िशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से भी मिले.

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टाइम लाइन

  • 11 मई : मुंबई में शरद पवार और उद्धव ठाकरे से भेंट

  • 10 मई : रांची में झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन से भेंट

  • 09 मई : ओड़िशा के सीएम नवीन पटनायक से मिले

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